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अचानक ऐसा क्या हुआ कि पूर्व मंत्री भाटी को देना पड़ रहा है धरना

पूर्व मंत्री तो जेल गये अब ये अधिकारी कब जेल जायेंगे:भाटी
भाटी को आखिर क्यों देना पड़ा रहा है धरना, अधिकारियों पर लगाये गंभीर आरोप
बीकानेर। बीकानेर शहर व ग्रामीण इलाकों में पेयजल का भारी संकट आ गया है। लेकिन जिला अधिकारी , जलदाय विभाग व इंगान परियोजना के अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे है और ना ही ग्रामीण इलाकों का दौरा कर रहे है। इससे ग्रामीण इलाकों की पेयजल के बिना स्थित गंभीर हो गई। इस समस्या को लेकर पूर्व सिंचाई मंत्री देवीसिंह भाटी एक बार फिर पूरी ताकत के साथ 8 मई को जिला प्रशासन कार्यालय के सामने धरना देने की घोषणा की है। सोमवार को भाटी ने प्रेसवार्ता कर बताया कि 2023 में इस तरह पानी की समस्या सामने आई तब भी हमने संघर्ष किया उससे समय लिखित समझौते हुए लेकिन इन अधिकारियों ने इस पर अमल नहीं होने दिया। भाटी ने कहा कि अधिकारी अपने ऑफिसों में बैठ कर मीटिंगों में सब तय कर लेते है दौरा नहीं कर रहे है। उन्होंने कहा कि पूर्व मंत्री तो जेल गये है ये अधिकारी जेल कब जायेंगे। भाटी ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र में पेयजल की डिग्गी खाली पड़ी है। पर्याप्त विद्युत आपूर्ति नहीं होने से नलकूप पूरे समय चल नहीं पाते है। खाजूवाला मण्डी क्षेत्र में 2023 में पेयजल संकट के समय खारा पानी वितरण हो रहा था और आज भी खारा पानी सप्लाई होता है, जो कि लोग पी नहीं सकते है, सिर्फ पशु पीते है, यह बड़े शर्म की बात है कि वर्ष 2023 में हमारे धरने में यह बात ध्यान में लाने के बाद भी, आजतक मीठे पानी की योजना नहीं बनी है।
सारे कस्बों में पेयजल का संकट है लेकिन कोई टैंकर आदि से जल आपूर्ति नहीं हो रही है। जल जीवन मिशन विभाग में तो 80 प्रतिशत गांवों में पानी जा ही नहीं रहा है। उदाहरण के लिए कोलायत क्षेत्र में गजनेर, चाण्डासर, गोलरी पूरा मगरा क्षेत्र में कहीं भी जे.जे.एम. से पानी नहीं जा रहा है। सारी योजना विफल है फिर भी जिला प्रशासन कोई जांच नहीं करवा कर, व्यवस्था सुचारू करने का प्रयास नहीं कर रहा है। कोई भी जे.जे.एम. विभाग का अधिकारी ग्रामीण क्षेत्र में नहीं जा रहा है। जिला प्रशासन कुछ भी प्रयास भी नहीं कर रहा है। जन सुनवाई की रात्रि चौपाल का नाटक किया जाता है, समस्या की जड़ में जाने का कोई प्रयास ही नहीं कर रहा है। भाटी ने बी.डी.ए व नगर निगम पर आरोप लगाते हुए कहा कि शहर में तो बहुत भारी पेयजल संकट हो रहा है। 800 रूपये से एक हजार रूपये तक एक-एक पानी के टैंकर का लोग मजबूरी में भुगतान कर रहे है। जबकि बी.डी.ए. (यू.आई.टी.) तथा नगर निगम में पचास-पचास लाख के पेयजल टैंकर वितरण के ठेके हो रखे है लेकिन कहीं भी टैंकर नहीं जा रहे है, कोई जल प्राप्ति रजिस्टर, प्राप्ति के यूजर के हस्ताक्षर भी नहीं लिये जा रहे है। ग्रामीण क्षेत्र में पेयजलटैंकर नहीं पहुंच रहे है, जबकि फर्जी भुगतान किये जा रहे है। जलदाय विभाग के स्टैण्ट-बाई, मोटर पम्प, अतिरिक्त जनरेटर भी नहीं है, जिससे विद्युत संकट में बड़ी योजना सुचारू चलाई जा सके ।विद्युत विभाग के पास भी सहायक अभियन्ता मुख्यालय पर पर्याप्त विभिन्न क्षमता के ट्रांसफार्मर, गाडिय़ां होनी चाहिए ।बीछवाल, शोभासर सुरक्षित जलाशयों में भी बहुत कम पानी बचा है।
जिला कलक्टर को निजी टैंकर की सही दर तय करनी चाहिए। ऐसे पेयजल संकट में जिला प्रशासन की लापरवाही की वजह से राज्य सरकार की बदनामी हो रही है।

 

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