
दिल्ली पुलिस की शिकायत पर चार महिलाएं सहित छह लोग गिरफ्तार, जानें क्या है मामला





खुलासा न्यूज नेटवर्क। प्रोसेसिंग फीस के नाम पर ठगी करते श्रीगंगानगर पुलिस ने छह लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। इनमें चार महिलाएं भी शामिल हैं। ये लोग संत कृपाल नगर में एक कॉल सेंटर का संचालन कर रहे थे। इन लोगों ने एक सोशल मीडिया ग्रुप बना रखा था। इस ग्रुप में वे कई तरह के लोन दिलाने संबंधी जानकारियां देते और जानकारी के बाद लोन प्रोसेसिंग फीस के नाम पर 650 से 800 रुपए तक वसूलते। इन लोगों ने देश के कई राज्यों में अपना नेटवर्क फैला रखा था। इन राज्यों में ये लोग फोन के जरिए संपर्क करते और लोगों से प्रोसेसिंग फीस के नाम पर वसूली कर लेते। इन लोगों के पास 34 रजिस्टर मिले हैं, इनमें ठगी के इस लेनदेन का सवा करोड़ रुपए का हिसाब किताब मिला है। अब पुलिस इस मामले की जांच में जुट गई है।
श्रीगंगानगर के एसपी ऑफिस में दिल्ली पुलिस से एक शिकायत मिली। इसमें दिल्ली के एक व्यक्ति से 650 रुपए की ठगी होने की जानकारी सामने आई। दिल्ली पुलिस ने बताया कि पीडि़त से जिस मोबाइल नंबर से संपर्क साधकर ठगी की गई, वह श्रीगंगानगर के कोतवाली थाना क्षेत्र का है। शिकायत मिलने के बाद पुलिस टीम सक्रिय हुई तो यह नंबर संत कृपाल नगर का होने का पता लगा। इस पर कोतवाली पुलिस ने संत कृपाल नगर में दबिश दी। यहां मौके पर एक कॉल सेंटर संचालित होता मिला। इस कॉल सेंटर पर चार महिलाएं और दो पुरुष लोगों से संपर्क साधते और उन्हें फाइनेंस और लोन संबंधी जानकारियां देते। लोन संबंधी जानकारी की प्रोसेसिंग फीस के रूप में 650 से 800 रुपए लोगों से लिए जाते। दिल्ली निवासी से भी यह रुपए लिए गए लेकिन ऐसी कोई लोन संबंधी जानकारी उसे नहीं दी गई। इस पर पीडि़त दिल्ली पुलिस में मामला दर्ज करवा दिया। इस पर आरोपी पकड़ में आए।
मौके से संत कृपाल नगर की रेशमा खातून पत्नी अनिल, नरेश कुमार पुत्र मदनलाल, तीन पुली के पास पारीक कॉलोनी की रहने वाली अनुराधा कुमारी उर्फ खुशबू पत्नी राजेश कुमार, भरतनगर की अनु पुत्री कालूसिंह, रामलाल कॉलोनी का गगनदीप उर्फ मिंटू पुत्र मनोहरलाल और गांव नौ एच संगतपुरा के लवप्रीत उर्फ प्रीत पुत्र सुखदेवसिंह को गिरफ्तार किया है।
रेशमा खातून पहले भी बैंकों और फाइनेंस कंपनियों में काम कर चुकी है। उसे फोन कॉल पर लोन और बीमा करवाने आदि की जानकारी देने का अनुभव है। इसी का लाभ उठाकर वह लोन दिलवाने और बीमा करवाने की जानकारी देती और प्रोसेसिंग फीस के रूप में 650 से 800 रुपए मांगती। हालांकि बाद में जब पीडि़त को कोई लोन आदि नहीं मिलता तो उसे ठगी का पता लगता।
यह मिली सामग्री
मौक से आठ एंड्रॉयड फोन, पांच की पैड फोन, एक लैपटॉप, तीन की बोर्ड, दो माउस, दो एलईडी, एक सीपीयू व प्रोसेस कर लोगों से फीस लेने के हिसाब किताब के 34 रजिस्टर मिले। आरोपियों ने उत्तरप्रदेश, बिहार, गुजरात, उत्तराखंड, महाराष्ट्र के करीब 22 हजार लोगों को लोन दिलाने के नाम पर प्रोसेसिंग फीस लेकर धोखाधड़ी की। एसएचओ पृथ्वीपालसिंह ने बताया कि आरोपियों ने 650 से 850 रुपए तक की राशि रखी ताकि ठगी होने पर भी लोग पुलिस तक नहीं जाए। इन लोगों ने कई राज्यों में अपना नेटवर्क फैला रखा था। मामले की जांच की जा रही है।


