76 वर्षीय वृद्वा को मिला नवजीवन,डॉ नांगल ने निकाली कैंसर गांठ

76 वर्षीय वृद्वा को मिला नवजीवन,डॉ नांगल ने निकाली कैंसर गांठ

बीकानेर। रिटरोपेरिटोनियम सारकोमा का मेजर ऑपरेशन कर श्रीमती ऊमादेवी भतमाल मैमोरियल नांगल कैंसर हॉस्पिटल एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट के वरिष्ठ कैंसर सर्जन डॉ. जितेंद्र कुमार नांगल की टीम ने गोविंदपुर, सिरसा (हरियाणा) की 76 वर्षीया महिला का जीवन बचाते हुए 15 किलो की कैंसर की गांठ को सफलतापूर्वक निकाला। इस तरह के गम्भीर ऑपरेशन की सफलता ने एकबार फिर कैंसर चिकित्सा क्षेत्र में बीकानेर का नाम अग्रणी कर दिया है। गोविंदपुर सिरसा की 76 वर्षीया भजन कौर को करीब 6 महीने पहले पेट में गांठ महसूस हुई, जो कि धीरे-धीरे बढऩे लगी और बढ़ते-बढ़ते यह गांठ पूरे पेट के भीतर बढ़ गई। पूरे पेट में गांठ के बढ़ जाने से मरीज को असहनीय दर्द रहने लगा। मरीज की सिटी स्कैन तथा अन्य जांचे करवाने पर पता चला कि उसके अंडाशय (ओवरी) में 28ष्द्व & 25ष्द्व की कैंसर की गांठ हो सकती और इसे समय रहते ऑपरेशन कर निकाल न जाए तो मरीज के लिए यह खतरनाक हो सकता है। इसके बाद भजन कौर और उसके परिजनों ने बीकानेर आकर श्रीमती ऊमादेवी भतमाल मैमोरियल नांगल कैंसर हॉस्पिटल एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट के वरिष्ठ कैंसर सर्जन डॉ. जितेंद्र कुमार नांगल से जब परामर्श लिया तो चिकित्सक ने उन्हें तुरंत ही ऑपरेशन की सलाह दी। यह एक मेजर ऑपरेशन था, जो कि कोरोना की इस महामारी के दौरान भी सभी सावधानियां बरतते हुए 10 मई को किया गया। चिकित्सकीय मानकों के अनुसार यह बहुत ही खतरनाक ऑपरेशन था क्योंकि ऑपरेशन के दौरान ही पता चला कि कैंसर की यह गांठ केवल अंडाशय की गांठ न होकर रिटरोपेरिटोनियल कैंसर है। यह गांठ पेट में आंत व उसकी झिल्ली के पीछे थी जिसे पेरिटोनियम भी कहते हैं। इस स्थान पर खून की नसें अरोटा व वेनाकेवा, किडनी तथा पेनक्रियाज भी होते हैं और यह रीढ़ की हड्डी के आगे का स्थान होता है। शरीर के ऐसे स्थान पर पूर्णरूप से फैल चुकी कैंसर की इतनी बड़ी गांठ ज्यादातर ऑपरेशन के लायक ही नहीं होती। क्योंकि ऑपरेशन के समय इससे मरीज के अन्य अंगों को क्षति तथा अत्यधिक रक्तस्राव का खतरा बना रहता है और इससे मरीज की जान भी जा सकती है। खून की नसों को बचाते हुए आंत के पीछे से इतनी बड़ी गांठ को निकालना चिकित्सकों के लिए बहुत ही चुनौतीपूर्ण होता है।

डॉ. नांगल के नेतृत्व में भजन कौर का ऑपरेशन चार घण्टे से भी अधिक चला। चिकित्सक ने बताया कि यह गांठ ड्यूडेनम के ऊपर से होते हुए पेल्विस तक गई हुई थी जिसे निकालना वाकई चुनौतीपूर्ण था। मरीज के अन्य अंगों तथा खून की नसों को बचाते हुए, पीछे से पूरी की पूरी 15 किलो वजनी गांठ को अंतत: निकालने में नांगल कैंसर हॉस्पिटल की टीम को आशातीत सफलता मिली। ऑपरेशन के पश्चात कुछ दिनों की विशेष देखरेख के बाद मरीज की स्थिति में आशानुरूप सुधार होने पर उन्हें अस्पताल से छुट्टी देकर सकुशल अपने घर भेज दिया गया है। रिटरोपेरिटोनियल सारकोमा एक गम्भीर किस्म का कैंसर है और कैंसर की इतनी बड़ी गांठ को निकालना मरीज के जीवन के लिए खतरनाक होता है, अत: अधिकतर मामलों में इसे निकालना असंभव माना जाता है। परंतु बीकानेर के नांगल कैंसर हॉस्पिटल की टीम ने यह कारनामा कर दिखाया, जिससे न केवल एकबार फिर बीकानेर का नाम कैंसर चिकित्सा के क्षेत्र में ऊंचे पायदान पर पहुंचा बल्कि एक वृद्धा को भी जीवनदान मिल पाया। इस सफल ऑपरेशन के दौरान टीम में वरिष्ठ कैंसर सर्जन डॉ. जितेंद्र कुमार नांगल, डॉ. सविता राठी (एनेस्थेटिस्ट), कल्लाराम, सौरभ, ममता और पुंजाराम शामिल थे।

Join Whatsapp
टी.एन.ज्वैलर्स हॉलमार्क ज्वैलरी शोरूम बाबूजी प्लाजा मो 800355555 जेवराती सोना 20 कैरट 101500 रेट , 22 कैरट 106500 चांदी 129500 |टी.एन.ज्वैलर्स हॉलमार्क ज्वैलरी शोरूम बाबूजी प्लाजा मो 800355555 जेवराती सोना 20 कैरट 101500 रेट , 22 कैरट 106500 चांदी 129500 |