भूख हड़ताल का दसवां दिन, विभाग की अनदेखी के चलते बढ़ रहा आक्रोश, आंदोलनकारियों ने की अपील

भूख हड़ताल का दसवां दिन, विभाग की अनदेखी के चलते बढ़ रहा आक्रोश, आंदोलनकारियों ने की अपील

खुलासा न्यूज, बीकानेर। प्रदेश के एकमात्र आवासीय खेल संस्थान सादुल स्पोर्ट्स स्कूल में फैली अव्यवस्थाओं और खिलाडिय़ों के साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ क्रीड़ा भारती और खिलाडिय़ों द्वारा शुरू की गई भूख हड़ताल आज दसवें दिन भी जारी है। खिलाडिय़ों की मांगे जायज और स्पष्ट हैं, लेकिन अब तक प्रशासन और शिक्षा विभाग की ओर से इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। वार्ताओं का सिलसिला जारी रहा, लेकिन हर बार यह वार्ताएं निष्फल साबित हुईं, जिससे हड़ताली खिलाडिय़ों के बीच नाराजगी बढ़ती जा रही है।

दस दिनों से जारी है संघर्ष, पर प्रशासन मौन

दस दिनों से भूख हड़ताल पर बैठे क्रीड़ा भारती के सदस्यों ने सादुल स्पोर्ट्स स्कूल में सुधार और न्याय की गुहार लगाई है। उनकी मांगें स्पष्ट हैं—खेल के लिए जरूरी बुनियादी सुविधाओं का विकास, छात्रों के अधिकारों की रक्षा, पारदर्शी प्रशासन और भ्रष्टाचार का खात्मा। लेकिन अफसोस की बात यह है कि शिक्षा विभाग और सरकार ने अब तक इन मुद्दों को हल करने की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया है।

प्रशासन की उदासीनता से भड़का आक्रोश

खिलाडिय़ों और क्रीड़ा भारती के धैर्य और दृढ़ता के बावजूद, प्रशासन और शिक्षा विभाग का उदासीन रवैया न केवल खिलाडिय़ों को निराश कर रहा है, बल्कि जनता में भी गहरी नाराजगी पैदा कर रहा है। स्थानीय नागरिकों, पूर्व छात्रों, और खेल प्रेमियों का मानना है कि सादुल स्पोर्ट्स स्कूल जैसे प्रतिष्ठित संस्थान में व्याप्त भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन को लेकर सरकार की अनदेखी माफ करने योग्य नहीं है।

सादुल स्पोर्ट्स स्कूल: एक गौरवशाली इतिहास पर संकट

दानवीर सिंह भाटी ने कहा कि सादुल स्पोर्ट्स स्कूल जिसने दशकों तक प्रदेश को कई प्रतिष्ठित खिलाड़ी दिए हैं, आज अपनी पहचान और गरिमा बचाने के लिए संघर्ष कर रहा है। खिलाडिय़ों को उचित सुविधाएं नहीं मिल रही हैं, खेल के संसाधनों की कमी है, और प्रबंधन में पारदर्शिता की कमी ने इस संस्थान को गर्त में धकेल दिया है। यह सिर्फ एक स्कूल की समस्या नहीं, बल्कि प्रदेश के खेल भविष्य का सवाल है।

हर स्तर पर संघर्ष, लेकिन समाधान नहीं

क्रीड़ा भारती ने प्रशासन और शिक्षा विभाग के साथ कई वार्ताएं कीं। लेकिन हर बार यह वार्ताएं अधूरी रह गईं, और खिलाडिय़ों की मांगों को गंभीरता से नहीं लिया गया। दस दिनों की इस हड़ताल में खिलाडिय़ों की शारीरिक स्थिति भी कमजोर हो रही है, लेकिन उनके हौसले बुलंद हैं। उन्होंने साफ शब्दों में कहा है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, आंदोलन जारी रहेगा।

जनता का समर्थन और बढ़ता दबाव

भैरु रतन ओझा ने काहा की सादुल स्पोर्ट्स स्कूल के बाहर चल रहे इस आंदोलन को आम जनता, स्थानीय संगठनों, और खेल प्रेमियों का भरपूर समर्थन मिल रहा है। प्रदर्शन स्थल पर लोगों की लगातार बढ़ती उपस्थिति प्रशासन के लिए एक सख्त चेतावनी है। यह साफ हो चुका है कि अब जनता इस मामले पर चुप नहीं बैठेगी।

सरकार के लिए गंभीर चेतावनी

भाटी ने काहा की भूख हड़ताल के दस दिन पूरे होने के बावजूद, अगर शिक्षा विभाग और प्रशासन ने अब भी इस मुद्दे पर ध्यान नहीं दिया, तो आंदोलन और भी उग्र हो सकता है। उन्होंने संकेत दिए हैं कि इस आंदोलन को प्रदेशव्यापी बनाने की योजना पर विचार हो रहा है। क्रीड़ा भारती ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि यह संघर्ष सिर्फ सादुल स्पोर्ट्स स्कूल तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि प्रदेश के हर खेल संस्थान और खिलाड़ी के हक की लड़ाई बन जाएगा।

आंदोलनकारियों की अपील: खेल और खिलाडिय़ों के भविष्य के लिए खड़े हों

क्रीड़ा भारती और भूख हड़ताल पर बैठे खिलाडिय़ों ने प्रदेशवासियों से अपील की है कि वे इस आंदोलन का हिस्सा बनें। उन्होंने कहा कि सादुल स्पोर्ट्स स्कूल का संरक्षण केवल एक संस्थान को बचाने की लड़ाई नहीं है, बल्कि यह प्रदेश के खेल गौरव और भविष्य को बचाने का संघर्ष है।

संवेदनहीनता का अंत कब?

सरकार और प्रशासन के लिए यह समय है कि वे इस मुद्दे को गंभीरता से लें। अगर सादुल स्पोर्ट्स स्कूल जैसे संस्थान के लिए लड़ रहे इन खिलाडिय़ों की आवाज को नजरअंदाज किया गया, तो यह न केवल खेल के क्षेत्र में, बल्कि समाज में भी सरकार की संवेदनहीनता को उजागर करेगा।

दस दिनों की इस भूख हड़ताल ने यह साबित कर दिया है कि खिलाड़ी अपने हक के लिए लडऩे के लिए तैयार हैं। अब सवाल यह है कि क्या प्रशासन और सरकार भी उनकी उम्मीदों पर खरा उतरने के लिए तैयार है?

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