
शिक्षक संघ राष्ट्रीय ने लगाया आरोप अधिशेष शिक्षकों के समायोजन निर्देशों में भारी विसंगतियां






शिक्षक संघ राष्ट्रीय ने लगाया आरोप अधिशेष शिक्षकों के समायोजन निर्देशों में भारी विसंगतियां
उदयपुर। सत्ता परिवर्तन के बाद शिक्षकों के समायोजन हेतु पदों के आवंटन एवं उनकी वित्तीय स्वीकृति को लेकर शिक्षा विभाग में अनिश्चितता का माहौल बनाए जाने पर राजस्थान शिक्षक संघ राष्ट्रीय ने अधिकारियों की ओर से सरकार एवं विभाग को बदनाम करने का षड्यंत्र बताया।
प्रदेश महामंत्री महेन्द्र कुमार लखारा ने बताया कि आज संगठन के प्रदेश अध्यक्ष रमेश पुष्करणा ने मिडिया से रूबरू होते हुए कहा की गत कई माह से शिक्षकों के समायोजन की प्रक्रिया को लेकर शिक्षा विभाग में विसंगतियों से परिपूर्ण निर्देशों को जारी कर अधिकारियों ने शिक्षकों का शिक्षण कार्य से ध्यान हटाकर समायोजन की ओर केंदित कर विधार्थियों को शिक्षा से वंचित करने का कार्य करते हुए सरकार को बदनाम करने का भयावह कुचक बताते हुए जारी निर्देशों की विसंगतियों को दूर करने हेतु हस्तक्षेप करने की मांग माननीय मुख्यमंत्री शिक्षामंत्री से की है।
श्री पुष्करणा ने कहा कि अधिकारी बिना पदों की वितीय स्वीकृति के अधिशेष शिक्षकों की गणना मनमानी तरीके से करवाकर विभाग में असंमजसता के माहौल को लगातार बढ़ावा दे रहे है जिससे शिक्षकों में भयकर आक्रोश है।
प्रदेश वरिष्ठ उपाध्यक्ष रवि आचार्य ने बताया कि प्रदेश अध्यक्ष ने संगठन का मत रखते हुए कहा कि सरकार को चाहिए कि काफी समय से 30000 से अधिक पदों की लम्बित वित्तीय स्वीकृति जारी करे तथा माध्यमिक शिक्षा में स्टाफिंग पैटर्न से पदों की गणना करवाए जिससे आवश्यकतानुसार विद्यालयों में विधार्थियों को शिक्षक मिल सके शिक्षण व्यवस्था सुचारू होने के साथ ही वेतन व्यवस्था का स्थाई निस्तारण भी हो सकेगा
पुष्करणा ने कहा कि शिक्षा विभाग के अधिकारी यह भी तय नहीं कर पा रहे हैं की किस विद्यालय में कितने पद किस नियम निर्देशों से स्वीकृत या संभावित माने। किसे अधिशेष मानेंगे किसे सभावित मानने है और किसे कार्यरत मानने है सभी में अलग अलग सुविधानुसार नीति अपनाई जा रही है।
पुष्करणा ने कहा की शिक्षकों की भावनाओं बालकों के हितार्थ को अनसुना करते हुए शिक्षक संगठनों से बिना चर्चा कर अधिशेष शिक्षकों के समायोजन को लेकर अनेको बार बनाए जा रहे नीति निर्देशों को बार बार स्थगित करने पड़ रहे है।
पुष्करणा ने कहा कि अधिकारी अहम भाव रखते हुए संवादहीनता के साथ अधिशेष शिक्षकों का समायोजन करने पर तुले हुए है। अधिकारियों की गलती एवं मनमाने निर्णयो के कारण शिक्षकों के बीच सरकार बदनाम हो रही है जिस पर समय रहते सरकार को ध्यान देते हुए सर्वहितकारी निर्णय हेतु हस्तक्षेप कर जारी विसगतिपूर्ण निर्णयो पर पुर्नविचार करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि पूर्व में भी अधिशेष शिक्षकों का समायोजन हुआ है लेकिन पदों के आवंटन एवं उनकी वितिय स्वीकृति की स्थिति स्पष्ट थी वहीं आज पदों के आवंटन एवं वितीय स्वीकृति स्थिति अस्पष्ट है। पूर्व में हुए समायोजन में पहले कार्यरत विद्यालयों में समायोजित की बाद अधिशेष की गणना की जाने से विवाद की स्थितियां नहीं बनी। वर्तमान में
विभाग कहीं पर स्टाफिंग पैटर्न की नीति, कहीं पर समानीकरण की नीति, कही पर स्वीकृत पदो पर कार्यरत को रखते हुए अन्य मापदडों से गणना करने के अलग अलग मापदंड से समायोजन कर अपनी उपलब्धि के नाम पर विभागीय आंकड़ों को पूर्ण करने के उद्देश्य से अधिशेष शिक्षकों के समाधान की नीति अपनाई हुए है जिसे शिक्षक संघ राष्ट्रीय सहन नहीं करेगा।
वर्तमान में अधिकारियों ने शिक्षक संगठनों को विश्वास में लिए बिना अनेको बार अधिशेष की गणना एवं समायोजन के लिए नीति निदेशो को जारी किये है जारी नीति निर्देशों में विसंगतियां खामियां रखी गई जिस कारण से बार बार स्थगित भी करना पडा है। वर्तमान में भी 14 नवंबर को जारी निर्देशों में 30.4.2015 के निर्देश के अनुसार अधिशेष का समाधान करने के निर्देश जारी किए गए उसमें भी कहा गया है की जो पद स्वीकृत है तथा शिक्षक कार्यरत है उन्हें नहीं छेड़ा जाए और शेष के लिए 2015 की नीति निर्देशो को मान्य किया जाए ऐसी स्थिति में विभाग द्वारा अलग अलग मापदंड रखे जाने से विभागीय अधिकारियों में भी असमानता की स्थिति उत्पन्न हो रही है
विभाग द्वारा कक्षा 1 से 12 तक कला वर्ग तीन व्याख्याता के पद के साथ-साथ हिंदी और
अंग्रेजी अनिवार्य व्याख्याता के पद 80 से अधिक नामांकन पर दिए जाने का प्रावधान है वहीं द्वितीय श्रेणी के पांच पद विषय के और एक हेडटीचर पद के साथ-साथ एल 2 के तीन पद हिंदी. सा ज्ञान, अंग्रेजी और एल 1 के तीन पद देने का प्रावधान है लेकिन सरकार ने कुछ विद्यालयों में लेवल वन और लेवल 2 के 2-2 स्वीकृत किए तो कहीं पर द्वितीय ग्रेड के पांच स्वीकृत किए गए तो कहीं तृतीय ग्रेड के पद स्वीकृत ही नहीं किए गए। ऐसी स्थिति में विभागीय अधिकारियो में विरोधाभास की स्थिति उत्पन्न हो रही है क्योंकि 2015 के नियम अनुसार तृतीय श्रेणी में 3 तथा द्वितीय श्रेणी में पांच पद माने जाने हैं व्याख्याता श्रेणी में तीन एच्छिक और दो अनिवार्य विषय अंग्रेजी एवं हिंदी के पद संभावित होते हैं वहीं दूसरी ओर वर्तमान में जहां पर पद स्वीकृत है वहां पर मौन रहने के निर्देश दिया जाना ही विसंगतिपूर्ण है चाहे वह 2015 के निर्देशन का उलंघन ही क्यों न हो इस प्रकार दौहरा मापदंड विभाग द्वारा अपनाया जाकर शिक्षकों में सरकार को बदनाम करने की साजिश रची जा रही है जिसे शिक्षक संघ राष्ट्रीय द्वारा सहन नहीं किया जाएगा।
विभाग द्वारा महात्मा गांधी विद्यालयों में नियमित शिक्षकों के स्थान पर संविदा शिक्षकों को नियमित मानकर अधिशेष के नाम पर नियमित शिक्षकों को इधर उधर कर रही है यहीं आचार संहिता से पूर्व खोले गये महात्मा गांधी विद्यालयों में अंग्रेजी माध्यम में न्यून नामाकंन होने पर भी हिन्दी माध्यम के शिक्षकों को अधिशेष किया जा रहा है। महात्मा गांधी विद्यालय में 2022 में इंटरव्यू से चयनित कार्यरत कार्मिकों को अधिशेष कर संविदा भर्ती शिक्षकों को वहीं कार्यरत रखने की विसंगतिपूर्ण नीति अपनाई जा रही है जिससे भी असंतोष है ऐसी नीति से नियमित शिक्षक नियमित पद से हटेगा और संविदा शिक्षक नियमित पद पर कार्य करेगा ऐसी भी अनेक विसंगतिया है लेकिन विभाग उन सभी विसंगतियों को दरकिनार कर रहा है जिस पर समय रहते ध्यान देने की आवश्यकता है।
प्रारम्भिक शिक्षा के अधिशेष शिक्षकों को प्रारंभिक शिक्षा विभाग में ही क्यों समायोजन किया जा रहा है उन्हें माध्यमिक शिक्षा के उच्च माध्यमिक विद्यालय में रिक्त पदों पर समायोजन क्यों नहीं किया जा सकता इस बारे में दिशा निर्देश मौन है वही माध्यमिक शिक्षा में पद रिक्त नहीं होने की स्थिति में माध्यमिक से प्रारंभिक शिक्षा में शिक्षकों को लगाए जाने की बात भी मौखिक रूप से कहीं जा रही है। सरकार एक तरफ पारदर्शी और स्वच्छ सुशासन के लिए कृत संकल्पित होकर कार्य कर रही है
वहीं दूसरी ओर विभाग सरकार के इस संकल्पित भाव को तोड़ते हुए पारदर्शी नीति को दरकिनार कर मनमाने तरीके से पदस्थापन करने को बढ़ावा देते हुए काउंसलिंग पद्धति को दरकिनार करते हुए कार्य कर रहा है।
2015 के समानीकरण निर्देशों में एल 2 हिंदी,अंग्रेजी एवं सामाजिक के पद है लेकिन स्टाफिंग पैटर्न
नियम में हिंदी और सामाजिक विज्ञान की जगह गणित विज्ञान और अंग्रेजी के पद दिए गए ऐसी स्थिति में विरोधाभास स्थिति बन रही है इसमें भी नियम अस्पष्ट है। 2015 के जारी निर्देशानुसार सभी संकाय की सीनियर सेकेंडरी स्कूलों में शारीरिक शिक्षक का पद भी निर्धारित है नियम अनुसार उक्त विद्यालय में नामांकन के आधार पर द्वितीय श्रेणी शारीरिक शिक्षक पद देने का प्रावधान है इस पर भी विभाग द्वारा जारी दिशा निर्देशों में अनिश्चितता की स्थिति है।
विभाग एक तरफ कह रहा है कि एक से पांच में डेढ़ सौ से अधिक छात्रों होने पर हैडटीचर
वरिष्ठ अध्यापक रखा जाएगा तथा 50 प्रतिशत पद वरिष्ठ अध्यापक सामाजिक के लिए आवंटित होंगे लेकिन विभागीय अधिकारियों द्वारा हेडटीचर का पद नहीं मानकर वहां से वरिष्ठ अध्यापक सामाजिक को अधिशेष मानकर अन्य स्थानों पर भेजने को आमादा है वर्तमान में सीनियर सेकेंडरी स्कूलों में कला संकाय होने की स्थिति में वरिश्ठ अध्यापक सामाजिक इस नियम अंतर्गत अधिशेष हो रहे हैं जिस पर भी सरकार को ध्यान देना चाहिए। विभाग शिक्षा शिक्षक के साथ न्याय संगत निर्णय नहीं कर शिक्षक को मानसिक रूप से परेशान करने में लगा है।
पुष्करणा ने कहा कि संगठन का मत है कि विभाग को चाहिए कि पहले वह जिन-जिन का समायोजन करना चाहता है उनका समायोजन पहले स्वीकृत पदों पर करें उसके बाद अधिशेष की गणना करें तभी सही स्थितियां स्पष्ट हो सकेगी तथा अलग-अलग नियमों से गणना एवं समायोजन नहीं करते हुए एक नियम से विभाग कार्रवाई करें तो निश्चित ही विभाग हित में होगा।
संगठन सरकार से मांग करता है कि अभिशेष व समायोजन योग्य शिक्षकों की शिक्षक व शिक्षार्थी हित में बनाये जाने वाले दिशानिर्देश से पूर्व संगठन से बातचीत कर जारी करे। जिससे शिक्षा के क्षेत्र में हो रही उहापोह की स्थिति समाप्त की जा सके। अन्यथा संगठन को आन्दोलनात्मक कदम उठाने पर विवश होना पड़ेगा।


