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फर्जी वारिस प्रमाण पत्र बना कर संपति नाम करवाने पर महिला सहित तीन अन्य को तीन वर्ष की सजा, रिटायर्ड पटवारी दोषमुक्त

बीकानेर। धोखाधड़ी व कूटरचना के मामले में अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट संख्या 1 के पीठासीन अधिकारी चन्द्रशेखर पारीक ने झूठा वारिस प्रमाणपत्र बनाकर संपति का नामान्तरण वारिस प्रमाण पत्र के माध्यम से खुद के नाम करवाने वाले गंगाशहर निवासी आरोपीगण कन्हैयालाल, लक्ष्मीदेवी, सांवरलाल व बजरंगलाल भाटी को भारतीय दण्ड संहिता की धारा 420, 467, 468, 120(बी) के मामले में तीन वर्ष का कारावास व 27 हजार रूपये के जुर्माने से दण्डित किया है। वहीं सहआरोपी रिटायर्ड पटवारी नत्थुराम को संदेह का लाभ देकर दोषमुक्त कर दिया। मामले के अनुसार गंगाशहर निवासी भंवरलाल भाटी के लाऔलाद स्वर्गवास के पश्चात आरोपीगण कन्हैयालाल, सांवरलाल, लक्ष्मी देवी जो रिश्ते में भंवरलाल के भाई की संताने थी ने लाऔलाद फौत भंवरलाल की संपति को स्वयं के हिस्सा घोषित करने के लिए स्वयं को भंवरलाल के वारिस बताकर झूठा वारिस प्रमाण पत्र बनवाया और भंवरलाल की संपति का नामांतरण इस वारिस प्रामण पत्र के माध्यम से खुद के नाम करवा लिया जबकि भंवरलाल परिवादी लक्ष्मीनारायण के पिता सोहनलाल का भाई था। यदि अभियुक्तगण ऐसा नहीं करवाते तो परिवादी को भी भंवरलाल की संपति में हिस्सा मिलता। जबकि अभियुक्तगण परिवादी के पिता के भाई छगनलाल के पुत्र व पुत्री है जिन्होंने मिथ्या रूप से दस्तावेज का निर्माण करवाकर अपने आपको भंवरलाल की औलाद बताया है। परिवादी की और से पैरवी एडवोकेट रविकांत वर्मा ने तथा रिटायर्ड पटवारी की और से पैरवी एडवोकेट संजय गौतम ने की।

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