बीकानेर में नहीं हो रहा विकास, 10 साल पहले भी बारिश में डूबता था शहर और आज भी, परिस्थितियों में कोई बदलाव नहीं

बीकानेर में नहीं हो रहा विकास, 10 साल पहले भी बारिश में डूबता था शहर और आज भी, परिस्थितियों में कोई बदलाव नहीं

– पत्रकार कुशाल सिंह मेड़तिया की कलम से
खुलासा न्यूज, बीकानेर। बीकानेर शहर में होने वाली हर बारिश सरकारों व जनप्रतिनिधियों के दावों की पोल खोलकर रख देती है, बारिश के बाद होने वाली समस्या को देख ऐसा कतई नहीं कहा जा सकता है कि बीकानेर विकासशील शहर है। हालांकि यहां का प्रशासन और जनप्रतिनिधि इस शहर को स्मार्ट सिटी बनाने की बातें कर रहे हैं, लेकिन ये महज केवल बातें ही है। ये हम इस आधार पर कह रहे हैं कि आज से 10 साल पहले भी बारिश में शहर डूबता था और आज भी डूब जाता है। यानि कि शहर को डूबने से बचाने के लिए कोई प्रयास नहीं हुए और ना ही हो रहे। बारिश के पानी की निकासी ही एक मात्र समस्या नहीं है, बल्कि ऐसी कई समस्याएं है जिसको शहरवासी पिछले लंबे समय से झेलते आ रहे है। बारिश के बाद पूरा शहर पानी से जाम हो जाता है, लोग निकलने के लिए गलियां ढूंढते है कि कोई बिना पानी व सुरक्षित गली मिल जाए, ताकि सुरक्षित घर पहुंच जाए। घर पहुंचने के बाद पता चलता है कि बिजली गुल हुए तीन घंटे हो गए, कब आएगी इसका कोई अता-पता नहीं। इसकी व्यवस्था पर भी बड़े शहरों की तर्ज पर प्रयास नहीं हो रहे। इसी तरह, कोटगेट रेलवे फाटक की समस्या, जो आज से 50 साल पुरानी है और आज भी शहरवासियों को परेशानी का कारण बनी हुई है। इसका समाधान करते-करते कई सरकारें आई और गई, कई कलेक्टर बदल गए, कई बार योजना-परियोजनाएं बन गई, लेकिन हुआ कुछ भी नहीं, जैसी थी वैसी ही पड़ी है, हालांकि इतना जरूर किया है कि रेलवे फाटक बंद होने के दौरान लंबे जाम में खड़े लोगों को गर्मी नहीं लगे, इसके लिए टैंट लगवा दिया गया, क्या यह समस्या का समाधान है? हर चुनाव में उम्मीदवार के तौर मैदान में उतरने वाले नेता लोग इस समस्या को चुनावी एजेंडा बनाते है और और कहते हैं कि अगर उनकी सरकार आई और जनता ने साथ दिया तो अबकी बार इस समस्या का समाधान करवा दिया जाएगा, लेकिन झूठे वादे हर बार फैल साबित हो रहे है। क्योंकि चुनाव जीतने के बाद इस पर ध्यान नहीं दिया जा रहा। जिसका परिणाम आमजन भुगत रहा है। इसी तरह, सीवरेज, पानी, चिकित्सा, सड़क, नाला-नालियां, शहर की सफाई व्यवस्था के भी हालात भी बद से बदत्तर है। जो सड़कें आज चौड़ी होनी चाहिए, वो सड़कें अतिक्रमण के चलते और अधिक संकरी होती जा रही है, जिसके कारण यातायात व्यवस्था भी पूरी तरह चरमराई हुई है। शहर पर लगातार यातायात का दबाव बढ़ रहा है, परंतु इस दबाव को कम करने के लिए किसी स्तर पर प्रयास नहीं हो रहे। शहर की मुख्य सड़कों की हालत खराब है। वार्ड, माहौलों व कॉलोनियों की सड़कों व रोड़ लाईटों की पूछों ही मत, हर व्यक्ति परेशान है। कहीं सीवरेज ऊफान मार रहा है तो कहीं लंबे समय से जाम पड़ा है। जिसके कारण पानी गलियों में पसरा रहता है, जो बीमारियों का कारण बना हुआ है। शहर की सफाई व्यवस्था तो राम भरोसे है। बड़ी संख्या में सफाई कर्मचारी नगर निगम के पास है, लेकिन आज भी वार्डों, मोहल्लों व कॉलोनियों में सफाई के लिए नियमित सफाई कर्मचारी नहीं पहुंच रहे। कुछ क्षेत्रों के हालात और अधिक खराब है, जहां पानी निकासी के लिए बनाई गई नालियां धूल-मिट्टी से डटकर नीचे दब गई, अब पता भी नहीं चलता कि यहां कोई नाली भी बनी हुई है। क्या ऐसा ही होता है स्मार्ट शहर? इस टूटी-फूटी और बिगड़ी व्यवस्था में इस शहर को कैसे एक विकासशील शहर कहा जाए? क्या विकासशील शहर की यही परिभाषा है?

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