
बीकानेर बीडीए तो बन गया, लेकिन मूलभूत सुविधाओं की लड़ाई आज भी लड़ रहा शहर






खुलासा न्यूज, बीकानेर। बीकानेर बीडीए यानि बीकानेर विकास प्राधिकरण तो बन गया, लेकिन शहर के लोग आज भी मूलभूत सुविधाओं की लड़ाई लड़ रहे है। सीवरेज, ट्रैफिक, आवारा पशु, साफ-सफाई, टूटी-फूटी सड़कें, रेल फाटक, जगह-जगह खुले पड़े सीवरेज के चैंबर व नाले, रोड़ लाईट, अतिक्रमण आदि समस्याओं अभी तक स्थाई रूप से बनी हुई है। बीकानेर को बीडीए घोषित करवाकर नेता वाहावाही तो लूट रहे हैं, लेकिन इन समस्याओं में सुधार हेतु प्रयास नहीं कर रहे है, इसी स्थिति में भले ही चाहे बीडीए बने या फिर कुछ और, आमजन शहर की छोटी-छोटी समस्याओं से आज भी लड़ रहा है। पिछले कई वर्षों से शहर की बड़ी समस्या कोटगेट रेल फाटक को लेकर हर सरकार ने समाधान का आश्वासन दिया, लेकिन आज दिनांक तक इस काम शुरू नहीं हुआ। कई बार प्लान बने, बजट घोषित हुआ, लेकिन नेताओं में आमसहमति नहीं बनने पर आज भी इसका पेंच फंसा हुआ है। कई सरकारें आई और गई, हर सरकार ने इस समस्या का समाधान करने के दावे किया, लेकिन ये सारे दावे फेल हो गए। इसी तरह वर्तमान सरकार के विधायक भी चुनाव के वक्त दावा किया था कि सरकार बनते ही इस पर काम शुरू हो जाएगा, लेकिन आज तक नहीं हुआ। वहीं, शहर के बीडीए बनने पर सभी नेता श्रेय लेने की होड़ में नजर आए, जबकि श्रेय तो शहर की समस्याओं को समाप्त करने का लेना चाहिए था। बीडीए घोषित होने के लेकर जहां कहीं आमजन में चर्चा या बहस होती है तो अधिकांश लोग यही कहते हुए नजर आते है कि बीडीए से आमजन को फायदा कब होगा, परंतु नेताओं को पहले शहर की मूलभूत सुविधाओं में सुधार करने के प्रयास किये जाने चाहिए। शहर आज भी आवारा पशुओं से लड़ाई लड़ रहा है, हर रोज हादसे हो रहे है, कई बार तो इन आवारा पशुओं की वजह से जान भी गई है। बीडीए घोषित कर अपनी पीठ थपथपाने वाले नेता क्या एक गौशाला नहीं खुलवा सकते है?, जिसमें इन आवारा पशुओं को जगह दी जा सके। बीडीए को लेकर वाहवाही लूटने वाले नेता शहर की प्रोपर साफ-सफाई नहीं करवा सकते? शहर की टूटी फूटी सड़कों को ठीक नहीं करवा सकते? खुले पड़े नाले व सीवरेज चैंबर्स को बंद नहीं करवा सकते? शाम होने के बाद अंधेरे में डूबने वाली सड़कों पर रोड लाईट नहीं लगवा सकते? हर गली-मौहल्ले में सीवरेज सिस्टम लागू नहीं कर सकते? बिगड़ी ट्रैफिक व्यवस्था में सुधार नहीं करवा सकते? अतिक्रमण से बिगड़ी शहर की हालत में सुधार नहीं करवा सकते? ड्रेनेज सिस्टम में सुधार नहीं कर सकते? ये सभी सवाल उन नेताओं के इर्दगिर्द घूम रहे है, जो एक काम करवाकर अपनी पीठ थपथपाने में लगे हुए है। लेकिन इन सवालों पर काम कर दिखाने की हिम्मत एक भी नेता हिम्मत नहीं कर पा रहा। बड़े-बड़े दावे कर रहे है और शहर इन दावों के बीच आज भी छोटी-छोटी समस्याओं से जूझ रहा है।


