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शिक्षा निदेशक की आदेशों की उड़ी धज्जियां योग, वार्षिक उत्सव की तैयारी के बहाने बच्चों को बुला रहे है स्कूल

शिक्षा निदेशक की आदेशों की उड़ी धज्जियां
योग, वार्षिक उत्सव की तैयारी के बहाने बच्चों को बुला रहे है स्कूल
बीकानेर। राज्य में सर्दी का प्रकोप अब तेज हो गया है इसको ध्यान मे रखते हुए राज्य के सरकारी व और निजी स्कूलों में 25 दिस.से सर्दी छुट्टिया हो गई। इसके बावजूद भी निजी स्कूलों के संचालकों की हठधर्मिता से छोटे छोटे बच्चों को सुबह से ही शाला में बुलाया जा रहा है। इसकी शिकायत शिक्षा विभाग के पास पहुंची तो निदेशक माध्यमिक सीताराम जाट ने दूसरा आदेश जारी करस्पष्ट किया कि है यदि गैर सरकारी स्कूल द्वारा निर्धारित अवधि में शीतकालीन अवकाश नहीं कियाज जाता है तो उन संचालकों के खिलाफ अधिनियम 1989 नियम 1993 में प्रावधान के अनुसार कार्यवाही की जायेगी। शिक्षा निदेशक ने संबंधित सीडीईओ सहित मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारियों को पाबंद किया गया है। दूसरे आदेश के बाद भी शनिवार को शहर की कई नामी स्कूलों के संचालकों ने शिक्षा निदेशक के आदेशों की धज्जिया उड़ाते हुए सुबह 8:30 बजे से इस ठिठुरती सर्दी में बच्चों को स्कूल बुलाया गया जिसमें कोई स्कूल योग करवा रहा है तो कोई स्कूल वार्षिक उत्सव व कैंप के नाम पर बच्चों को स्कूल बुला रहे है जिससे की अपने स्टाफ को भी इस बहाने शाला में बुला ले और उनके अन्य काम करवा लेंवें। एक अभिभावक ने नाम नही छापने की शर्त बताया कि मेरा बच्चा एक बड़ी स्कूल में पढ़ता है कक्षा सात को विद्यार्थी है लेकिन उसकी स्कूल में गर्मी में कैंप लगा लिये जाते है और शीतकालीन अवकाश में पढ़ाई के अलावा दूसरे कार्यक्रम आयोजित कर बच्चों को बुलाया जाता है और आदेश भी दिया जाता है अगर आपका बच्चा स्कूल नहीं आयेगा तो आगे कक्षा में जाने में दिक्कत हो सकती है। अगर कोई अभिभावक अवकाश के दिनों में बच्चों के साथ घुमने का कार्यक्रम बना ले तो स्कूल के इस तरह के दबाब के आदेश उनके अरमानों पर पानी फेरते है। इस तरह से स्कूल संचालकों द्वारा अभिभावकों पर भी दबाब बनाया जाता है। मजे की बात तो यह है कि बच्चों को स्कूली बस से ना बुलाकर अभिभावकों द्वारा पहुंचने के आदेश दिये जाते है। लेकिन हमारे मुकदर्शन प्रशासन को इस तरह की शिकायत पर गैर करना मना है।
स्टाफ पर दबाब
मजे की बात है गर्मियों हो या शीतकालीन अवकाश या रविवार निजी स्कूलों में स्टाफ को किसी तरह का अवकाश नही दिया जाता है उनको साफ साफ निर्देशा दिये जाते है कि अगर आपने अवकाश रखा तो आपकी सैलरी काट ली जायेगी या आपको बाहर का रास्ता दिखा दिया जायेगा। इस तरह के निर्देशों से बेचारा स्टाफ करें भी तो क्या करें उसको मजबूरी में शाला जाना ही पड़ेगा। जबकि दूसरी ओर सरकारी विद्यालय का स्टाफ अवकाश के दिनों में अपने बच्चों के साथ घुमने व अन्य जगहों पर जाने का कार्यक्रम बनाकर जाते है। निजी स्कूल स्टाफ पूरे साल स्कूल संचालकों द्वारा पीडि़त किया जाता है। दबी आवाज में कहते है कि क्या करें कोई काम है नही इस लिए बैठे है। क्या अधिकारियों की जिम्मेदारी नहीं है कि वो बच्चों के साथ स्टाफ का ध्यान में रखे और स्कूल संचालकों में पाबंद किया जाये कि अवकाश के दिनों व स्टाफ को भी शाला में नहीं बुलाये। कुछ स्कूल संचालकों द्वारा तो पहले सुबह स्कूल में काम करवाया जाता है बाद में अपनी निजी कार्यक्रमों में शामिल होने के लिए भी दबाब बनाया जाता है कि आपको कार्यक्रम में आना ही पड़ेगा क्या ये न्योचित है।

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