
क्या है सिंधु जल समझौता, भारत के रोक लगाने पर पाकिस्तान में क्या पड़ेगा असर?







क्या है सिंधु जल समझौता, भारत के रोक लगाने पर पाकिस्तान में क्या पड़ेगा असर?
खुलासा न्यूज़। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए बड़े आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़ा रुख अख्तियार कर लिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सीसीएस की बैठक खत्म होने के बाद विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि पाकिस्तान के साथ सिंधु जल समझौता को रोक दिया गया है। साथ ही, 48 घंटे में पाकिस्तानी नागरिकों को भारत छोड़ने का आदेश दिया गया है। वहीं, पाकिस्तान का वीजा रद्द किया गया है। अटारी बॉर्डर को भी बंद करने का फैसला लिया गया है। ऐसे में आइए जानते हैं, क्या है सिंधु जल समझौता?
दरअसल, सिंधु जल समझौता यानी Indus Waters Treaty भारत और पाकिस्तान के बीच एक ऐतिहासिक जल समझौता है, जो 1960 में हुआ था। इसे भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति फील्ड मार्शल अयूब खान ने साइन किया था और इसमें विश्व बैंक ने मध्यस्थ की भूमिका निभाई थी। इस समझौते का उद्देश्य भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु नदी प्रणाली के जल के बंटवारे को लेकर किसी भी तरह के विवाद को शांतिपूर्ण ढंग से हल करना था।
इस समझौते के अनुसार, तीन पूर्वी नदियों ब्यास, रावी और सतलुज का नियंत्रण भारत को, तथा तीन पश्चिमी नदियों सिंधु, चिनाब और झेलम का नियंत्रण पाकिस्तान को दिया गया. पाकिस्तान के नियंत्रण वाली नदियों भारत से होकर पहुंचती हैं. संधि के अनुसार भारत को उनका उपयोग सिंचाई, परिवहन और बिजली उत्पादन के लिए करने की अनुमति है. इसका मतलब है कि जल का 80% हिस्सा पाकिस्तान में चला गया, जबकि शेष 20% जल भारत के उपयोग के लिये छोड़ दिया गया. इस दौरान इन नदियों पर भारत द्वारा परियोजनाओं के निर्माण के लिए सटीक नियम निश्चित किए गए. यह संधि पाकिस्तान के डर का परिणाम थी कि नदियों का आधार (बेसिन) भारत में होने के कारण कहीं युद्ध आदि की स्थिति में उसे सूखे और अकाल आदि का सामना न करना पड़े.
क्या होगा पाकिस्तान पर असर?
यह पहला मौका है जब भारत ने सिंधु जल समझौता पर रोक लगाया है। पाकिस्तान की करीब 80% कृषि सिंचाई सिंधु जल प्रणाली पर निर्भर है। सिंधु जल समझौते पर भारत के रोक लगाने से पाकिस्तान में जल संकट उत्पन्न होगा और इसका असर कृषि पर पड़ेगा। वहीं, सिंधु नदी से जुड़े कई हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट पाकिस्तान में हैं। ऐसे में जल की कमी से इनका उत्पादन प्रभावित होगा और ऊर्जा संकट गहराएगा, जो पाकिस्तान में पहले से ही एक बड़ी समस्या है। वहीं, पाकिस्तान के पंजाब और सिंध क्षेत्रों में लाखों लोग इस नदी प्रणाली पर पीने के पानी के लिए निर्भर हैं।
भारत ने अब तक रखा सब्र
1960 में हुए सिंधु जल समझौते के बाद से भारत और पाकिस्तान में कश्मीर मुद्दे को लेकर तनाव बना हुआ है. हर प्रकार के असहमति और विवादों का निपटारा संधि के ढांचे के भीतर प्रदत्त कानूनी प्रक्रियाओं के माध्यम से किया गया है. इस संधि के प्रावधानों के अनुसार सिंधु नदी के कुल पानी का केवल 20% का उपयोग भारत द्वारा किया जा सकता है. जिस समय यह संधि हुई थी, उस समय पाकिस्तान के साथ भारत का कोई भी युद्ध नहीं हुआ था. उस समय परिस्थिति बिल्कुल सामान्य थी, पर 1965 से पाकिस्तान लगातार भारत के साथ हिंसा के विकल्प तलाशने लगा, जिस में 1965 में दोनों देशों में युद्ध भी हुआ और पाकिस्तान को इस लड़ाई में हार का सामना करना पड़ा. फिर 1971 में पाकिस्तान ने भारत के साथ युद्ध लड़ा, जिसमें उसको अपना एक हिस्सा खोना पड़ा, जो बांग्लादेश के नाम से जाना जाता है. तब से अब तक भारत के खिलाफ पाकिस्तान आतंकवाद और सेना दोनों का इस्तेमाल कर रहा है. मगर भारत ने फिर भी इन नदियों का पानी कभी नहीं रोका.
पाकिस्तान के लिए कैसे झटका
पाकिस्तान में सिंधु, चिनाब, बोलन, हारो, काबुल, झेलम, रावी, पुंछ और कुन्हार नदियां बहती हैं. इसके अतिरिक्त भी यहां कई प्रमुख नदियों का प्रवाह होता है. मगर लाइफलाइन सिंधु नदी है. सिंधु नदी का उद्गम तिब्बत के मानसरोवर के निकट सिन-का-बाब जलधारा को माना जाता है. यहां से यह नदी तिब्बत और कश्मीर के बीच बहती है. नंगा पर्वत के उत्तरी भाग से घूमकर यह नदी दक्षिण-पश्चिम में पाकिस्तान के बीच से गुजरती है. इस नदी का अधिकांश भाग पाकिस्तान को ही मिलता है. साथ ही, घरों में पीने के पानी से लेकर कृषि के लिए इस नदी का अधिकांश पानी ही इस्तेमाल किया जाता है. इसके अतिरिक्त इस नदी पर पाकिस्तान की कई महत्त्वपूर्ण जल विद्युत परियोजनाएं हैं. ऐसे में इस नदी को पाकिस्तान की राष्ट्रीय नदी का भी दर्जा प्राप्त है. अब आप समझ लीजिए कि अगर भारत ने ये पानी रोक दिया तो क्या होगा? पानी बूंद-बूंद को तरस जाएगा.

