
अपराध का अड्डा बना बीकानेर शहर, बदमाशों में नहीं है पुलिस का डर





अपराध का गढ्ढ बना बीकानेर शहर, बदमाशों में नहीं है पुलिस का डर
बीकानेर(शिव भादाणी )। छोटी काशी के नाम से प्रसिद्ध शहर बीकानेर को पिछले कुछ सालों से नजर लग गई है। शहर में जहां लोग घर में लकड़ी तक नहीं रखते है वहां आजकल तलवार व पिस्तौल रखने का शौक रखते है। पिछले काफी सालों से शहर में बदमाशों के हौसले बुलंद हो गये है। एक समय था जब बदमाशों के अंदर पुलिस का डर था लेकिन आजकल तो पुलिस व बदमाश साथ बैठें नजर आते है जिससे धीरे धीरे पुलिस का डर बदमाशों के अंदर से निकल गये है। शहर के नयाशहर, सदर, गंगाशहर, मुक्ता प्रसाद व जेएनवीसी ऐसे थाने है जहां आये दिन फायरिंग, हत्या, मारपीट, छीनझपटी की वारदातें लगातार हो रही है। कई मामले तो थाने से महज कुछ ही दूरी पर घटित हो रहे है। प्राय: देखा है ज्यादात्तर बदमाश 12 बजे के बाद सूनसान सडक़ों पर निकलते है जो सडक़ पर दिखा उसके साथ बदमाशी करना शुरु कर देते है। इसका मुख्य कारण है बीकानेर में पिछले 6 सालों से रात को दुकानें खुलने लगी है जहां पर खाने पीने का सामान मिलता है। उनके लिए वो रात को निकलते है और फिर छोटी मोटी बातों को लेकर झगड़े होते है और वही झगड़ा बड़ा रुप लेता है और हत्या तक हो जाती है। कुछ दिन पहले ही नयाशहर इलाके में एक लडक़ा लडक़ी को बदमाशों ने रोककर उनके साथ मारपीट की। अभी तक वो पुलिस की गिरफ्त में नहीं आये है। इसी तरह मुक्ता प्रसाद में भी एक युवक को आधी रात को बदमाशों ने पीटा, व कुछ बदमाशों ने एक कार चालक को रोककर उसके साथ मारपीट की तथा परिवार के साथ होने से युवक बुरी तरह से घबरा गया था। इसी क्रम में सोमवार रात्रि को दो गुट पंचर्शीत सर्किल पर जमकर झगड़ा हुआ। लेकिन मंगलवार दोपहर तक किसी तरह का मामला दर्ज नहीं हुआ। इतना कुछ होने के बाद बीकानेर पुलिस आखिर इन पर अंकुश लगने में नाकाम साबित क्यों हो रही है। देर रात को बिना नंबर की गाडिय़ां सडक़ों पर दौड़ती रहती है। जो कुछ तो शराब पीकर चलाते है। कभी कभी ऐसा लगता है बीकानेर पुलिस को सिर्फ चालान काटकर बीकानेर में शांति प्रदान करना है बाकी शहर में क्या हो रहा है उनको कोई मतलब नहीं है।
एसएचओ नहीं निकलते फिल्ड में
शहर के कई थाने तो ऐसे है जहां थानाधिकारी पद पर तैनात अधिकारी अपने इलाके में ही नहीं जाते है बस जाते है तो आईजी या एसपी के निर्देशों पर नाकाबंद के दौरान बाकी समय उनका थाने में निकल जाता है।

