मनुष्य की लगन और ताकत के आगे कोई लक्ष्य बड़ा नही:झाझडिया

मनुष्य की लगन और ताकत के आगे कोई लक्ष्य बड़ा नही:झाझडिया

बीकानेर। संघर्ष करना सीखिये। यदि समस्या है तो उसका समाधान अवश्य ही होगा। संघर्ष न करने की प्रवृत्ति, अहंकार और पूर्वाग्रह से युक्त सोच के कारण समाधान नहीं निकल पाते। ये विचार राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार विजेता,अर्जुन अवार्डी देवेन्द्र झाझडिया ने आरएसवी ग्रुप ऑफ स्कूल्स द्वारा आयोजित लाइव वेबिनार में बतौर मुख्य वक्ता व्यक्त किये। झाझडिया ने कहा कि समस्या गिनने के बजाय समस्या से लडिय़े, संघर्ष कीजिये, समाधान तलाशने पर गौर कीजिये। उन्होंने अपने जीवन की संघर्षशील यात्रा को साझा करते हुए कहा कि यदि वे परिस्थितियों से हार मान लेते तो आज इस मुकाम को हासिल न कर पाते. उन्होंने बताया कि मनुष्य की लगन और ताकत के आगे कोई लक्ष्य बड़ा नहीं हो सकता बशर्ते मेहनत की जाए और समर्पित भाव जे जुटा जाए। झाझडिय़ा ने कहा कि जिसके जीवन में कोई संघर्ष नहीं है तो निश्चित मानिये कि उसने अपने जीवन में ऐसा कोई काम ही नहीं किया जिसके कारण उसे भविष्य में याद रखा जा सकता हो।. झाझडिया ने खेलों के प्रति समाज की सोच को सकारात्मक बनाने हेतु भी समझाइश की. उन्होंने बताया कि पढने के साथ ही खेल भी व्यक्ति में मानसिक, सामाजिक और भावनात्मक गुणों का विकास करते हैं। झाझडिया ने खेलोगे कूदोगे तो होओगे खराब” की प्रवृत्ति को घातक बताया और इस सोच से निकलने का आग्रह किया। वेबिनार में भाग ले रहे विभिन्न अभिभावकों गण्मान्य अतिथियों एव ंविद्यार्थियों ने अपनी जिज्ञासा,प्रश्नों के रूप में देवेन्द्र के समक्ष रखा। प्रश्न पूछने वालों में मुख्यत: पुलिस अधिक्षक केन्द्रिय कारागार बीकानेर परमजीत सिंह,कॉरडियोलोजिस्ट डॉ बी एल स्वामी,मोटिवेटर एवं सहायक प्रो इन्जिनीयरिंग कालेज बीकानेर डॉ गौरव बिस्सा,अधिवक्ता संदीप स्वामी,सीएस अनिमेष सुथार,सुमितकपूर,चार्टेर्ड एकाउन्टेन्ट एवं विद्यार्थी थे। वेबिनार के अंत में देवेन्द्र ने विभिन्न प्रश्नों के उत्तर बड़े ही सहज ढ़ंग से प्रदान किए।
आरएसवी ग्रुप ऑफ स्कूल्स के सीईओ आदित्य स्वामी ने कहा कि प्रतिभा सिर्फ सुविधा और संसाधनों के बीच नहीं पनपती. प्रतिभा अभावों के बीच में व संघर्षके मध्य भी पनप सकती है और अपना प्रभाव दिखा सकती है अत: अपने कार्य में जुटे रहना ही जीवन है। स्वामी ने झाझडिया का स्वागत किया और उन्हें राष्ट्रगौरव बताते हुए कहा कि युवा वर्ग को उनके योगदान से प्रेरणा लेनी चाहिए. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए समूह की अकादमिक निदेशक श्रीमती निधि ने कहा कि कर्म करना, कर्म को सर्वोच्च मानना और जीवन के संघर्ष को ईश्वरीय प्रसाद मानकर चलना व्यक्ति को उत्तमता की ओर लेकर जाता है. समूह के सीएमडी सुभाष स्वामी ने कहा कि जब संसार ना कहे, आपका मखौल बने और संसार विरुद्ध हो जाए तो भी कर्तव्य पथ पर डटे रहना ही जीवटता है. उन्होंने झाझडिया के योगदान को देश के लिए गौरवपूर्ण बताया। स्वामी ने कहा कि इस लाइव कार्यक्रम को पांच हजार से ज़्यादा लोगों द्वारा देखा गया है। संचालन नीरज श्रीवास्तव ने तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ. पुनीत चोपड़ा ने किया।

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