जेल में गुटबंदी तोडऩे के लिए इतने बंदियों को बीकानेर जेल से दूसरी जेल में भिजवाया गया

जेल में गुटबंदी तोडऩे के लिए इतने बंदियों को बीकानेर जेल से दूसरी जेल में भिजवाया गया

जेल में गुटबंदी तोडऩे के लिए इतने बंदियों को बीकानेर जेल से दूसरी जेल में भिजवाया गया
बीकानेर । जेल में गैंगवार के लिए सुर्खियों में रह चुके केन्द्रीय कारागार बीकानेर में बंदियों की गुटबंदी तोडऩे के लिए आठ बंदियों को दूसरी जेलों में भेजागया है। प्रदेश में सबसे ज्यादा हार्डकोर अपराधी बीकानेर कारागार में बंद है। इनमें कुछ बंदी एक दूसरे के विरोधी गुटों के भी है। ऐसे में जेल प्रशासन ने सुरक्षा के लिहाज से बंदियों को इधर-उधर किया है।
वर्ष 2022 में नागौर की घटना के बाद प्रदेश की जेलों में दो विरोधी गुट के बदमाशों को एक साथ नहीं रखने का अलर्ट जारी किया हुआ है। साथ ही एक गिरोह के सदस्यों को भी अलग-अलग जेल में रखने के निर्देश है। इससे अपराधी संगठित होकर वारदात को अंजाम नहीं दे सकें। बीकानेर सहित नागौर, जोधपुर, जयपुर, हनुमानगढ़, श्रीगंगानगर आदि जेलों में एक-दूसरे विरोधी गुटों के ब ंदियों को शिफ्ट किया गया है।
बीकानेर केन्द्रीय कारागार से आठ बंदियों को दूसरे जिलों की जेल में शिफ्ट किया गया है। छह हार्डकोर बंदियों को हाई सिक्युरिटी जेल अजमेर और दो बंदियों को जोधपुर सेन्ट्रल जेल भेजा गया है।
दो साल पहले 86 बंदी किए थे इधर-उधर प्रदेश की जेलों में बंद हजारों बंदियों में से विरोधी गुटों के एक ही जेल में बंद बंदियों को जेल प्रशासन ने सुरक्षा के लिहाज से इधर-उधर किया था। जेल प्रशासन की मानें तो दो साल पहले प्रदेशभर से एक-दूसरे के विरोधी गुटों के 86 बंदियों को दूसरे जिलों में भेजा गया। गैंग सरगनाओं के अलावा उनके गुर्गों को भी एक जेल व एक बैरक में नहीं रखा जा रहा है।
यह आंतरिक व्यवस्था
जेल में सुरक्षा के मद्देनजर जो मुख्यालय से निर्देश मिलते हैं, उनकी अक्षरश: पालना कराई जाती है। सुरक्षा के लिहाज से आठ ब ंदियों को दूसरे जेलों में शिफ्ट कराया गया है।
सुमन मालीवाल, अधीक्षक बीकानेर केन्द्रीय कारागार

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