
बीकानेर: इतने लिपिकों की नौकरी खतरे में, ये वजह आई सामने





बीकानेर: इतने लिपिकों की नौकरी खतरे में, ये वजह आई सामने
बीकानेर। बानसूर विधायक देवी सिंह शेखावत की ओर से विधानसभा में पूछे गए एक सवाल से यह खुलासा हुआ है कि अलवर की दो पंचायत समितियों में 9 व बीकानेर में 49 लिपिक ऐसे लिपिक मिले हैं, जिन्होंने दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से कंप्यूटर की डिग्री हासिल की है। पंचायती राज विभाग के मुताबिक लिपिक की नौकरी के लिए यह डिग्री मान्य नहीं है। बताया जा रहा है कि प्रदेश में ऐसे लिपिकों की संख्या करीब 2 हजार हो सकती है। अभी बाकी जिलों से जानकारी आना बाकी है। यदि अन्य जिलों से भी जवाब आ गया, तो सरकार को एक्शन लेना होगा। सरकार खुद ही लिपिक भर्ती की जांच राज्य व जिला स्तर पर करवा रही है।
जनवरी में विधानसभा में बानसूर विधायक देवी सिंह शेखावत की ओर से यह प्रश्न पूछा गया था कि राज्य में पंचायती राज लिपिक भर्ती-2013 के तहत अब तक ऐसे कितने लिपिक नियुक्त हुए हैं, जिन्होंने डीम्ड या निजी विश्वविद्यालयों में दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से कंप्यूटर प्रमाण पत्र हासिल किए हैं। शेखावत ने यह भी पूछा कि सरकार की ओर से इन्हें वर्ष 2017 में बर्खास्त करने के आदेश दिए थे, उसकी पालना अब तक क्यों नहीं हुई? पालना नहीं करने वालों पर क्या कार्रवाई हुई? यह प्रश्न पूछने के बाद पूरे राजस्थान में फर्जी लिपिकों में हड़कंप मच गया। बीकानेर जिले में 49 लिपिक ऐसे मिले हैं जिन्होंने दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से कंप्यूटर डिग्री हासिल की है। अलवर में अभी तक पंचायत समिति गोविंदगढ़ और बहरोड़ में 9 लिपिकों ने दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से कंप्यूटर प्रमाण पत्र लिए हैं। अभी जिले की 14 पंचायत समितियां से सूचना आना बाकी है। ऐसे में अलवर का आंकड़ा भी 60 से ऊपर पहुंच सकता है।
इस तरह दबाए बर्खास्तगी के आदेश
राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश का हवाला देते हुए पहले वर्ष 2017 में और फिर 2018 में एक परिपत्र जारी किया, जिसके तहत इन सभी दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से कंप्यूटर प्रमाण पत्र लेने वालों को नौकरी से बर्खास्त करना था, लेकिन पंचायती राज विभाग ने इन आदेशों को दबा लिया और फर्जी लिपिक 10 साल तक नौकरी करते रहे।

