जीवन में भक्ति करनी है तो संतों के जीवन से प्रेरणा लें- श्रीसुखदेवजी महाराज

जीवन में भक्ति करनी है तो संतों के जीवन से प्रेरणा लें- श्रीसुखदेवजी महाराज

बीकानेर। जीवन में भक्तिभाव बना रहे इसके लिए सत्संग जरूरी है, बड़े भाग्य वाला होता है जिसको सत्संग मिलता है। यह उद्गार श्रीसुखदेवजी महाराज ने सोमवार को माखनभोग में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के छठे दिवस पर व्यक्त किए। श्रीसुखदेवजी महाराज ने कहा कि जीवन में भक्ति करनी है तो हमें संतों के जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए। जो भगवत् की शरण में चला जाए उसका काल भी कुछ नहीं बिगाड़ सकता। उन्होंने बताया कि श्रीकृष्ण की परम भक्त मीरा जहां भी रही एकाग्रचित्त होकर केवल श्रीकृष्ण का भजन गाती रहती। मीरा ने दु:ख तकलीफ सहे लेकिन भक्ति से विचलित नहीं हुई और श्रीकृष्ण की शरणागत हो गई। छठे दिवस की कथा में श्रीसुखदेवजी महाराज ने मीरा चरित्र, कंस मर्दन, श्रीकृष्ण-रुक्मिणी विवाह के प्रसंग सुनाए। आयोजन से जुड़े घनश्याम रामावत ने बताया कि यजमान जगदीश सोलंकी ने पौथी पूजन किया तथा श्रीलाल चांडक, जयश्री वैष्णव, भारती वैष्णव, द्वारकाप्रसाद राठी, भंवरलाल चांडक व श्याम करनाणी आदि श्रद्धालु आरती में शामिल रहे। रामावत ने बताया कि विवेकनाथ बगेची के श्रीशिवसत्यनाथजी महाराज ने श्रद्धालुओं को सम्बोधित करते हुए भागवत एवं गुरु महिमा के बारे में बताया। मंगलवार को कथा की पूर्णाहुति हवन के साथ होगी। इससे पूर्व श्रीकृष्ण सुदामा मित्रता सहित अनेक प्रसंगों का व्याख्यान किया जाएगा।

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