महात्मा गांधी स्कूलों में इतने हजार से ज्यादा पद खाली, टीचर लगाए भी, फिर भी पद रिक्त

महात्मा गांधी स्कूलों में इतने हजार से ज्यादा पद खाली, टीचर लगाए भी, फिर भी पद रिक्त

महात्मा गांधी स्कूलों में इतने हजार से ज्यादा पद खाली, टीचर लगाए भी, फिर भी पद रिक्त

प्रदेशभर के महात्मा गांधी स्कूलों में साढ़े ग्यारह हजार टीचर्स की पोस्टिंग के बाद भी इतने ही पद खाली पड़े हैं। राज्य में आज से नया सेशन शुरू हो गया है लेकिन अंग्रेजी माध्यम स्कूलों की स्थिति सुधारने के सरकारी प्रयास आधे-अधूरे साबित हो रहे हैं। महात्मा गांधी स्कूलों में इस बार उपलब्ध सीटों से कम आवेदन होने से अधिकांश स्कूलों में सभी को एडमिशन मिल रहा है। रिक्त रही सीटों पर ‘पहले आओ-पहले पाओ’ आधार पर एडमिशन दिया जाएगा। कांग्रेस शासन में स्थापित महात्मा गांधी स्कूलों में शुरूआती सालों में काफी क्रेज रहा। प्राइवेट स्कूल छोड़कर अभिभावकों ने अपने बच्चों को इन स्कूल में एडमिशन दिलाया। प्राइवेट स्कूलों की भारी भरकम फीस से छुटकारा पाकर इन स्कूल में एडमिशन के लिए लॉटरी सिस्टम लागू किया गया। अब इन स्कूल का क्रेज खत्म हो रहा है। ऐसे में उपलब्ध सीटों से भी कम आवेदन हो रहे हैं। हालात ये है कि सरकार ने सेशन शुरू होने से ठीक एक दिन पहले इन स्कूल में टीचर्स की पोस्टिंग की है, जितने टीचर लगाए गए हैं, उतने ही पद अब भी खाली है।

अधिकांश स्कूल में तो प्रिंसिपल ही नहीं
माध्यमिक शिक्षा निदेशालय की ओर से आयोजित परीक्षा में सफल हुए सरकारी टीचर्स को सोमवार को ही पोस्टिंग दी गई। विभाग ने एक साथ 11 हजार 576 टीचर्स को राज्यभर के 3737 स्कूल में लगा तो दिया लेकिन इससे आधी समस्या का निराकरण हुआ। अब तक राजस्थान में 11 हजार 424 पद रिक्त पड़े हैं। दरअसल, इन स्कूलों में 23 हजार पद खाली थे। अधिकांश स्कूल में तो प्रिंसिपल ही नहीं है। शहरी क्षेत्रों के स्कूलों में टीचर्स की भर्ती हुई लेकिन ग्रामीण स्कूलों की हालत खराब है। तीस जून को हुए आदेश में महज 380 स्कूल को ही प्रिंसिपल मिले हैं।

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