
भाजपा कार्यकारिणी:जिसने छीनी कुर्सी उनको नहीं मिली जगह





बीकानेर। राजनीति में शह और मात का खेल हमेशा से ही चलता आया है। जो नेता पावर में आता है वह उसका उपयोग करते हुए अपने अतीत को याद करते हुए भविष्य की संभावनाएं तलाशता है। कुछ ऐसा ही शहर भाजपा के साथ हो रहा है। जहां गुरूवार को बनी कार्यकारिणी के गठन के साथ ही विरोध के स्वर उठने लगे है। कार्यकारिणी से गठन से न केवल अनेक बड़े नेता नाराज है तो कई समाज ने भी विरोध का बिगुल बजाते हुए प्रदेश नेतृत्व को अपनी बात पहुंचा दी है। राजनीतिक गलियारों में इस बात की गूंज है कि जिलाध्यक्ष अखिलेश प्रताप सिंह ने सभापति की कुर्सी से बेदखल करने में अहम भूमिका निभाने वाले समाज व नेताओं को दरकिनार कर दिया है। यहीं नहीं सोशल मीडिया पर भी जिला कार्यकारिणी को लेकर जंग सी छिड़ी है। अपने आप को भाजपा का वोट बैंक कहने वाले ओबीसी वर्ग की उपेक्षा को लेकर भी तीखे शब्दों के बाण चल रहे है। एक नेता ने अपना नाम न छापने की शर्ते पर बताया कि जब अखिलेश प्रताप सिंह सभापति थे तो उनकी कुर्सी छिनने में अहम रोल निभाने वाले समाज को जिला कार्यकारिणी में ही जगह नहीं दी गई। वहीं दूसरी ओर भाजपा के नेता का दावा है कि उसी समाज को निगम में उच्च पद दे दिया गया है। ऐसे में कार्यकारिणी में अन्य कार्यकर्ताओं को भी तरजीह मिलनी चाहिए।
सुराणा ने मारी हैट्रिक,तो एक पार्टी गाइडलाइन से अलग बन गया पदाधिकारी
नवगठित कार्यकारिणी में एक मात्र ऐसा भाजपाई है,जिन पर पार्टी ने भरोसा जताते हुए महामंत्री पद दिया है। आपको बता दे कि मोहन सुराणा लगातार तीसरी कार्यकारिणी में महामंत्री पद पर काबिज हुए है। इसके अलावा अशोक प्रजापत को लगातार दूसरी बार मौक ा मिला है। जबकि गोकुल जोशी को दूसरी बार उपाध्यक्ष पद का दायित्व सौंपा गया है। इस कार्यकारिणी में एक पदाधिकारी तो ऐसा है जो पार्टी के तय मापदंडों के विपरित ही पदाधिकारी बना दिया गया है। नियमों पर चलने वाली इस पार्टी में ऐसे कई पदाधिकारी है,जिनके मनोनयन को लेकर विवाद खड़ा हो गया।
कार्यकारिणी को लेकर किचकिच
सोशल मीडिया पर भाजपा जिला कार्यकारिणी को लेकर जमकर किचकिच हो रही है। कई जनों ने तो यहां तक लिख दिया है कि बीकानेर के मंत्री जी भाजपा का ही सफाया करना चाह रहे है। तो कोई अखिलेश सिंह पर निशाना साधते हुए लिख रहा है कि जिन्होंने सभापति बनाया उनको ही अनदेखी कर दी गई। एक पूर्व पार्षद ने कहा कि राजनीति का यहीं उसूल है बनाने वाले को भूला दो। उधर एक वर्तमान पार्षद ने तो छ:न्याति समाज की अनदेखी का आरोप मढ़ दिया है। एक कार्यकर्ता ने चेतावनी भरे लहजे में लिखा है कि ओबीसी वर्ग व वाल्मिीकी वर्ग की अनदेखी पार्टी को भारी पड़ेगी।

