
अधिवक्ता सुनीता दीक्षित की मजबूत पैरवी से न्याय की जीत




अधिवक्ता सुनीता दीक्षित की मजबूत पैरवी से न्याय की जीत”
बीकानेर। महिला उत्पीड़न से जुड़े एक महत्वपूर्ण आपराधिक मामले में अधिवक्ता सुनीता दीक्षित की सशक्त, तथ्यात्मक एवं कानूनसम्मत पैरवी के परिणामस्वरूप पीड़िता को अंततः न्याय प्राप्त हुआ। माननीय न्यायाधीश रैना शर्मा अपर सत्र न्यायालय (महिला उत्पीड़न प्रकरण), बीकानेर ने पति द्वारा दायर आपराधिक अपील को खारिज करते हुए निचली अदालत द्वारा दी गई दोषसिद्धि एवं सजा को यथावत बनाए रखा।
प्रकरण में अभियुक्त पति विनोद कुमार उर्फ मनोज को भारतीय दंड संहिता की धारा 498-A (दहेज हेतु क्रूरता), 406 (अमानत में खयानत) एवं 323 (मारपीट) के अंतर्गत दोषी ठहराया गया था। अभियुक्त द्वारा उक्त निर्णय के विरुद्ध अपील प्रस्तुत की गई, जिसे माननीय न्यायालय ने विस्तृत साक्ष्यों, गवाहों के बयानों एवं रिकॉर्ड पर उपलब्ध दस्तावेजों के सम्यक परीक्षण के पश्चात निरस्त कर दिया। न्यायालय ने स्पष्ट रूप से माना कि अभियोजन साक्ष्य विश्वसनीय, परस्पर संगत एवं पर्याप्त हैं तथा ट्रायल कोर्ट के निर्णय में किसी प्रकार की विधिक या तथ्यात्मक त्रुटि नहीं पाई गई
सुनवाई के दौरान अधिवक्ता सुनीता दीक्षित ने पीड़िता की ओर से पूरे प्रकरण के तथ्यों को मजबूती से न्यायालय के समक्ष रखा। उन्होंने यह स्थापित किया कि विवाह के पश्चात पीड़िता को लगातार दहेज की मांग को लेकर मानसिक व शारीरिक प्रताड़ना दी गई, मारपीट की गई तथा अंततः उसे घर से निकाला गया। गवाहों के सुसंगत बयान, चिकित्सकीय साक्ष्य एवं परिस्थितिजन्य तथ्यों के आधार पर यह सिद्ध किया गया कि अभियुक्त का आचरण न केवल अवैध बल्कि महिला की गरिमा और वैवाहिक संस्था के विरुद्ध था।
माननीय न्यायाधीश रैना शर्मा अपर सत्र न्यायालय (महिला उत्पीड़न प्रकरण), बीकानेर ने अपने निर्णय में यह भी उल्लेख किया कि ऐसे अपराध समाज में वैवाहिक विश्वास को ठेस पहुँचाते हैं और इनमें नरमी बरतना न्यायोचित नहीं है। परिणामस्वरूप अभियुक्त की अपील अस्वीकृत करते हुए सजा को बरकरार रखा गया और उसे न्यायिक अभिरक्षा में लेने के आदेश पारित किए गए ।
इस निर्णय को महिला अधिकारों की दृष्टि से एक महत्वपूर्ण सफलता माना जा रहा है। अधिवक्ता सुनीता दीक्षित की दृढ़ पैरवी, कानूनी समझ और पीड़िता के प्रति संवेदनशील दृष्टिकोण के कारण यह संभव हो पाया कि वर्षों से संघर्ष कर रही पीड़िता को न्याय की मजबूत आवाज मिली और कानून पर उसका विश्वास और सुदृढ़ हुआ।




