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डॉलर के मुकाबले रुपया रिकॉर्ड निचले स्तर पर, 90.05 पर खुला,डॉलर की मजबूती से दबाव बढ़ा

डॉलर के मुकाबले रुपया रिकॉर्ड निचले स्तर पर, 90.05 पर खुला,डॉलर की मजबूती से दबाव बढ़ा

खुलासा न्यूज़, नई दिल्ली। भारतीय रुपया सोमवार, 3 दिसंबर 2025 को डॉलर के मुकाबले अपने अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है। आज रुपया 9 पैसे गिरकर 90.05 प्रति डॉलर पर खुला। इससे पहले शुक्रवार को यह 89.96 रुपए प्रति डॉलर पर बंद हुआ था।

लगातार विदेशी फंड निकासी से बढ़ा दबाव
विश्लेषकों का कहना है कि विदेशी निवेशकों द्वारा लगातार फंड की निकासी और डॉलर की मजबूती ने रुपए पर दबाव बढ़ा दिया है। वर्ष 2025 की शुरुआत से अब तक रुपया 5.16% कमजोर हो चुका है।
1 जनवरी को रुपया 85.70 प्रति डॉलर के स्तर पर था, जो अब 90.05 रुपए पर पहुंच गया है — यह भारतीय मुद्रा का अब तक का सबसे निचला स्तर है।

रुपए की गिरावट का असर: महंगे होंगे इम्पोर्ट और विदेश यात्रा
रुपए में गिरावट का सीधा असर आम आदमी की जेब पर पड़ेगा। इम्पोर्टेड वस्तुएं महंगी होंगी, जैसे इलेक्ट्रॉनिक्स, कच्चा तेल, मोबाइल, दवाइयां और गाड़ियां। विदेश में पढ़ाई और घूमना भी महंगा हो जाएगा।

उदाहरण के लिए जब डॉलर का भाव ₹50 था, तब छात्रों को अमेरिका में पढ़ाई के लिए 1 डॉलर = ₹50 देने पड़ते थे। अब वही डॉलर खरीदने के लिए ₹90.05 खर्च करने होंगे। इससे फीस, किराया, खाना-पीना और अन्य खर्चों में करीब 80% तक वृद्धि आ जाएगी। मुद्रा विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका में ब्याज दरें ऊंची बने रहने और विदेशी निवेशकों द्वारा भारतीय बॉन्ड से निकासी के कारण आने वाले हफ्तों में रुपया और कमजोर हो सकता है। हालांकि, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) बाजार में हस्तक्षेप कर सकता है ताकि गिरावट की रफ्तार को नियंत्रित किया जा सके। US प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रम्प ने भारतीय आयात पर 50% टैरिफ लगाया हैं, जो भारत की GDP ग्रोथ को 60-80 बेसिस पॉइंट्स गिरा सकता है और फिस्कल डेफिसिट बढ़ा सकता है। इससे निर्यात घट सकता है। विदेशी मुद्रा की आमद कम होती है। इस वजह से रुपया दबाव में है। जुलाई 2025 से अब तक विदेशी संस्थागत निवेशक (FIIs) ने भारतीय एसेट्स में ₹1.03 लाख करोड़ से ज्यादा की बिक्री की है। इसकी वजहें US ट्रेड टैरिफ्स की चिंता है। इससे डॉलर की मांग बढ़ गई है (बिक्री डॉलर में कन्वर्ट होती है), जो रुपए को नीचे धकेल रहा है। तेल और सोने की कंपनियां हेजिंग के लिए डॉलर खरीद रही हैं। अन्य आयातक भी टैरिफ अनिश्चितता के कारण डॉलर स्टॉक कर रहे हैं। इससे रुपए पर लगातार दबाव बना हुआ है।

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