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4 महीने में सबसे कम हुई थोक महंगाई,रोजमर्रा की जरूरत की चीजों के दाम घटने का असर

4 महीने में सबसे कम हुई थोक महंगाई,रोजमर्रा की जरूरत की चीजों के दाम घटने का असर
नई दिल्ली। मार्च महीने में थोक महंगाई घटकर 2.05 प्रतिशत पर आ गई है। ये 4 महीने का निचला स्तर है। इससे पहले नवंबर में महंगाई 1.89त्न रही थी। वहीं फरवरी में महंगाई 2.38 प्रतिशत पर थी।
रोजाना की जरूरत के सामान की कीमतों के घटने से महंगाई घटी है। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने आज यानी 15 अप्रैल को ये आंकड़े जारी किए।
थोक महंगाई में मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स की हिस्सेदारी 63.75त्न, प्राइमरी आर्टिकल जैसे फूड की हिस्सेदारी 22.62त्न और फ्यूल एंड पावर की हिस्सेदारी 13.15त्न है। यानी, मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स की महंगाई के ऊपर-नीचे होने का सबसे ज्यादा असर महंगाई दर पर होता है।
रोजाना जरूरत के सामान, खाने-पीने की चीजें सस्ती हुईं
रोजाना की जरूरत वाले सामानों की महंगाई 2.81 प्रतिशत से घटकर 0.76 प्रतिशत हो गई।
खाने-पीने की चीजों की महंगाई 5.94 प्रतिशत से घटकर 4.66 प्रतिशत हो गई।
फ्यूल और पावर की थोक महंगाई दर -0.71 प्रतिशत से बढक़र 0.20 प्रतिशत रही।
मैन्युफैक्चरिंग प्रोडक्ट्स की थोक महंगाई दर 2.86 प्रतिशत से बढक़र 3.07 प्रतिशत रही।
होलसेल प्राइस इंडेक्स का आम आदमी पर असर
थोक महंगाई के लंबे समय तक बढ़े रहने से ज्यादातर प्रोडक्टिव सेक्टर पर इसका बुरा असर पड़ता है। अगर थोक मूल्य बहुत ज्यादा समय तक ऊंचे स्तर पर रहता है तो प्रोड्यूसर इसका बोझ कंज्यूमर्स पर डाल देते हैं। सरकार केवल टैक्स के जरिए ङ्खक्कढ्ढ को कंट्रोल कर सकती है।
जैसे कच्चे तेल में तेज बढ़ोतरी की स्थिति में सरकार ने ईंधन पर एक्साइज ड्यूटी कटौती की थी। हालांकि, सरकार टैक्स कटौती एक सीमा में ही कम कर सकती है। ज्यादा वेटेज मेटल, केमिकल, प्लास्टिक, रबर जैसे फैक्ट्री से जुड़े सामानों का होता है।
होलसेल महंगाई के तीन हिस्से
प्राइमरी आर्टिकल, जिसका वेटेज 22.62 प्रतिशत है। फ्यूल एंड पावर का वेटेज 13.15 प्रतिशत और मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट का वेटेज सबसे ज्यादा 64.23 प्रतिशत है। प्राइमरी आर्टिकल के भी चार हिस्से हैं।
महंगाई कैसे मापी जाती है?
भारत में दो तरह की महंगाई होती है। एक रिटेल यानी खुदरा और दूसरी थोक महंगाई होती है। रिटेल महंगाई दर आम ग्राहकों की तरफ से दी जाने वाली कीमतों पर आधारित होती है। इसको कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (ष्टक्कढ्ढ) भी कहते हैं। वहीं, होलसेल प्राइस इंडेक्स का अर्थ उन कीमतों से होता है, जो थोक बाजार में एक कारोबारी दूसरे कारोबारी से वसूलता है।
महंगाई मापने के लिए अलग-अलग आइटम्स को शामिल किया जाता है। जैसे थोक महंगाई में मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स की हिस्सेदारी 63.75 प्रतिशत , प्राइमरी आर्टिकल जैसे फूड 22.62 प्रतिशत और फ्यूल एंड पावर 13.15त्न होती है। वहीं, रिटेल महंगाई में फूड और प्रोडक्ट की भागीदारी 45.86 प्रतिशत , हाउसिंग की 10.07 प्रतिशत और फ्यूल सहित अन्य आइटम्स की भी भागीदारी होती है।

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