
बीकानेर: अब कवर होगी 160 किमी प्रति घंटा की रफ्तार, ट्रेनों को मिलेगा सुरक्षा कवच




बीकानेर: अब कवर होगी 160 किमी प्रति घंटा की रफ्तार, ट्रेनों को मिलेगा सुरक्षा कवच
बीकानेर। उत्तर पश्चिम रेलवे का बीकानेर मंडल अब रेल सुरक्षा के नए युग में प्रवेश करने जा रहा है। मंडल के 1775 किलोमीटर रूट पर स्वदेशी टक्कर रोधी प्रणाली कवच स्थापित की जाएगी, जिस पर लगभग 800 करोड़ रुपए खर्च होंगे। यह तकनीक ट्रेन की गति नियंत्रण और टक्कर रोकथाम में क्रांतिकारी बदलाव लाएगी। अब रेलवे संरक्षा को और मजबूत करने के लिए यहां कवच 4.0 वर्जन लगाया जाएगा। उत्तर पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी शशि किरण ने बताया कि रेलवे के कुल 5561 किलोमीटर मार्ग में लगभग 2300 करोड़ रुपये की लागत से कवच प्रणाली का कार्य स्वीकृत किया गया है। बीकानेर मंडल पर इसे 800 करोड़ की लागत से लागू किया जाएगा। अजमेर, जयपुर और जोधपुर मंडलों में कवच की टेंडर प्रक्रिया पहले से चल रही है, जबकि बीकानेर मंडल में कार्य स्वीकृत हो जाने के बाद अब उत्तर पश्चिम रेलवे के सभी मंडलों में यह तकनीक लागू होने जा रही है। कवच प्रणाली से ट्रेनों को रियल टाइम में गति नियंत्रण, सिग्नल की स्थिति की जानकारी और आपातकालीन ब्रेकिंग सुविधा मिलेगी। इससे न केवल दुर्घटनाएं कम होंगी, बल्कि यात्रियों को अधिक सुरक्षित सफर का अनुभव होगा।
कवच क्यों है गेम चेंजर?
2015 में विकसित स्वदेशी तकनीक। 2018 में पहला परिचालन प्रमाणपत्र। उत्तर पश्चिम रेलवे के वरिष्ठ मंडल वाणिज्यिक प्रबंधक भूपेश यादव ने बताया कि कवच 4.0 एक स्वचालित ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम है, जो ट्रेनों की सुरक्षा को सुनिश्चित करता है। यह प्रणाली ट्रेन की गति पर निगरानी रखती है और आवश्यकता पड़ने पर स्वतः ब्रेक लगा देती है। यह प्रणाली ट्रेनों के बीच टकराव और अन्य दुर्घटनाओं को रोकने में मदद करती है। इसके साथ ट्रेनें 160 किमी/घंटा तक की गति से चल सकती हैं। कवच सिर्फ एक डिवाइस नहीं है, बल्कि पूरी संरचना है। इसके लिए हर एक किमी पर आरएफआईडी टैग, हर स्टेशन पर कवच कंट्रोल यूनिट, हर इंजन में लोको कवच और पूरी लाइन पर ऑप्टिकल फाइबर डाला जाएगा। रेलवे अधिकारी इसे रेलवे के भीतर एक मिनी टेलीकॉम नेटवर्क बताते हैं। भारतीय रेलवे में कवच प्रणाली यूरोपीय ट्रेन कंट्रोल सिस्टम (ईटीसीएस ) जैसी तकनीकों का स्वदेशी विकल्प है। यह न सिर्फ टक्कर रोकता है बल्कि ड्राइवर की मानवीय त्रुटियों को भी कवर करता है। बीकानेर जैसे व्यस्त और लंबे नेटवर्क वाले मंडल के लिए यह तकनीक गेम चेंजर साबित होगी।

