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बंद फैक्ट्रियों का निरीक्षण: पूरे जोन में रास्तों पर पानी का छिड़काव कर धूल को दबा दिया

बंद फैक्ट्रियों का निरीक्षण: पूरे जोन में रास्तों पर पानी का छिड़काव कर धूल को दबा दिया

बीकानेर। पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की टीम ने खारा औद्योगिक क्षेत्र में गांव के पास मिनरल जोन का जायजा लिया। हालांकि उनके पहुंचने से पहले ही पीओपी की सभी 40 फैक्ट्रियों को रात ही बंद कर दिया गया था। पूरे जोन में रास्तों पर पानी का छिड़काव कर धूल को दबा दिया गया। पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के चीफ इंजीनियर प्रेमालाल और दो वैज्ञानिकों का दल मंगलवार देर रात अचानक खारा पहुंचा। उनके आने की सूचना इंडस्ट्रीज मालिकों को लगने के कारण फैक्ट्रियों को बंद करवा दिया गया था। इसलिए मिनरल जोन में वे फैक्ट्रियों से निकलने वाले धुएं से प्रदूषण के हालात नहीं देख सके। यह दल बुधवार सुबह फिर से खारा पहुंचा। तब तक मिनरल जोन के रास्तों में जमा धूल को पानी छिड़कर दबाया चुका था। धूल, गर्द को ढंकने के लिए फैक्ट्रियों की भटि्टयों की चिमनियों पर भी पानी का छिड़काव किया गया है।

उन्होंने एक फैक्ट्री पर लगी गैस भट्टी को देखा। फैक्ट्री से निकलने वाले धुएं को कम करने, पर्टिकुलेट मैटर को चिमनी में ही खत्म करने के मुद्दों पर फैक्ट्री मालिकों से चर्चा की। प्रोडक्शन की कार्यप्रणाली को समझा। गैस भट्टी के लिए एक साथ 30 कमर्शियल सिलेंडर लगाए गए हैं। इनके लगातार 9-10 घंटे चलने पर 30 टन के प्रोडक्शन का अनुमान लगाया गया है। हालांकि, यह काफी महंगा पड़ेगा। पर फैक्ट्री मालिकों का दावा है कि इससे प्रदूषण काफी कम हो जाएगा। दल में अधीक्षक वैज्ञानिक अधिकारी मनोज मीणा और वैज्ञानिक अधिकारी महेश मालव ने सभी तकनीकी पहलुओं का जायजा लिया। उन्होंने प्रदूषण कम करने के लिए कई तरह के उपायों पर भी चर्चा की। प्रदूषण को कम करने से संबंधित जरूरी हिदायतें भी दीं। खारा उद्योग संघ के अध्यक्ष परविंद्र सिंह सहित कई उद्यमी इस दौरान मौजूद रहे। ग्रामीणों ने कहा कि सरसों की पल्लर सस्ती पड़ती है, इसलिए सभी फैक्ट्रियों में भट्टियां इसी से चल रही हैं और प्रदूषण फैलने का कारण भी यही है। उन्होंने पल्लर के उपयोग पर पाबंदी लगाने की मांग बोर्ड से की है। गौरतलब है कि खारा गांव में वायु प्रदूषण के कारण बच्चे और बुजुर्ग अस्थमा से पीड़ित हो रहे हैं।

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