
बारूद के ढेर पर है ये भी मार्केट, बारिश के मौसम में इसका अतिक्रमण बनता है आफत






बारूद के ढेर पर है ये भी मार्केट, बारिश के मौसम में इसका अतिक्रमण बनता है आफत
बीकानेर। मदान मार्केट हादसे के बाद नगर निगम अब हरकत में आया है। वर्षों से सिटी कोतवाली क्षेत्र में आवासीय भूमि पर बिना भवन निर्माण स्वीकृति और फायर एनओसी के संचालित हो रहे बाजारों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों पर अब शिकंजा कसना शुरू हो गया है। अब तक 11 प्रतिष्ठानों को नोटिस थमाए जा चुके हैं, जबकि पांच नोटिस और तैयार हैं। निगम की ओर से संकेत दिए गए हैं कि यदि जवाब संतोषजनक नहीं मिला, तो सीज करने की कार्रवाई भी की जा सकती है। लेकिन बीकानेर में ऐसे एक या दो नहीं बल्कि बड़ी संख्या में मार्केट है जहां ये ही हालात बने हुए है। इतना ही नहीं कुछ जगह तो ऐसी है जहां कई-कई फुट तक अतिक्रमण हो रखा है। लेकिन हमारा निगम किसी बड़े हादसे के बाद ही हरकत में आता है। ज्यादा दूर जाने की आवश्यकता ही नहीं है नगर निगम से महज कुछ ही दूरी पर स्थित फर्नीचर मार्केट के हालात भी कुछ ऐसे ही बने हुए है। इन दुकानों का भी ये कहा जाना गलत नहीं है की ये भी बारूद के ढेर पर ही है। बारिश के मौसम में क्या स्थिति होती है, सभी को पता भी है। लेकिन वहां का निरिक्षण करने के लिए क्यों कोई नहीं जाता है। वहां की समस्या का आखिरकार कभी समाधान होगा भी या नहीं। यहां तक की अत्यधिक बारिश होने पर तो स्थिति यह होती है की या तो जूनागढ़ किले की खाई की दीवार टूट जाती है या फिर तोड़ दिया जाता है। गर्मियों के मौसम में हुई बारिश के दौरान भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला। लेकिन उस समय टूटी यह दीवार आज तक भी ठीक नहीं हो सकी है।
अतिक्रमण की भरमार
यहां से गुजरने वाले लोगों को चौतरफा परेशानी का सामना करना पड़ता है। आठ से दस फीट तक अतिक्रमण की भेंट चढ़ी यह सड़क। कई बार तो स्थिति यह हो जाती है की यहां लंबा जाम लग जाता है। इसका मुख्य कारण एक तरफ तो फर्नीचर की दुकाने कई फीट तक आगे आ रखी है वहीं सामने की तरफ यहां से सामान लोड के लिए गाड़ियां खड़ी हो जाती है। इससे आने- जाने का रास्ता एकदम छोटा हो जाता है। दोपहर के समय यहां से स्कूल के बच्चें भी बड़ी संख्या में निकलते है। जबकि कई महीनों पहले यहां संभागीय आयुक्त नीरज के पवन के निर्देशों पर नगर निगम की ओर से अतिक्रमण को हटाने के लिए लाल निशान भी लगाए गए थे। लेकिन उनका स्थानांतरण होने के बाद शायद नगर निगम इन लाल निशानों को ही भूल गया गया। यहां की स्थिति तो अब ये हो गई है की गली के अंदर बिना किसी परमिशन के धड़ल्ले से दुकानों का संचालन हो रहा है। ऊपर घर है और नीचे दुकाने बिना किसी कन्वर्जन के संचालित हो रही है।
हजारों की संख्या में दुकानें
शहर भर में ऐसे कई मकान हैं जहां लैंड यूज परिवर्तन तो कार्मशियल का नहीं कराया मगर काम व्यापार का हो रहा है। हजारों की संख्या में तो लोगों ने घरों में दुकानें खोल रखी हैं। किसी भी दुकान का कार्मिशयल कन्वर्जन नहीं है। गली-मोहल्लों में तो लोगों ने बड़ी बड़ी दुकानों के अलावा कई कॉलोनियों में बड़े बडे व्यापारिक प्रतिष्ठान बिना कन्वर्जन के चल रहे हैं। निगम ने अब सर्वे कराना शुरू किया है। उसके बाद बड़े स्तर पर सीजिंग की प्रक्रिया होगी।
क्या कहते है अधिकारी
इस मुद्दे पर जब खुलासा ने निगम आयुक्त मयंक मनीष से बातचीत की तो उन्होंने ये स्पष्ट किया की अगर गलत है तो कार्रवाई जरूर होगी। उन्होंने बताया कि इसको देखा जाएगा फिर जरुरत के हिसाब से कार्रवाई करेंगे।


