
फर्जी गिरदावरी बनाकर मूंगफली के टोकन जारी करने के मामले में दो कियोस्क संचालकों पर मामला दर्ज





फर्जी गिरदावरी बनाकर मूंगफली के टोकन जारी करने का बड़ा खुलासा, दो कियोस्क संचालकों पर मामला दर्ज
बीकानेर। खरीफ 2082 में मूंगफली की गिरदावरी के टोकनों में धांधली का बड़ा मामला सामने आया है। तहसीलदार (राजस्व) बीकानेर नितिश कांत शर्मा ने स्वयं गजनेर थाने में लिखित रिपोर्ट दर्ज कराई, जिसके आधार पर पुलिस ने दो कियोस्क संचालकों के खिलाफ फर्जी दस्तावेज तैयार करने और राजकोष को नुकसान पहुंचाने के आरोप में एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
तहसीलदार नितिश कांत शर्मा (36), निवासी लाजपत नगर, सूरतगढ़ (हाल पदस्थापित बीकानेर) ने पांच नवम्बर को गजनेर थाने में उपस्थित होकर रिपोर्ट पेश की। रिपोर्ट के साथ कार्यालय तहसीलदार (राजस्व) बीकानेर द्वारा जारी टाइपशुदा जांच प्रतिवेदन क्रमांक राजस्व/2025/1183 (दिनांक 05.11.2025) भी संलग्न किया गया।
सहायक कलेक्टर की जांच में खुली पोल
जिला कलक्टर बीकानेर के निर्देशानुसार चार नवम्बर को सहायक कलेक्टर, बीकानेर (शहर) द्वारा तहसील बीकानेर के ग्राम कोलासर में ई-मित्र कियोस्कों के जरिये काटे गए मूंगफली के टोकनों की जांच की गई।
जांच में पाया गया कि सम्पतलाल उपाध्याय कियोस्क कियोस्क ढ्ढष्ठ-्य8023191, ग्राम कोलासर एवं नारायण पायवाल कियोस्क ढ्ढष्ठ-्य101174808, ग्राम कोलासर, इन दोनों द्वारा गिरदावरी की फर्जी प्रविष्टियां तैयार कर किसानों को अवैध रूप से टोकन जारी किये गए, जो कूटरचित राजकीय दस्तावेज की श्रेणी में आता है।
जिला प्रशासन के सख्त आदेश, पुलिस कार्रवाई शुरू
सहायक कलेक्टर की जांच रिपोर्ट के आधार पर जिला कलक्टर ने तत्काल एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश दिए। जिसके बाद तहसीलदार नितिश कांत ने रिपोर्ट पेश की। जिस पर पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 318(4), 336(2), 336(3) एवं 61(2) के तहत दर्ज कर जांच शुरू कर दी। मामले की जांच हेड कांस्टेबल हरवीर सिंह को सौंपी गई है।
सहायक कलेक्टर बीकानेर (शहर) की सख्ती से खुला भ्रष्टाचार
सहायक कलेक्टर बीकानेर (शहर) की सक्रिय भूमिका और त्वरित शिकायत से किसानों के नाम पर हो रही बड़ी गड़बड़ी उजागर हुई है। प्रशासन और पुलिस की इस सख्त कार्रवाई से राजस्व दस्तावेजों से जुड़े मामलों में फर्जीवाड़ा करने वालों में हडक़म्प है।
इस तरह पूरे जिले में फर्जी टोकन जारी होने की आशंका
इस प्रकार का मामला सामने आने के बाद अब यह सवाल उठ रहा है कि इस तरह पूरे जिले में फर्जीवाड़ा हुआ है, जिस पर जिला प्रशासन को गहनता से छानबीन करते हुए कार्यवाही करनी चाहिए, ताकि किसानों के नाम पर हो रहे भ्रष्टाचार व राजस्व नुकसान का खुलासा हो सके।




