
बीकानेर में आयोजित संत समागम में मानवता का गूंजा दिव्य संदेश




बीकानेर में आयोजित संत समागम में मानवता का गूंजा दिव्य संदेश
ब्रह्मज्ञान से जीवन का हर क्षण आलोकित : निरंकारी सतगुरु माता सुदीक्षा महाराज
बीकानेर, नवंबर 27, 2025:- सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज एवं निरंकारी राजपिता रमित जी की पावन अध्यक्षता में जयपुर-जोधपुर बाईपास सर्किल के पास, बीकानेर में संत समागम का भव्य आयोजन सम्पन्न हुआ। इस आयोजन में बीकानेर सहित अनेक क्षेत्रों से हजारों श्रद्धालुओं ने सम्मिलित होकर सत्संग का आनंद लिया और सतगुरु के प्रेरणादायी संदेशों से अपने जीवन को सार्थक बनाया।
संत समागम में श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए सतगुरु माता जी ने फरमाया कि मानव जीवन में भक्ति का भाव स्वाभाविक है। जब हृदयों में प्रेम, सम्मान और सद्भावना बनी रहती है, तब समाज में निकटता बढ़ती है और मन-मुटाव समाप्त होते हैं। ब्रह्मज्ञान वह प्रकाश है जो भ्रमों को मिटाकर हर प्राणी में विद्यमान एक परमात्मा के दर्शन कराता है।
सतगुरु माता जी ने ब्रह्मज्ञान की महत्ता का जिक्र करते हुए बताया कि भक्तों व संतों ने यही संदेश दिया है कि ब्रह्मज्ञान जीवन को सुखमय बनाता है, आत्मा की तड़प मिटाता है और ज्ञान रूपी गुणों से जीवन को आलोकित करता है। वे सिखाते हैं कि हर पल का सदुपयोग करें, क्योंकि हर क्षण हमें सुनहरे जीवन का अवसर देता है।
सुई और कपड़े का उदाहरण देते हुए सतगुरु ने समझाया कि केवल चित्र देखने से काम नहीं होता; परिवर्तन के लिए कर्म आवश्यक है। निरंकार, अल्लाह, राम, वाहेगुरु किसी भी नाम से संबोधित करें, परमात्मा की सच्ची अनुभूति उसी समय होती है जब ब्रह्मज्ञान को जीवन में उतारा जाए। जिस प्रकार प्यासे को पानी मिले और वह पीए बिना एक ओर रख दे, तो प्यास नहीं मिटती। उसी प्रकार परमात्मा की अनुभूति को प्रत्येक पल महसूस करना, सकारात्मक सोच रखना, मन को विनम्र एवं समर्पित रखना, यही सच्ची भक्ति है। सेवा भी इसी भावना से होती है। सेवा अपने-पराये में भेद नहीं करती; वह सार्वभौमिक कल्याण का मार्ग है। किसी का दर्द हमारे हृदय में महसूस हो और हम उसके निवारण के लिए आगे आए, यही मानवता का वास्तविक स्वरूप है।
समागम के अंत में बीकानेर ज़ोन की ज़ोनल इंचार्ज डॉ. सन्ध्या सक्सेना ने सतगुरु माता जी एवं निरंकारी राजपिता जी का स्वागत करते हुए साध संगत, प्रशासनिक अधिकारी, व्यवस्था कर्मी और मीडिया बंधुओं का धन्यवाद व्यक्त किया।




