
‘सन ऑफ सरदार 2 :अजय देवगन के आगे माहौल लूट ले गए रवि किशन, 12 स्टार्स ने हंसी-ठिठोली से उधम मचाया





‘सन ऑफ सरदार 2’ : अजय देवगन के आगे माहौल लूट ले गए रवि किशन, 12 स्टार्स ने हंसी-ठिठोली से उधम मचाया
खुलासा न्यूज़। बॉलीवुड में इन दिनों सीक्वल फिल्मों का दौर है और सुपरस्टार अजय देवगन इसमें सबसे आगे नजर आ रहे हैं। उनकी ‘सन ऑफ सरदार 2’ 1 अगस्त को सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है। यह 2012 में आई ‘सन ऑफ सरदार’ का स्टैंडअलोन सीक्वल है, जिसमें अजय का वही जस्सी रंधावा तो है लेकिन कहानी पूरी तरह नई है।
कहानी क्या है?
जस्सी (अजय देवगन) की पत्नी डिंपल (नीरू बाजवा) लंदन में है, जस्सी पंजाब में वीजा का इंतजार कर रहा है। सालों बाद वीजा मिलते ही जस्सी लंदन पहुंचता है… मगर डिंपल अब किसी और के प्यार में है और जस्सी से तलाक चाहती है। वहीं जस्सी की मुलाकात पाकिस्तानी मूल की राबिया (मृणाल ठाकुर) से होती है, जिसका पति उसे छोड़कर जा चुका है। सबा (रोशनी वालिया) जस्सी की मदद से अपने प्यार गोगी से शादी करना चाहती है—but twist ये कि सबा के पिता राजा संधू (रवि किशन) देशभक्त हैं और नाचने-गाने वालों और पाकिस्तानियों से सख्त नफरत करते हैं। जस्सी खुद भी इमोशनल है और वह सबा के पिता बनने का नाटक करने लगता है, जिससे पूरी कहानी में ट्रैजेडी और कॉमेडी आती है।
मूवी कैसी है?
फिल्म की कहानी में सिचुएशनल कॉमेडी की गुंजाइश थी, लेकिन स्क्रीनप्ले अधपका है। कई जगह पटकथा बिखरी-बिखरी लगती है और लॉजिक की उम्मीद मत पालिए। फिल्म में पुराने जमाने की फूहड़ पंच लाइनें, ठरकी पापा, बिहारी मम्मी या अफीम के ट्रैक जैसे फिकरे हंसी कम, बोरियत ज्यादा लाते हैं। जस्सी के जुड़वां बच्चों का क्या हुआ, यह भी नहीं बताया गया। कई किरदारों और सब-प्लॉट्स को गहराई और स्क्रीन टाइम नहीं मिला।
एक्टिंग
अजय देवगन: अपने स्टारडम से आगे कुछ नया नहीं जोड़ पाए। उनके और मृणाल ठाकुर की केमिस्ट्री भी जमी नहीं। रवि किशन: बेमिसाल काम, कॉमिक टाइमिंग और डायलॉग डिलिवरी में बाजी मारी। दीपक डोबरियाल: ट्रांसवुमन के किरदार में अलग ही छाप छोड़ जाते हैं।
सपोर्टिंग कास्ट: मृणाल ठाकुर, चंकी पांडे, कुब्रा सैत, डॉली आहलूवालिया, नीरू बाजवा थोड़े सीमित दिखे, लेकिन अपनी तरफ से ठीक प्रयास।
टेक्निकल पॉइंट
विजुअल्स और लोकेशन शानदार हैं, क्योंकि डायरेक्टर विजय कुमार अरोड़ा खुद सिनेमैटोग्राफर भी रहे हैं। गाने और उनकी पिक्चराइजेशन निराश करते हैं। फिल्म की एडिटिंग भी कमजोर है।
अगर आप नॉनसेंस, पुराने ढर्रे की बॉलीवुड मसाला कॉमेडी देखना चाहते हैं या अजय देवगन के कट्टर फैन हैं, तो यह फिल्म आपका टाइमपास कर सकती है लॉजिक, नई कॉमेडी या गहरी भावनाओं वाली कहानी की तलाश हो तो निराशा हो सकती है। कुल मिलाकर, ‘सन ऑफ सरदार 2’ एक लाउड, नो-ब्रेनर कॉमेडी है, जिसे बस मस्ती-मजाक और सितारों की भीड़ देखनी है, उनके लिए फिल्म ठीक है। बाकी दर्शकों को इसमें कुछ नया या यादगार नहीं मिलेगा।


