दीवाली पर सक्रीय हुए जुआरी, लगने लगे लाखो के दाव : महाजन सहित क्षेत्र में लगता है रोज लाखो का दांव, खेतो, होटलों व सुने स्थानों पर चलता है जुआ का बड़ा खेल

दीवाली पर सक्रीय हुए जुआरी, लगने लगे लाखो के दाव : महाजन सहित क्षेत्र में लगता है रोज लाखो का दांव, खेतो, होटलों व सुने स्थानों पर चलता है जुआ का बड़ा खेल

दीवाली पर सक्रीय हुए जुआरी, लगने लगे लाखो के दाव : महाजन सहित क्षेत्र में लगता है रोज लाखो का दांव, खेतो, होटलों व सुने स्थानों पर चलता है जुआ का बड़ा खेल

महेश देरासरी
महाजन। दीपावली आते ही महाजन सहित आस-पास के ग्रामीण अंचलों में जुआरी सक्रिय हो गए है। अलग अलग स्थानों पर महफ़िल जमाकर रोज लाखो का दांव लगाकर अपनी किस्मत आजमा रहे है। जानकारी के अनुसार के धन की लक्ष्मी के त्योहार दीपावली के आज व कल है।।इस त्योंहार पर धन दुगना करने के लिए लोगो की संख्या बढ़ती जा रही है। दिवाली के मौके पर वैसे तो हर जगह बाजारों में रौनक छाई हुई है। लेकिन दूसरे बाजारों से अलग एक अनोखा बाजार भी सजा है । जहां लोग रोज लाखो का दांव लगाकर किस्मत आजमा रहे हैं। इस बाजार में लोग ताश के पत्तों से जुआ खेलते हैं। दिवाली से कुछ दिन पहले से लेकर दिवाली दूसरे दिन तक इस बाजार में रौनक बनी रहती है। हालांकि पुलिस जुआ खेलने वालों पर कड़ी नजर रखने का दावा कर रही है। कस्बे के थाना क्षेत्र में दिवाली के मौके पर जुआ खेला जाता है। जिसमें कोई लाखों रुपये जीतता है, तो कोई लाखों रुपये गंवाता है। लेकिन हर साल जुए का खेल बदस्तूर चलता है। वैसे भी प्रदेश में दिवाली पर शहरों और गांवों में ताश के पत्तों से जुआ खेलने का चलन है। हालांकि शहरों की तुलना में गांवों में छोटी रकम के दावं लगाये जाते हैं। अभी तक जुआरियों के खिलाफ कोई बड़ी कार्रवाई नहीं की गयी है। हालांकि इसके लिए पुलिस सूत्रों को निर्देश दिया गया है। पहले तो विभाग पूरी तरह सूचना इकठ्ठा कर रही है। जल्द ही बड़ी कार्रवाई की जाएगी।

बदला जुए का स्वरूप
दीवाली आए और जुआ न हो ये तो संभव ही नहीं है। समय के साथ बदलते माहौल में जुए का स्वरूप भी बदलने लग गया है । इन दिनों जुआ खिलाना एक व्यवसाय बन गया है। वैसे तो पूरे साल जुआ खेला जाता है, लेकिन दीपावली जैसे खास मौकों पर जुआ अपने चरम पर होता है। हालत यह है कि दीपावली आने से महीना भर पहले ही जुआ खिलाने वाले बुकी सक्रिय हो जाते हैं।

इन स्थानों पर होता है जुआ-:
दिवाली के जुआरी कस्बे के राजमार्ग पर स्थित स्कूल भवन,पुरानी होस्पिटल,आयुर्वेदिक औषधालय,खेत व सुनी जगहों पर पर अपनी महफ़िल जमाते है। इन स्थानों के बारे में व्यवसाय करने वाले व जुआरियों सहित इनके कुछ लोगो को ही पता रहता है। जो खाने-पीने के सामान की व्यवस्था करते है। वहीं पुलिस का भी ध्यान बड़े गौर से रखते है।

मोबाइल से करते है रैकी
जुआरी व्यवसाय व जुआरी जुए की महफ़िल सजने से पहले रेकी करते है। वही खेल के दौरान कुछ लोग बाइक पर चक्कर लगाकर पुलिस व अन्य लोगो का ध्यान रखते है। अगर पुलिस की भनक लग जाये तो मोबाइल के जरिये तित्तर-बित्तर होने की जानकारी दे देते है। इसलिये जुआरी जल्दी से पुलिस की पकड़ में नही आते।

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