एनपीएस व यूपीएस कर्मचारियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ : प्रो. कुंवर

एनपीएस व यूपीएस कर्मचारियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ : प्रो. कुंवर

राजस्थान शिक्षक संघ(शे) का दो दिवसीय राज्य परिषद सम्मेलन सम्पन्न हुआ
शिक्षा की प्रकृति सामूहिक समावेशी व सार्वभौमिक,निजीकरण अनैतिक व अपराध – सिवाच

नई शिक्षा नीति सार्वजनिक शिक्षा को कार्पोरेट घरानों को सौंपने का मसौदा :– प्रो कुंअर

पूंजीवाद कभी संकटों से बाहर नहीं निकल सकता :– सिवाच

जुलाई अगस्त माह में होंगी कार्यशालाए।
खुलासा न्यूज बीकानेर। राजस्थान शिक्षक संघ (शे) के जिलाध्यक्ष सुरेंद्र सिंह भाटी व जिला मंत्री अरुण गोदारा ने बताया राज्य परिषद का सम्मेलन सैंकड़ों शिक्षकों की उपस्थिति में आंदोलन की घोषणा के साथ सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रदेशाध्यक्ष महावीर सिहाग,समाध्यक्ष याकुब खान,महामंत्री उपेद्र शर्मा,प्रदेश मंत्री संजय पुरोहित, उपसभाध्यक्ष रेवंतराम गोदारा के साथ विभिन्न जिलों के प्रदेश सदस्यों की सामुहिक अध्यक्षता में हुआ। प्रदेशाध्यक्ष ने जुलाई व अगस्त माह में हर जिले में दो दिन की कार्यशाला करने की घोपणा करते हुए कहा कि मांगें नहीं मानी तो साझा आंदोलन होगा।
प्रदेश मंत्री संजय पुरोहित व उपसभाध्यक्ष रेवंतराम गोदारा ने आंदोलन मजबूती हेतु समय का बलिदान,ऊर्जा को मुद्दों की समझ पर खर्च करने,वैचारिक मंथन की प्रगति में महत्ता व कार्यकर्ता र्प्रोत्साहन पर बल देने की अपील की।
इस अवसर पर मुख्य वक्ता एसटीएफआई के पूर्व कोषाध्यक्ष एंव हरियाणा अध्यापक के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष शिक्षाविद सत्यपाल सिवाच ने “अच्छी शिक्षा सबके लिए” विषय पर बोलते हुए कहा शिक्षा के साथ व्यक्ति बिना भेदभाव के संवेदनशील इन्सान बनने के साथ समता,संवेदनशीलता व समाजिक सरोकरों को समाहित करे। उन्होंने आंदोलन पर कहा शिक्षक आंदोलन को किस नजर से देखते हैं उस पर सफलता निर्भर करती है। सिवाच ने शिक्षा को मानव समाज के अनुभवों और मूल्यों का भावी पीढी में स्थानांतरण बताते हुए शिक्षा के निजीकरण पर प्रश्न चिह्न लगाया। उन्होंने शिक्षा की प्रकृति को सामुहिक, सार्वभौमिक व समावेशी बताकर इसके निजीकरण को अनैतिक व गैर कानूनी बताया। सिवाच ने गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की वकालत करते हुए शिक्षा को गरीमा व आत्मसम्मान के साथ जीने की समझ देने वाली रीढ,अन्याय का विरोध करने की हिम्मत पैदा करने वाली शक्ति,इन्सानी रिश्तों का हुन्नर सिखाने वाली कला,तथा जीवन में सरलता घोलने वाली जन्म घुट्टी बताया। पूंजीवाद को कभी भी संकटों से बाहर न निकल सकने की भविष्यवाणी करते हुए कहा सार्वजनिक शिक्षा को बचाना ही सही अर्थों में समाज को बचाना होगा।
मुख्य वक्ता दिल्ली वि.वि. के प्रो. राजीव कुँवर ने अपने उद्बोधन में नई शिक्षा नीति की कटु आलोचना करते हुए इसे कोर्पोरेट सरकार द्वारा सम्पत्ति को बङे पूंजीपतियों के हाथों में सौपने की साजिस माना तथा पुरानी पैंशन को कार्मिक की जरूरत बयां कर इसे सामाजिक सुरक्षा मानते हुए एनपीएस व यूपीएस को कर्मचारियों के भविष्य के साथ खिलवाङ बताया। कुंवर ने केन्द्रीकरण, साम्प्रदायीकरण व निजीकरण का विरोध करते हुए शिक्षा को बेचने का आरोप लगाते हुए औद्योगिक घरानों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से छात्र शुल्क वृद्धि व प्रवेश नियमों में बदलाव का उदाहरण दिया।

पाठ्यक्रम में बदलाव की प्रदेश महामंत्री उपेन्द्र शर्मा ने निंदा करते हुए सरकार पर नीजि लाभ व स्वार्थ के लिए पैसे के दुरुपयोग का आरोप लगाया। उन्होंने संगठन मझबूती के लिए सदस्यता को आधार बताते हुए हर शिक्षक तक संगठन की पहुंच ईच्छा शक्ति के साथ सुनिश्चित करने को महत्वपूर्ण बताया।
प्रवक्ता रविंद्र विश्नोई ने बताया कि अधिवेशन में बीकानेर जिले से जिलाध्यक्ष सुरेंद्र सिंह भाटी, जिला मंत्री अरुण गोदारा, प्रदेश मंत्री संजय पुरोहित, प्रदेश उपसभाध्यक्ष रेवंतराम गोदारा,प्रदेश प्रतिनिधि खुमानाराम सारण,रतिराम सारण,बालाराम मेघवाल,महासंघ जिलाध्यक्ष पृथ्वीराज लेघा,हुकमाराम झोरड़,महेंद्र सिंह पंवार,देवेंद्र जाखड़, श्याम देवड़ा, मनीष ठाकुर, शिवकुमार पुरोहित,केसराराम गोदारा, बलवीर गोदारा, सत्यनारायण सियाग, बलराम सियाग, जगदीश नाई, विवेक सेन, बीरबलराम रैगर, जयदीप कस्वां, हेमेंद्र बाना,सोहन कूकणा,गणेश डोगीवाल, राजेश चौधरी, ताराप्रकाश मोयल, देवदत्त अहीर, राजेश तरड़, राजाराम भाम्भू, दयाराम निठारवाल, राजकुमार पूनिया, जयपाल सोनी, विजय सिंह राजपूत, सूरज कुमावत, रामनिवास गोदारा आदि शामिल हुए।

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