
शिक्षा के मंदिर में रिश्वत का खेल, क्या तह तक पहुंचेंगी एसीबी?







खुलासा न्यूज, बीकानेर। मंगलवार को महाराजा गंगासिंह यूनिवर्सिटी में एसीबी की कार्रवाई ने इस सवाल को अधरझूल में छोड़ दिया कि पकड़ी राशि निजी कंपनी का प्रतिनिधि यहां किसे देने लाया था। क्योंकि यह तो संभव ही नहीं कि यूनिवर्सिटी में ऐसा काम हो रहा हो और कोई कर्मचारी इसमें सम्मलित नहीं हो। जबकि मामला तो पूरा का पूरा यूनिवर्सिटी द्वारा जारी टेंडर से जुड़ा है। एसीबी की इस कार्रवाई के बाद आमजन में अब यही ही चर्चा है कि क्या एसीबी उन लोगों तक पहुंचेंगी, जो इस पूरे खेल में शामिल थे या फिर जिसने यह रिश्वत मांग थी। क्या एसीबी इस मामले में तह तक पहुंचकर उन सभी बेगुनाह होकर बैठे गुनहगारों के चेहरे बेनकाब करेगी? क्योंकि मामला बड़ा ही गंभीर है, शिक्षा के मंदिर में इस तरह रिश्वतखोरी का खेल खेलना महाराजाओं के नाम से बनी यूनिवर्सिटी पर बड़ा धबा लगाने वाला है। लोग तो यह भी चर्चा करते हुए नजर आए कि यह तो शिकायत एसीबी को हो गई और मामला सामने आ गया, लेकिन ऐसे और भी कई गलत काम होते होंगे, जो सामने ही नहीं आ पाते। इस मामले में एसीबी की सख्त कार्रवाई होनी चाहिए, ताकि एक संदेश प्रसारित हो कि गलत काम का अंजाम बहुत बुरा होता है।
बता दें कि मंगलवार को महाराज गंगा सिंह यूनिवर्सिटी में खुले आम रिश्वत बांटने का मामला सामने आया है। एसीबी की टीम ने यूनिवर्सिटी के आउट सोर्सिंग का काम देखने वाली कंपनी माइक्रो यूनिट इंफोटेक के कर्मचारी मनोज को हिरासत में लिया है, जिसके कब्जे से सात लाख रुपए जब्त किये। मनोज यूनिवर्सिटी में सात लाख रुपए लेकर पहुंचा था। एसीबी एएसपी आशीष कुमार ने बताया कि टीम को इनपुट था कि ये कर्मचारी रिश्वत के रुपए लेकर आया है। इस पर जब इसकी चैकिंग की तो इसके पास से सात लाख रुपए मिले। ये रुपए किसने भेजे और यहां किसे देने थे, इसकी जांच की जा रही है।


