आखिर कहां गई करोड़ों की मूंगफली,क्रय-विक्रय सहकारी समिति के नापासर केन्द्र में भ्रष्टाचार का खेल !

आखिर कहां गई करोड़ों की मूंगफली,क्रय-विक्रय सहकारी समिति के नापासर केन्द्र में भ्रष्टाचार का खेल !

बीकानेर। कहावत है जब बाढ़ ही खेत को खाएं तो उसका रखवाला कौन? जी हां ये कहावत कही न कही सही चरितार्थ हो रही है। जब सरकार के अधिकारी भ्रष्टाचार कर राजस्व को करोड़ों का चूना लगाते है। एक ऐसा ही मामला बीकानेर कोलायत क्रय विक्रय सहकारी समिति के अधीन नापासर केन्द्र का ्रप्रकाश में आया है। जहां पर टेण्डर प्रक्रिया में हिस्सा नहीं लेने के बाद भी गुरूकृपा किसान सेवा सहकारी समिति पर अधिकारियों की कृपा बरसी और आपसी मिलीभगती से करोड़ों रूपये की मूंगफली गबन किया गया है। खुलासा को मिले साक्ष्य में सामने आया है कि केन्द्र के वेयर हाउस में 1224 क्विंटल मूंगफली को जमा नहीं होना बताया गया है। जिसकी लिखित जानकारी केन्द्र के संविदाकर्मी ने क्रय विक्रय समिति के अध्यक्ष को 11 मई को दी। इस रिपोर्ट के बाद बीकानेर कोलायत क्रय विक्रय सहकारी समिति लि के अध्यक्ष रामदेव मूंड ने 19 मई को राजफैड के प्रबंध संचालक को एक पत्र लिखकर अवगत करवाया गया है कि 1224 क्विंटल मूंगफली नापासर केन्द्र पर बकाया चलना बताया है। इस पत्र में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि ठेकेदार द्वारा 19 मार्च से आज दिनांक तक एक गाड़ी माल भी जमा कराने हेतू भंडारगृह नहीं भिजवाई गई है तथा 19 फरवरी को खरीद समाप्त होने के पश्चात नापासर केन्द्र पर एक भी बोरी माल मौजूद नहीं है और न ही उक्त मूंगफली समिति के रक्षण में किसी गोदाम में मौजूद है। जबकि 19 मार्च को विभाग की ओर से भंडारगृहों में माल जमा करवाने की अंतिम तिथि तय कर दी गई थी। जो कही न कही भ्रष्टाचार की ओर इशारा कर रहा है।
पूर्व में निविदा प्रक्रिया के लिये फेल घोषित है यह फर्म
जानकारी के अनुसार बीकानेर कोलायत क्रय विक्रय सहकारी समिति के अधीन नापासर केन्द्र पर जिस समिति को हैण्डलिंग व परिवहन का ठेका दिया गया। इस फर्म द्वारा नापासर के लिये आमंत्रित निविदा प्रक्रिया में ही हिस्सा नहीं लिया। जबकि इस फर्म को पूर्व में 12 बीघा के लिये आमंत्रित निविदा के लिये फेल किया हुआ है। वहीं बज्जू व दंतौर में इस फर्म के विरूद्व विभागीय जांच चल रही है। ऐसे में इस फर्म को ठेका सहकारिता विभाग के आलाधिकारी संदेह के घेरे में आ गये है।
इन पर संदेह की सुई
नापासर केन्द्र पर मूंगफली गबन को लेकर बीकानेर जिले में उप रजिस्ट्रार नवरंग लाल विश्नोई,मुख्य व्यवस्थापिका सुमित्रा चौधरी व क्षेत्रिय अधिकारी राजफैड विक्रम बेनीवाल पर संदेह की सुई घूम रही है। विश्वस्त सूत्र बताते है कि गुरूकृपा किसान सेवा सहकारी समिति नवरंग लाल विश्नोई व सुमित्रा चौधरी के किसी नजदीकी रिश्तेदार की फर्म है। जिन्होंने टेण्डर प्रक्रिया के नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए इस फर्म को ठेका दिया। उधर नापासर निविदा में सफल रही बीकानेर एन्टरप्राइजेज की दर 77.86 प्रतिशत बिलो बीसीआर को दरकिनार किया गया। उनके इस फर्जीवाडे में समिति के नापासर केन्द्र में कार्यरत कर्मचारी खरीद प्रभारी माणकचंद सेन और कम्प्यूटर ऑपरेटर सुमित के साथ मिलकर फर्जी विक्रय पर्चियां काटी तथा लाखों रूपये की मूंगफली का गबन किया।
पहले भी लगे है गंभीर आरोप
आपको बता दे कि नवरंग लाल विश्नोई व सुमित्रा चौधरी पर पूर्व में भी गबन के आरोप लगेे है। जिनके खिलाफ विभागीय जांच भी चल रही है। इतना ही नहीं सुमित्रा चौधरी तो गबन के एक मामले में एपीओ तक हो चुकी है।
आखिर क्यों दबाया जा रहा है मामला
बताया जा रहा है कि इस सारे प्रकरण की जानकारी केवीएसएस बीकानेर के मुख्य व्यवस्थापक का अतिरिक्त प्रभार देख रहे गौरव जैन को दी गई तो इन्होनें नापासर केन्द्र से गायब हुए रिकार्ड के बारे में विभाग को सूचना देना तक उचित नहीं समझा।

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