
बीकानेर : प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंदसिंह डोटासरा के बीकानेर दौरे के बीच अचानक इस पदाधिकारी ने कांग्रेस संगठन में अपने पद से दिया इस्तीफा




बीकानेर : प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंदसिंह डोटासरा के बीकानेर दौरे के बीच अचानक इस पदाधिकारी ने कांग्रेस संगठन में अपने पद से दिया इस्तीफा
बीकानेर। राजस्थान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंदसिंह डोटासरा के बीकानेर दौरे के बीच कांग्रेस संगठन में हलचल मच गई। शहर जिला कांग्रेस कमेटी के संगठन महासचिव नितिन वत्सस ने भावनात्मक रूप से आहत होकर अपना इस्तीफा शहर कांग्रेस अध्यक्ष यशपाल गहलोत को सौंप दिया।
इस्तीफा देने वाले संगठन महासचिव ने पत्र में लिखा है कि डोटासरा के बीकानेर आगमन का उद्देश्य कांग्रेस कार्यकर्ताओं में उत्साहवर्धन करना और वरिष्ठ नेता रामेश्वर डूड़ी की सेहत का हाल जानना था। यह कदम कार्यकर्ताओं में उम्मीद और प्रेरणा जगाने वाला माना गया। लेकिन बीकानेर आने के बावजूद डोटासरा पूर्व जिला अध्यक्ष और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जनार्दन कल्ला के परिवार में हाल ही में हुई मृत्यु पर उनसे मिलने नहीं पहुंचे।
नितिन वत्सस ने अपने पत्र में लिखा कि जनार्दन कल्ला बीकानेर की राजनीति में सम्मानित और कांग्रेस का पर्याय रहे हैं। उनके नेतृत्व और मार्गदर्शन में ही कई कार्यकर्ताओं ने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की। व्यक्तिगत रूप से महासचिव ने जनार्दन कल्ला को अपना राजनीतिक गुरु बताया और कहा कि उनके आशीर्वाद और मार्गदर्शन से ही उन्हें संगठन महासचिव जैसे महत्वपूर्ण पद पर आसीन होने का अवसर मिला।
इस्तीफा देने वाले महासचिव ने पत्र में कहा कि कांग्रेस की विचारधारा सदैव हर वर्ग, जाति और समुदाय को साथ लेकर चलने वाली रही है। पार्टी ने कभी किसी विशेष वर्ग के लिए भेदभाव नहीं किया। लेकिन हाल ही में हुई घटना ने कांग्रेस के मूल सिद्धांतों के विपरीत कार्य करने का आभास दिया, जिससे वे भावनात्मक रूप से आहत हुए।
नितिन वत्सस ने अपने इस्तीफे में यह भी स्पष्ट किया कि यह व्यक्तिगत और भावनात्मक निर्णय है, और इसे किसी राजनीतिक प्रभार या व्यक्ति विशेष के खिलाफ नहीं जोड़ा जाना चाहिए। उन्होंने पार्टी और नेतृत्व का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि संगठन में बतौर कार्यकर्ता अपनी भूमिका पूर्व की तरह निभाते रहेंगे।
इस इस्तीफे की प्रतिलिपि कांग्रेस जिला प्रभारी व प्रदेश उपाध्यक्ष शिमला नायक को भी भेजी गई है। पार्टी के सूत्रों का कहना है कि यह कदम बीकानेर कांग्रेस संगठन में नई हलचल पैदा कर सकता है और वरिष्ठ नेताओं के प्रति संगठनात्मक जिम्मेदारी पर सवाल उठा सकता है।

