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बैक का ऋण नहीं चुकाने पर कोर्ट ने उधारकर्ताओं से लाखों रुपये की वसूली का आदेश दिया

बैक का ऋण नहीं चुकाने पर कोर्ट ने उधारकर्ताओं से लाखों रुपये की वसूली का आदेश दिया
बीकानेर। अपर जिला एवं सेशन न्यायाधीश विनोद कुमार सोनी ने भारतीय स्टेट बैंक के पक्ष में फैसला सुनाते हुए ऋण न चुकाने वाले उधारकर्ताओं से छह लाख 59 हजार 622 रुपये की वसूली का आदेश दिया है। इसके साथ ही न्यायालय ने बैंक को अनुबंध के अनुसार ब्याज और वाद का खर्चा वसूलने का भी अधिकार दिया है। पहले यह वाद स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर द्वारा वर्ष 2016 में जिला न्यायालय में दायर किया गया था। बाद में बैंक का विलय एसबीआई में हो गया और प्रकरण विभिन्न न्यायालयों से होते हुए अंतत: वाणिज्यिक न्यायालय में दर्ज हुआ।
प्रतिवादी पक्ष ने अपने व्यवसाय के लिए बैंक से 27 दिसंबर 2014 को छह लाख रुपये का नकद साख सीमा ऋण लिया था। ऋण पर कम से कम 13.25 प्रतिशत वार्षिक ब्याज देने का अनुबंध हुआ था। लेकिन प्रतिवादी ने समय पर ऋण की किस्तें नहीं चुकाईं। बैंक के अनुसार 31 मार्च 2016 तक प्रतिवादी पर कुल 6,59,622 रुपये बकाया हो गए, जिसके बाद बैंक ने न्यायालय का सहारा लिया। न्यायालय द्वारा कई बार समन भेजे गए, लेकिन प्रतिवादी उपस्थित नहीं हुए। अंतत: समाचार पत्र में नोटिस प्रकाशित कराया गया, इसके बावजूद कोई हाजिर नहीं हुआ। इस पर न्यायालय ने प्रतिवादी के खिलाफ एकतरफा कार्यवाही करते हुए बैंक के साक्ष्य स्वीकार किए।
कोर्ट का फैसला
न्यायालय ने कहा कि बैंक ऋण एक व्यावसायिक संव्यवहार है और ऐसे मामलों में अनुबंध के अनुसार ब्याज दिलाया जाना आवश्यक है। यदि ऋण की राशि और ब्याज समय पर नहीं मिले तो इससे बैंकिंग व्यवस्था और व्यावसायिक गतिविधियों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। बैंक को 6,59,622 रुपये की वसूली का अधिकार है। एक अप्रैल 2016 से पूरी राशि वसूल होने तक अनुबंध के अनुसार ब्याज सहित राशि देनी होगी। बैंक की ओर से पैरवी अधिवक्ता प्रेम नारायण हर्ष ने की।

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