एमबीबीएस इंटर्न को मिलते हैं मात्र 233 रुपये,सोशल मीडिया पर छेड़ी जंग

एमबीबीएस इंटर्न को मिलते हैं मात्र 233 रुपये,सोशल मीडिया पर छेड़ी जंग

बीकानेर। एमबीबीएस इंटर्न ने अपने इंटर्नशिप के स्टाइपेंड में बढ़ोतरी के लिए सोशल मीडिया पर अभियान चलाया है। इन इंटर्न का स्टाइपेंड 233 रुपये प्रतिदिन है। कोरोना वायरस संक्रमण महामारी के बीच दूरदराज के क्षेत्रों में लोगों की जांच और सर्वेक्षण के लिए प्रतिदिन 10 घंटे से अधिक काम करने के बाद इस वजीफे को कम बताते हुए इन इंटर्न ने ट्विटर #WeDemandStipendIncrement और Intern_Stipend_Badhao पर हैशटैग से अभियान शुरू किया है।

सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज स्टूडेंट यूनियन के अध्यक्ष श्याम सुंदर ने बताया कि 2017 में राजस्थान सरकार ने इंटर्न को दिये जाने वाले वजीफे को 3,500 से बढ़ाकर 7,000 रुपये किया था। हमने अब इसमें और संशोधन के लिये मुख्यमंत्री को एक पत्र लिखा है। उन्होंने कहा कि देश में सबसे कम स्टाइपेंड राजस्थान में दिया जाता है। यदि फीस में हर वर्ष 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी की जा सकती है तो स्टाइपेंड क्यों नहीं बढ़ाया जा रहा है। जोधपुर के स्नातकोत्तर पाठयक्रम के रेजीडेंट चिकित्सक भी इंटर्न के समर्थन में आगे आये है।

मेडिकल इंटर्न शिवम रायका ने ट्वीट किया, ‘केवल हीरो और योद्धा कहना काफी नहीं है। एमबीबीएस इंटर्न को 233 रुपये प्रतिदिन स्टाइपेंड मिलता है क्या यह न्यायोचित है?’ एक अन्य इंटर्न बी एल बिजारनिया ने लिखा है, ‘साढ़े चार साल के अथक प्रयासों और कठिन काम के बदले में आज हमें 233 रुपये प्रतिदिन मिलता है यह सिस्टम के लिये शर्मनाक है।’रायका का कहना है कि
अपने एमबीबीएस पाठयक्रम को पूरा करने के बाद चिकित्सकों को फील्ड के अनुभव के लिये एक साल की परिभ्रामी (रोटेटरी) इंटर्नशिप पर भेजा जाता है उस दौरान संबंधित सरकारों द्वारा उन्हें एक तय स्टाइपेंड दिया जाता है।

इतना मिलता है स्टाइपेंड
एक मेडिकल इंटर्न के अनुसार देशभर में राजस्थान में सबसे कम 7,000 रुपये प्रतिमाह स्टाइपेंड मिलता है। वहीं उत्तर प्रदेश में 7,500 रुपये प्रतिमाह जबकि असम में 30,000 रुपये और हिमाचल प्रदेश में 17,000 रुपये मिलते है। अधिकतर राज्यों में 15,000 रुपये से अधिक स्टाइपेंड मिलता है।

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