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बीकानेर पुलिस ने इतने हार्डकोर अपराधियों की कुंडली को खंगाला,युवाओं को क्रिमिनल बनने से रोकेगी

बीकानेर पुलिस ने इतने हार्डकोर अपराधियों की कुंडली को खंगाला,युवाओं को क्रिमिनल बनने से रोकेगी
बीकानेर। बीकानेर पुलिस हर बार नये आयाम लेकर आ आती है कभी यातायात के नियमों को लेकर तो कभी रात्रि पुलिस गश्त को लेकर तो कभी युवाओं में फैल रही नशे की प्रवृत्ति को रोकने के साधन। इसी क्रम में बीकानेर रेंज में पुलिस अब युवाओं को अपराधी बनने से रोकने का काम भी करेगी। अपराध की शुरुआत करने वाले युवाओं के बारे में जानकारी जुटाकर उनकी स्किल पहचानेगी और रोजगार मुहैया कराएगी।रेंज के बीकानेर, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़ और चूरू जिलों में पुलिस ऐसे युवाओं की लिस्ट तैयार करेगी जो पढ़े-लिखे हैं या काम करने का हुनर रखते हैं। लेकिन, वे हार्डकोर क्रिमिनल के बहकावे में आकर या उनका टूल बनकर या किसी अन्य कारण से अपराध जगत में शामिल होते जा रहे हैं। ऐसे युवाओं को की पूरी जानकारी जुटाने के बाद उनकी स्किल की पहचान कर रोजगार मुहैया कराने का प्रयास किया जाएगा जिससे वे जीवन-यापन कर सके और अपराध की दुनिया में शामिल होने से बच सके।
रेंज स्तर पर यह निर्णय लेने से पहले पुलिस ने चारों जिलों के 18 गैंगस्टर, हार्डकोर क्रिमिनल की कुंडली खंगाली है जिनमें रोहित गोदारा, ऋतिक बॉक्सर, अमरजीत बिश्नोई भी शामिल हैं। उनके घर-परिवार, शुरुआती जीवन, दोस्त-रिश्तेदारों के बारे में जानकारी जुटाई तो सामने आया कि इन अपराधियों के पास भी कौशल था, लेकिन उन्हें सही मार्गदर्शन और रोजगार नहीं मिला जिससे वे दिग्भ्रमित हुए और अपराध लगे। धीरे-धीरे हार्डकोर क्रिमिनल बन गए। इनमें ज्यादातर 18 से 28 साल के युवा शामिल थे। 15 से 17 साल के ऐसे किशोर भी थे जो बड़े गैंगस्टर या हार्डकोर अपराधियों का हथियार बने और अपराध करने लगे।
रोहित गोदारा उर्फ रावताराम स्वामी खेती-बाड़ी परिवार का पेशा रहा। 10वीं कक्षा तक पढ़ाई की और उसके बाद छोड़ दी। लूणकरणसर, जैन मार्केट और गणपति प्लाजा में मोबाइल की पांच दुकानें थी जो खुद ही संभालता था। बाद में दुकानें बेचकर जमीन का काम करने लगा। विवादित जमीनें खाली करवाई और धीरे-धीरे गैंगस्टर बन गया। अब हत्या, फिरौती जैसे गंभीर अपराधों के 15 मुकदमे हैं और पुलिस से बचने के लिए विदेश भाग गया।
सम्पत नेहरा उर्फ बलकारी उर्फ कोच – बीए सैकंड ईयर तक पढ़ाई की। फाइनल ईयर के लिए चंडीगढ़ के डीएवी कॉलेज में दाखिला लिया। वहां चुनावी माहौल में मारपीट की। बाद में दोस्तों के साथ इनोवा गाड़ी लूटी और उसके बाद लगातार अपराध किए। अब 44 मुकदमे दर्ज हैं।
ऋतिक बॉक्सर – जयपुर मालवीय नगर में रहकर पढ़ाई की। बॉक्सिंग हाबी रही। युनिवर्सिटी चुनाव में लड़ाई-झगड़ों के बाद अपराधी बन गया।
दानाराम सियाग – परिवार चूरू के सरदारशहर से लूणकरणसर में शिफ्ट हुआ और बीकानेर में पढ़ाई की। दोस्त की पटवारी से बोलचाल हुई। पटवारी से मारपीट की और मुकदमा दर्ज होने के बाद आदतन बन गया। पहली बार मुकदमा दर्ज हुआ तब नाबालिग था। अब 8 मुकदमे हैं।
अमरजीत उर्फ जाम्बा बिश्नोई – हरियाणा निवासी, लेकिन पिता की आरएसी बीकानेर में नौकरी लगी और यहीं रहने लगे। डूंगर कॉलेज से बीए की और एमए का फार्म भरकर पढ़ाई छोड़ दी। फायनेंस कंपनी में रिकवरी का काम करने लगा और लोगों से विवाद, मारपीट के बाद अपराधी बन गया। अब सात मुकदमे हैं।
अशोक थालोड़ – खाजूवाला में खेतीबाड़ी की जमीन होने के बावजूद वर्ष, 07-08 में फर्नीचर का काम शुरू किया और मुंबई चला गया। वर्ष, 14 में चित्तौडग़ढ़ गया और वहां डोडा-पोस्त के ठेके पर काम करने लगा। डोडा-पोस्त बंद होने पर वापस आ गया और रॉयल्टी ठेके पर रहने लगा। सीकर में मारपीट की और जेल गया। अब 18 मुकदमे दर्ज हैं।
राजेन्द्रसिंह उर्फ राजूसिंह – सुभाषपुरा निवासी जो ग्रेजुएट है। वर्ष, 09 में मारपीट के मामले में जेल गया और वहां अपराधियों से मिलने के बाद कई वारदातें कीं।
नवीन बॉक्सर उर्फ सोनू मेघवाल – हरियाणा के भिवानी में 12वीं पास करने के बाद बॉक्सिंग में गया और अच्छा खिलाड़ी बना। जापान, ब्राजील में भी बॉक्सिंग खेलकर आया। रेलवे में टीटी की नौकरी का ऑफर आया, लेकिन ज्वाइन नहीं की। वर्ष, 17 में गाड़ी लूट मामले में जेल गया और वहां अपराधियों के संगत में आने के बाद आदतन बन गया।
जिनके पास कौशल है, उन्हें मनोवैज्ञानिक तरीके से समझाएंगे : आईजी
बीकानेर रेंज के आईजी ओमप्रकाश का कहना है कि पुलिस का काम अपराध रोकना, अपराधियों को पकडऩा है। नए साल में युवाओं को अपराध जगह में शामिल होने से रोकने का भी प्रयास करेंगे। रेंज के 18 गैंगस्टर और हार्डकोर अपराधियों पर स्टडी करवाई है जिसमें सामने आया है कि उनके पास कौशल था। लेकिन सही मार्गदर्शन नहीं मिला। अगर वे अपने कौशल का सही इस्तेमाल कर पाते तो शायद अपराधी नहीं बनते। वे व्यवसाय में अपनी पहचान बना सकते थे।
अब ऐसे अपराधियों की सूची तैयार करेंगे जो युवा हैं और उनके पास हुनर है। लेकिन, अपराध की दुनिया की तरफ आकर्षित होने लगे हैं। उन्हें मनोवैज्ञानिक तरीकों से समझाया जाएगा। संगठन-संस्थाओं और दानदाताओं के सहयोग से रोजगार दिलाने का प्रयास करेंगे। क्योंकि, प्रारंभ में ही अपराध करने से रोका जा सकता है।

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