बीकानेर में 6,112 बीघा के फर्जी आवंटन से सबक, सरकारी जमीनों के रूपांतरण पर अब नजर रखेगी 4 सदस्यीय जिला स्तरीय कमेटी

बीकानेर में 6,112 बीघा के फर्जी आवंटन से सबक, सरकारी जमीनों के रूपांतरण पर अब नजर रखेगी 4 सदस्यीय जिला स्तरीय कमेटी

बीकानेर में 6,112 बीघा के फर्जी आवंटन से सबक, सरकारी जमीनों के रूपांतरण पर अब नजर रखेगी 4 सदस्यीय जिला स्तरीय कमेटी
श्रीगंगानगर। राज्य सरकार ने बीकानेर जिले में 6,112 बीघा वन विभाग व अन्य सरकारी जमीन का नियम विरुद्ध भू रूपांतरण (इंतकाल) कर फर्जी तरीके आवंटित करने की बड़ी गड़बड़ी से सबक लिया है। अब राज रकबा घोषित जमीन का नामांतरण गैर सरकारी खातेदार के नाम करने में पटवारी से तहसीलदार तक की भूमिका सीमित नहीं रहेगी। इसकी निगरानी करने व गड़बडिय़ां रोकने के लिए राज्य सरकार ने कलेक्टर की अध्यक्षता में जिला स्तरीय कमेटी गठित कर दी है। राजस्व विभाग की ओर से जिला स्तर पर गठित राजकीय भूमि नामांतरण परामर्श समिति (जीएलएमएसी) के पास सरकारी जमीन के नामांतरण का केस भेजना जरूरी होगा। इससे हरी झंडी मिलने के बाद ही नामांतरण प्रक्रिया हो सकेगी। यहां तक कि 90 बी कार्रवाई के बाद जमीन वापस लेने की प्रक्रिया में भी जीएलएमएसी से अनुमति लेनी होगी।
राजस्व विभाग के जारी नोटिफिकेशन के अनुसार आवंटन आदेशों का दुरुपयोग और फर्जी एंट्रियां कर सरकारी जमीन का निजी व्यक्तियों को नामांतरण से मालिकाना हक देने के प्रकरण सामने आ चुके हैं। कई बार जमीनों की खातेदारी देने के संबंध में सरकारी जमीन के नामांतरण में अपील का निर्णय न होने की स्थिति में भी कर दिया जाता है। ऐसे प्रकरणों पर रोक लगाने के लिए गठित जीएलएमएसी में कलेक्टर अध्यक्ष, एडीएम, उप विधि परामर्शी सदस्य और जिला मुख्यालय के एसडीएम सदस्य सचिव होंगे।
फाइल की जांच और दस्तावेज तलब करने का अधिकार: जिला स्तरीय कमेटी को राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज सरकारी जमीन (खाता संख्या-1, जिम्मन नंबर 4 व 5) के नामांतरण के आवेदन स्वीकृत करने से पूर्व भेजने होंगे। कमेटी फाइल की जांच करेगी। दस्तावेजों की जांच के बाद ही नामांतरण स्वीकार या अस्वीकार की सिफारिश करेगी। पटवारी और तहसीलदार को कमेटी की सिफारिश के अनुसार आगामी कार्रवाई करनी होगी। कमेटी जांच करेगी कि नामांतरण से संबंधित प्रकरण में अपील और नो अपील पर कोई निर्णय लिया गया है या नहीं। दस्तावेजों की जांच के साथ तहसीलदार से जमीन से संबंधित किसी कोई दस्तावेज को लेने का अधिकार होगा। कमेटी के निर्णय का पटवारी की आईडी पर भी प्रदर्शित होगा। 90 बी की कार्रवाई में फर्जीवाड़ा रुकेगा: जिले में जमीन पर कॉलोनियां, मार्केट या अन्य प्रोजेक्ट विकसित करने के लिए 90 बी की कार्रवाई कर भू रूपांतरण करने के प्रकरण ज्यादा आते हैं।
इसमें सडक़, पार्क व अन्य सुविधाओं के लिए चिन्हित जमीन सार्वजनिक श्रेणी की मानी जाती है। कई बार 90 बी की कार्रवाई के बाद प्रोजेक्ट विकसित नहीं किया जाता। तब जमीन को दोबारा भू रूपांतरण करवाने की कार्रवाई के दौरान प्रक्रिया की पालना नहीं की जाती। ऐसे केसों में सरकारी जमीन का दुरुपयोग होने की आशंका रहती है। अधिकारियों के अनुसार ऐसे मामलों में फर्जीवाड़ा रुकेगा।

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