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10 जून को भारत बंद का किया आह्वान, इस वजह से लिया ये बड़ा फैसला

10 जून को भारत बंद का किया आह्वान, इस वजह से लिया ये बड़ा फैसला
जगदलपुर। छत्तीसगढ़ के अबुझमाड़ (गुंडेकोट, नारायणपुर/गढ़चिरोली से सटे) जंगलों में 21 मई को मुठभेड़ में माओवादी नेता नंबाला केशव राव उर्फ बसवराजू समेत 27 नक्सलियों की मौत के विरोध स्वरूप, प्रतिबंधित (माओवादी) के केंद्रीय समिति प्रवक्ता ने 10 जून 2025 को राष्ट्रव्यापी भारत बंद का आह्वान किया है।
दरअसल, माओवादी संगठन ने 10 जून को देशभर में बंद का ऐलान किया है। यह बंद उनके शीर्ष नेता गंगना उर्फ बसव राजू की मौत के विरोध में बुलाया गया है। माओवादियों की केंद्रीय समिति ने एक बयान जारी कर केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनके अनुसार, सरकार ने शांति वार्ता और युद्धविराम के प्रस्ताव को नकारते हुए लगातार माओवादी कार्यकर्ताओं के खिलाफ सैन्य अभियान तेज किया है।
केंद्रीय समिति के प्रवक्ता अभय द्वारा जारी पर्चे में कहा गया है कि 21 मई को मुठभेड़ में मारे गए 27 माओवादियों में बसव राजू भी शामिल थे। बसव राजू को माओवादी आंदोलन का शीर्ष रणनीतिकार और महासचिव माना जाता था। माओवादियों का आरोप है कि जनवरी 2024 से अब तक सरकार द्वारा चलाए गए अभियानों में करीब 540 माओवादी मारे जा चुके हैं।
प्रवक्ता ने कहा कि सरकार की इस च्दमनकारी नीतिज् के विरोध में 10 जून को भारत बंद का आयोजन किया जाएगा। इसके साथ ही 11 जून से 3 अगस्त के बीच मारे गए माओवादियों की स्मृति में च्स्मारक सभाएंज् भी आयोजित की जाएंगी।
माओवादी संगठनों द्वारा इस तरह की देशव्यापी अपील और कार्यक्रमों के मद्देनजर सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हो गई हैं। प्रभावित क्षेत्रों में अलर्ट जारी किया गया है और अतिरिक्त सुरक्षाबलों की तैनाती की जा रही है।माओवादी केंद्रीय समिति के प्रवक्ता अभय ने इस मुठभेड़ को गृह मंत्रालय के निर्देश पर की गई पूर्व नियोजित हत्या बताया है। साथ ही, 11 जून से 3 अगस्त तक मारे गए माओवादियों की स्मृति में श्रद्धांजलि सभाएं एवं जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
अभय ने बताया कि मार्च 2025 में न्यायमूर्ति चंद्रकुमार की अध्यक्षता में केंद्र सरकार द्वारा हैदराबाद में शांति वार्ता समिति गठित की गई थी। माओवादियों ने इसका समर्थन करते हुए संघर्ष विराम की घोषणा की थी। 2 महीने तक संगठन ने अत्यधिक संयम बरता, लेकिन सुरक्षा बलों द्वारा अभियान जारी रखे गए। इस अवधि में 85 माओवादी मारे गए, जिससे वार्ता का विश्वास ही टूट गया।
इस बीच आत्मसमर्पण नीति और इससे पैदा होने वाला अवसर माओवादियों के लिए युद्ध विराम का एक रास्ता है। इसलिए पाकिस्तान के युद्ध विराम प्रस्ताव को पल भर में स्वीकार कर लिया गया और हम दो महीने से जो युद्ध विराम प्रस्ताव दे रहे हैं, उसे नजरअंदाज किया जा रहा है, माओवादियों के इस दावे को महाराष्ट्र नक्सल विरोधी अभियान के प्रमुख संदीप पाटिल ने खारिज कर दिया है। संदीप पाटिल ने कहा कि माओवादी ऐसे दावे इसलिए कर रहे हैं क्योंकि माओवादियों के शीर्ष नेता नंबाला केशव राव उर्फ बसव राजू की हत्या के बाद माओवादी बौखला गए हैं।
कौन था नंवबल्ला केशव राव ऊर्फ बसवराजू?
नंवबल्ला केशव राव उर्फ बसवराजू का उम्र करीब 70 साल था और वो श्रीकाकुलम जिले के जियन्नापेटा गांव का रहने वाला था। बसवराजू नवंबर 2018 से सीपीआई माओवादी संगठन का महासचिव था और पिछले 35 सालों से माओवादी संगठन की केन्द्रीय कमेटी का सदस्य था।
बसवराजू एके 47 रायफल साथ रखता है। छत्तीसगढ़, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना और महाराष्ट्र के इलाके में वो सक्रिय है। बता दें कि बसवराजू पर करीब डेढ़ करोड़ रुपये का इनाम घोषित था।

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