अगर एसबीआई में खाता है तो हो जाएं सावधान,नहीं है सुरक्षित

अगर एसबीआई में खाता है तो हो जाएं सावधान,नहीं है सुरक्षित

बीकानेर। कोरोना वायरस के बीच लोगों को डिजिटल पेमेंट का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करने की सलाह दी जा रही है। लोग भी कैश के बजाए पेटीएम, फोनपे जैसे मोबाइल वॉलेट ऐसा का इस्तेमाल कर रहे हैं। ऐसे में लॉकडाउन के बीच साइबर ठगी के मामले भी तेजी से बढ़ रहे हैं। एक बार फिर एसबीआई से फोन पे के जरिये ठगी का मामला प्रकाश में आया है। जिसके तहत नापासर निवासी रविशंकर प्रजापत के खाते पिछले दो दिनों में 33000 रूपये की ठगी हो गई है। वंडर सीमेन्ट में खातापाल के रूप में कार्यरत रविशंकर के खाता संख्या 00000061013550547 के खाते से 30 मई और 31 मई को 9536531043 मोबाइल नंबर से सीमेन्ट का भुगतान करने के लिये फोन पे नंबर मांगे। जिस पर रविशंकर ने उन्हें अपने फोन पे के नंबर बता दिये। जिसके बाद 9828060035 (गजेन्द्र नाम से )उनके खाते में 5000 रूपये जमा हो गये। इस ट्रांजेक्शन के बाद खाता धारक ने जमा राशि को पवनपुरी स्थित एटीएम से निकलवा ली। इसके उपरान्त इसी दिन राजकुमार नाम से 7408512846 नाम के पैटीम से चार बार 2000-2000 हजार रूपये निकाल लिये गये। इसी तरह अगले दिन 31 मई को दो बार 10000-10000 रूपये तथा एक बार 3000 व एक बार 2000 रूपये की राशि पेटीम से निकाली।
पहले भी कई बार हो चुकी है इस प्रकार की ठगी
मजे की बात तो ये है कि एसबीआई के क्रेडिट व डेबिट कार्ड से कई बार इस तरह की ठगी का मामले प्रकाश में आ चुके है। जिनकी एफआईआर थानों में दर्ज होने के बाद भी न तो पुलिस और न ही बैक अधिकारी व कार्मिक इस ओर ध्यान नहीं दे रहे है। जानकारी मिली है एसबीआई से पांच हजार के लेन देन पर ही एसएमएस के जरिये ग्राहक को जानकारी देता है। इससे कम के लेनदेन की जानकारी या तो आती नहीं या एक दो दिनों के बाद ही उसकी जानकारी ग्राहकों को मिल पाती है। ऐसे में ग्राहक अपने खातों को लेकर अपडेट नहीं रह पाते। तब तक ठग खाताधारक के खातों के खातों से रूपये निकाल चुका होता है।
एसबीआई जारी करता है गाइडलाइन,पर मदद नहीं
दुर्भाग्य की बात तो यह है कि खातााधारकों को ऑनलाइन ठगी को लेकर बार बार गाइड लाइन तो जारी करता है। किन्तु इस प्रकार की ठगी के मामलों में ग्राहक को किसी प्रकार की मदद नहीं करता। महज प्रभावशाली खाताधारक के अत्यधिक दबाव के चलते उन्हें जानकारी देता है। हालात ये है कि के्रडिट कार्ड व डेबिट कार्ड के कार्यालय में तो कोई सुनवाई नहीं होती। मंजर ये है कि कोरोना काल ने एसबीआई के ऐसे केसों में किसी प्रकार की कार्यवाही न करने के लिये अधिकारियों व कार्मिकों मानो संजीवनी दे दी हो। इसका बहाना बनाकर अधिकारी-कार्मिक टालमटोल करते रहते है।

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