शहर में टूटी पड़ी सड़कें, सीवरेज जाम, सफाई नहीं, रोड़ लाईट नहीं, पार्कों की हालत दयनीय, जर्जर मकान दे रहे हादसे को न्यौता, क्या कर रहें जनप्रतिनिधि ?

शहर में टूटी पड़ी सड़कें, सीवरेज जाम, सफाई नहीं, रोड़ लाईट नहीं, पार्कों की हालत दयनीय, जर्जर मकान दे रहे हादसे को न्यौता, क्या कर रहें जनप्रतिनिधि ?

खुलासा न्यूज, बीकानेर। शहर की कोई ऐसी रोड़ नहीं जो टूटी-फूटी अवस्था में नहीं हो, अधिकांश इलाकें में सीवरेज की समस्या से लोग जूझ रहे हैं, सफाई व्यवस्था तो पिछले लंबे समय से ठप है, न सफाई कर्मी पहुंच रहे है और न ही कचरा उठाने वाली गाडिय़ां, कहीं रोड़ लाईट ठीक-ठाक काम कर रही है, कहीं अंधेरा ही पसरा रहता है, सार्वजनिक पार्क तो दुदर्शा झेल ही रहे हैं, वर्षों पुराने मकान जो हादसे को न्यौता दे रहे हैं, ऐसे में समझ नहीं आ रही कि यहां के जनप्रतिनिधि क्या कर रहे हैं? यह कहना है कि बीकानेर की आमजनता का, जो इन दिनों इन समस्याओं से काफी परेशान है। लोगों का कहना है कि सरकार विकास के मामले में बड़े-बड़े दावे कर रही हैं, परंतु एक भी दावा सही नहीं है। शहर की हालात बद से बदत्तर बने हुए है।

 

शहर के विकास को लेकर बड़े-बड़े बजट प्रस्तावित होने की खबरें जरूर पढ़ते हैं, परंतु यह बजट धरातल पर कहीं नजर नहीं आ रहा है। ऐसे में समझ नहीं आ रहा कि ये बजट आखिर जा कहां रहा है? शहर की सभी सड़के टूटी पड़ी है, जगह-जगह सीवरेज जाम पड़े है, जिसके कारण गंदा पानी गलियों में पसरा रहता है। नाले-नालियों की सफाई नहीं हो रही। वार्ड-मोहल्लों में सफाई कर्मी नहीं पहुंच रहे, कचरे वाली गाड़ी पहले आती थी, लेकिन पिछले लंबे समय से गाड़ी भी नहीं आ रही। गलियों में कचरे के ढ़ेर लगे हुए है, जिनको उठाने के लिए कोई नहीं पहुंच रहा। कहीं रोड़ लाईट जल रही है तो कहीं रोड़ होते हुए भी अंधेरा पसरा रहता है। कहीं तो रोड़ लाईट की जरूरत होते हुए भी लगाई नहीं जा रही। सावर्जनिक पार्कों में विकास के लिए बजट पास होने की लगातार खबरें आ रही है, परंतु एक भी पार्क विकसित होते नजर नहीं आ रहा। शहर में पुराने व जर्जर मकानों के ढहने से पूर्व में कई बार हादसे हुए है, फिर भी प्रशासन कठोर कार्यवाही नहीं कर रहा, केवल नोटिस लेकर मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है। अब बारिश के सीजन में जर्जर मकान खतरे का कारण बने हुए है। बड़े-बड़े खुले पड़े हैं, जिनमें आये दिन पशु गिर कर मर रहे हैं, कई बार तो जनहानि भी हुई है। इन सभी समस्याओं पर न तो प्रशासनिक अधिकारी गंभीरता से ले रहे है और न ही यहां के जनप्रतिनिधि।

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