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जयपुर में हुए हादसे के बाद बीकानेर कोचिंग संस्थानों में खलबली, कईयों में नहीं सुरक्षा के बंदोबस्त, हादसा हुआ तो कौन होगा जिम्मेदार?

खुलासा न्यूज, बीकानेर। जयपुर में उत्कृष्र्ट कोचिंग सेंटर में रविवार की रात हुए हादसे के बाद बीकानेर शहर में संचालित हो रहे कोचिंग संस्थानों की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सवाल उठने लगे है। दरअसल, जयपुर में उत्कृष्ट कोचिंग सेंटर में अचानक स्टूडेंट्स बेहोश हो गए। जिसमें करीब दो दर्जन से ज्यादा छात्र-छात्राओं की हालत बिगड़ गई। जिन्हें नजदीकी होस्पीटल में भर्ती कराया गया है। इस हादसे के बाद बीकानेर शहर की कोचिंग संस्थानों की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सवाल उठने लगे है। सूत्रों का कहना है कि शहर के कुछ कोचिंग सेंटरों में सुरक्षा संसाधन तो दूर आपात स्थिति में बचाव तक कोई बंदोश्बत नहीं है। सूत्र बताते है कि ऊंची बिल्डिंगों में चल रहे कई कोचिंग सेंटरों में फायर एनओसी तक नहीं है, जो कि स्टूडेंट्स के जीवन के साथ सीधा-सीधा खिलवाड़ है। सूत्र बताते है कि शहर में कितने कोचिंग सेंटर हैं और कितने फायर सेफ्टी के मानकों को पूरा करते हैं, इसकी कोई जानकारी निगम के पास भी नहीं है। दरअसल, नगर निगम सीमा में व्यावसायिक गतिविधि संचालित करने वाले संस्थानों को फायर एनओसी लेना अनिवार्य है। अगर आग से निपटने के मानक पूरे नहीं होते तो फायर एनओसी नहीं मिल सकती है। मगर है बीकानेर में कुछ कोचिंग सेंटर बिना फायर एनओसी के ही चल रहे है। जिन पर प्रशासन भी कार्यवाही नहीं कर रहा। दरअसल, फायर एनओसी के लिए भवन में फायर सेफ्टी सिस्टम, इमरजेंसी एग्जिट का बंदोबश्त होना अनिवार्य है, लेकिन बीकानेर के कई कोचिंग संस्थानों में ऐसे कोई बंदोबश्त नहीं है, जिससे हादसे के वक्त सुरक्षा हो सके है। सूत्रों के अनुसार शहर में छोटे-मोटे कर करीब एक हजार से अधिक कोचिंग सेंटर हैं। इनमें से कुछ सेंटरों को छोड़ दें तो अधिकांश पर फायर सेटी सिस्टम तो छोडि़ए अग्निशमन यंत्र तक नहीं हैं। कई सेंटर ऐसे हैं जिन्हें लकड़ी के जरिए पूरा कवर्ड किया गया है। यहां एक छोटी सी चिंगारी कोहराम मचा सकती है। ऐसे में सवाल उठता है कि मोटी फीस वसूलने के बाद भी सुविधाएं न के बराबर हैं। शहर की कॉलोनियों और रिहायशी इलाकों में ऐसे स्थानों पर बड़े-बड़े कोचिंग संस्थान संचालित हो रहे हैं, जिन तक संकरी गलियों से होकर आगजनी की स्थिति में फायर ब्रिगेड भी नहीं पहुंच पाएगी। हालांकि जिला कलेक्टर नम्रता वृष्णि ने पिछले दिनों नगर निगम और नगर विकास अधिकारियों को कोचिंग सेंटरों का निरीक्षण करने के निर्देश दिए थे, लेकिन अधिकारियों ने कोचिंग सेंटरों की तरफ झांककर भी नहीं देखा। जय नारायण व्यास कॉलोनी में तो कई कोचिंग सेंटर तीसरी चौथी मंजिल पर चल रहे हैं। यहां तक पहुंचने के लिए सैकड़ों छात्र सीढिय़ों के सहारे ही आनाजाना करते हैं। ऐसे में अगर कोई बड़ा हादसा हो गया तो फिर इसका जिम्मेदार कौन होगा? नगर निगम व जिला प्रशासन को समय रहते शहर में संचालित हो रहे कोचिंग संस्थानों की जांच करनी चाहिए, तो तय मानकों पर खरा नहीं उतरते है, उनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्यवाही करनी चाहिए।

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