बीकानेर में स्वास्थ्य विभाग ने बोगस ग्राहक भेजकर नकली सरस घी का किया पर्दाफाश

बीकानेर में स्वास्थ्य विभाग ने बोगस ग्राहक भेजकर नकली सरस घी का किया पर्दाफाश

बीकानेर में स्वास्थ्य विभाग ने बोगस ग्राहक भेजकर नकली सरस घी का किया पर्दाफाश
बीकानेर। उरमूल डेयरी की सजगता और प्रशासनिक तत्परता ने डूंगरगढ़ में नकली सरस घी के बड़े जाल को उजागर कर दिया। बीकानेर की उरमूल डेयरी, जो राजस्थान को-ऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन जयपुर से संबद्ध है, को सूचना मिली कि डूंगरगढ़ में डेयरी दर से काफी कम दाम पर सरस घी की बिक्री हो रही है। संदेह होने पर डेयरी प्रशासन ने एक बोगस ग्राहक भेजकर स्थिति की जांच की, जिसमें घी की असलियत पर संदेह की पुष्टि हुई। इसके बाद उरमूल डेयरी और मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग (सीएम एचओ) की संयुक्त टीम ने कार्रवाई करते हुए संदिग्ध घी के 15 किलो और एक-एक किलो पैकिंग वाले सैंपल लिए। जांच के दौरान सामने आया कि घी के टिन पर लिखे बैच नंबर, निर्माण तिथि और अंतिम उपयोग तिथि पैकिंग के गत्ते से मेल नहीं खा रहे थे। इतना ही नहीं, टिनों पर अलग-अलग जिलों की सरस डेयरी की मार्किंग पाई गई, जिससे मिलावट का संदेह और गहरा गया। मामले में फर्म मालिक के जवाब भी भ्रामक मिले। फिलहाल सैंपल लैब जांच के लिए भेजे गए हैं। सामान्य तौर पर डेयरी उत्पादों के निर्धारित दामों में इतनी गिरावट असंभव लगने पर डेयरी प्रशासन ने तत्काल जांच का निर्णय लिया। उरमूल डेयरी के प्रबंध संचालक बाबूलाल बिश्नोई ने बताया कि इस सूचना के बाद एक विशेष टीम गठित की गई, जिसमें प्लांट मैनेजर ओमप्रकाश भांभू, प्रभारी क्व ालिटी कंट्रोल आरएस सैंगर, प्रभारी मार्केटिंग मोहन सिंह चौधरी तथा सीएमएचओ टीम से भानूप्रकाश, सुरेंद्र और राकेश गोदारा शामिल थे।टीम ने सबसे पहले एक बोगस ग्राहक को संदिग्ध दुकान पर भेजा। ग्राहक ने 15 किलो घी का टिन मांगा और उसके पैसे ऑनलाइन भुगतान कर दिए। लेनदेन पूरा होते ही उरमूल डेयरी और सीएमएचओ की टीम मौके पर पहुंची। जांच के दौरान टीम को पता चला कि टिन पर छपी निर्माण तिथि और बैच नंबर, पैकिंग गत्ते पर लिखे विवरण से मेल नहीं खा रहे थे। कुछ टिनों पर अलग-अलग जिलों की सरस डेयरियों की मार्किंग भी थी, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि पैकिंग और ब्रांडिंग में छेड़छाड़ की गई है। जब टीम ने दुकान मालिक से पूछताछ की तो उसने गोदाम का सही पता बताने में टालमटोल शुरू कर दी। इतना ही नहीं, वह टीम को गलत चाबियां और दूसरे गोदामों के पते देकर भटकाता रहा। दुकान का नाम बद्रीलाल श्याम सुंदर राठी बताया गया है, जो डूंगरगढ़ की अमर पट्टी में स्थित है। मामले की गंभीरता देखते हुए टीम डूंगरगढ़ पुलिस थाने पहुंची, लेकिन पुलिस ने एफआईआर दर्ज करने से इनकार कर दिया। थाना अधिकारियों ने कहा कि ऐसे मामलों की रिपोर्ट जयपुर स्तर पर दर्ज की जाती है। फिलहाल सीएमएचओ की टीम ने घी के सैंपल जब्त कर जांच के लिए लैब भेज दिए हैं। मिलावट के खतरे और कानूनी प्रावधान भारत में फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड एक्ट (2006) के तहत खाद्य मिलावट अपराध गंभीर श्रेणी में आता है। इसमें दोषी पाए जाने पर छह महीने से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान है। नकली घी में अक्सर वनस्पति तेल या रासायनिक पदार्थों का प्रयोग किया जाता है, जिससे लिवर, हार्ट और किडनी से जुड़ी बीमारियां हो सकती हैं। उरमूल डेयरी की यह त्वरित कार्रवाई उपभोक्ताओं को सतर्क रहने और ब्रांडेड उत्पाद सिर्फ अधिकृत विक्रेताओं से खरीदने की सीख देती है। कम दाम पर बिक रहा था संदिग्ध सरस घी, बैच नंबर और पैकिंग में मिली गड़बड़ी राजस्थान में हाल के वर्षों में डेयरी उत्पादों में मिलावट एक बड़ी चिंता बन गई है। बाजार में सस्ते दाम पर ब्रांडेड घी या दूध उत्पाद मिलना अक्सर उपभोक्ताओं को आकर्षित करता है, लेकिन यही लापरवाही सेहत पर भारी पड़ती है। उरमूल डेयरी की यह कार्रवाई केवल नकली उत्पाद पकडऩे की नहीं, बल्कि उपभोक्ता जागरूकता का संदेश भी है कि कम दाम का मतलब हमेशा अच्छा सौदा नहीं होता।

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