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महिलाएं व युवतियों ने रखा सूरज रोटे का व्रत:पीहर की सुख-समृद्धि और खुशहाली की कामना

महिलाएं व युवतियों ने रखा सूरज रोटे का व्रत:पीहर की सुख-समृद्धि और खुशहाली की कामना
बीकानेर । पीहर की सुख समृ​िद्ध के लिए रविवार को महिलाएं और युवतियां सूरज रोटे का रखा। वहीं महिलाएं 18 मार्च को अपने परिवार के लिए आसमाता का व्रत रखेंगी। ज्योतिर्विद पं​िडत टिकू ओझा ने बताया कि धुलंडी के बाद आने वाले पहले रविवार को सूरज रोटे का व्रत रखा है। सूरज रोट के व्रत में भगवान सूर्य का पूजन किया जाता है। जो सूरज रोटे का व्रत विधि विधान से करता हैं वह अपने जीवन में सभी सुख प्राप्त होते हैं। वे बताते हैं कि गणगौर पूजन करने वाली बालिकाओं एवं महिलाओं को सूरज रोट का व्रत रखती है। खेजडी के पेड के नीचे कहानी सुनती है। सूरज रोटे के व्रत में भगवान सूर्य की कहानी सुनते वक्त अलग से रखे हुए पानी से उस दिन की रसोई बनाई जाती है। इस दिन बिना नमक का खाना बनता है। व्रत के दिन एक खास रोटा बनाया जाता है जिसके बीच बने छेद से भगवान सूर्य के दर्शन किए जाते हैं और जल से उन्हें अध्र्य दिया जाता है। सूरज -सूरज दिख्यो, दिख्यो सो ही टूठ्यो कहते हुए लड़कियां पूरी श्रद्धा से सूर्य को जल अर्पित करती हैं। इस व्रत की कथा में कहा जाता है कि भगवान सूर्य ने अपनी भक्त की प्रार्थना सुनकर उसे सवा पहर का पीहर सुख दिया था। मगर पीहर की इसी समृद्धि और सुख को अखंड रखने के लिए आज भी लड़कियां यह व्रत रखती हैं। सूरज रोटे का यह व्रत लड़कियों और महिलाओं के लिए मस्ती और मजे का एक और मौका है जहां वो पूरे दिन हंसी ठिठोली के साथ यह पूजा भी करती हैं।पूजा करने के बाद सूरज भगवान, विनायक महाराज की कथा सुनी जाती है। व्रत करने वाली महिलाएं और युवतियां आटे का रोट बनाकर खाती है। उस रोटे में नमक का इस्तेमाल नहीं किया जाता। व्रत खोलने के लिए सूर्य छिपने से पहले भोजन किया जाता है। बीकानेर में सूरज रोटा व्रत का महत्व यह है कि यह व्रत बेटी के पीहर की सुख-समृद्धि और खुशहाली के लिए किया जाता है, ऐसा माना जाता है कि इससे बेटी के मायके में हमेशा खुशियां बनी रहती है।

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