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कोरोना महामारी से मचा हाहाकार : जानें, कब तक रहेगा ‘कोरोना काल’

जयपुर। कोरोना महामारी से दुनियाभर में हाहाकार मचा हुआ है। हर किसी के मन में एक ही सवाल है कि इस महामारी से छुटकारा कब मिलेगा। ज्योतिष शास्त्र की मानें तो जब क्रूर ग्रह प्रबल और सौम्य ग्रह निर्बल होते है, तब—तब विश्व में प्राकृतिक आपदा, महामारी या महायुद्ध जैसे हालात बनते हैं। वर्तमान में कोरोना वायरस का प्रकोप दुनिया भर में फैल रहा है। ज्योतिषीय दृष्टिकोण से कोरोना का प्रकोप पृथ्वी पर क्रूर ग्रहों के संयोजन का परिणाम है। ज्योतिष में बृहस्पति को जीवन का कारक ग्रह माना जाता है और राहु-केतु को संक्रमण, वायरस जनित रोगों और छिपे हुए रोगों के लिए कारक ग्रह माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब बृहस्पति के साथ राहु या केतु ग्रह की युति बनती है, तो ऐसी बीमारियां होती हैं, जिनसे निपटने या इलाज करने में बहुत मुश्किल होती है।

ज्योतिषाचार्य पंडित डॉ रवि शर्मा ने बताया कि 6 मार्च 2019 को धनु राशि में केतु का प्रवेश हुआ था। इसके बाद 4 नवंबर 2019 को गुरु ने धनु राशि में प्रवेश किया था। केतु व गुरु के एक साथ धनु राशि में आने के चलते चीन में कोरोना का पहला मामला 17 नवंबर 2019 में आया था। 26 दिसंबर 2019 को साल का आखिरी सूर्यग्रहण था, ऐसे में इस सूर्यग्रहण के दिन षडग्रही योग बना था। सूर्य चंद्र, गुरु, शनि, बुध और केतु के एक ही राशि में योग से सूर्यग्रहण का पडऩा भी विश्व के लिए अशुभ संकेत था। इसी योग ने इस वायरस को वैश्विक महामारी बना दिया था। इसके 14 दिन बाद नववर्ष में पड़ा चंद्रग्रहण भी शुभ फल देने वाला नही था और यह राहु-केतु-शनि से पीडि़त रहा था। शास्त्रों के अनुसार सूर्य-चंद्रमा-गुरु के कमजोर होने पर संसार में प्रलय जैसी स्थिति बनती है। इसके बाद 23 मार्च को मकर में मंगल का प्रवेश हो गया, जबकि शनि, गुरु पहले से मकर में मौजूद थे। तीनों ग्रहों का एक राशि में होना शुभकारक नहीं माना जाता। इसके चलते कोरोना ने संक्रमण ने विश्व में तेजी से पैर पसारना शुरू कर दिया। गुरु, मंगल व शनि की मकर राशि में बन रही इस युति से अभी यह प्रभाव दिख रहा है। इस समय आर्द्रा नक्षत्र में राहु चल रहा है जो कि प्रलय का नक्षत्र माना जाता है। अत: 20 मई 2020 तक इसी आर्द्रा और गुरु के उत्तराषाढ़ा के कारण संकट रहेगा।

ज्योतिषाचार्य पं सुरेश शास्त्री के अनुसार ग्रहों की चाल बताती है कि इस बीमारी का असर अगले 3 से 7 महीने तक भारत सहित विश्व के अधिकांश देशों में रह सकता है। हालांकि 13 अप्रैल को सूर्य मीन से अपनी उच्च (मेष) राशि में प्रवेश करने के बाद वायरस से थोड़ी राहत मिलनी शुरू हो गई है। 4 मई को मंगल अपनी राशि बदलकर कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे। बृहस्पति व शनि के साथ मंगल की युति खत्म होने व भारत की प्रभाव राशि मकर से निकलने के बाद भारत को काफी राहत मिलेगी और कोरोना का प्रभाव क्षीण होने लगेगा। हालांकि इसका असर सितंबर तक रहेगा। 11 मई को बृहस्पति के वक्री होने के बाद से संक्रमण का असर और कमजोर होने लगेगा। 20 मई को राहु भी नक्षत्र बदलेगा और यही से वायरस का संक्रमण थोड़ा कम होना शुरू हो जाएगा। सूर्य भी भाद्रपदा नक्षत्र से गुजर रहे हैं। वह इस सौर मंडल में ऊर्जा का स्रोत हैं। इसी वजह से बड़ी संख्या में कोरोना के मरीज ठीक भी हो रहे हैं। सूर्य की इस स्थिति की वजह से चिकित्सा के क्षेत्र में कुछ बड़ी उपलब्धियां मिल सकती हैं। 24 जनवरी अमावस्या को सूर्य के साथ शनि का मकर राशि में आना भी शुभ संकेत नहीं था। कोरोना से पूरी तरह से मुक्ति शनि के राशि परिवर्तन करने पर अप्रैल 2022 के बाद ही मिल सकेगी।

पंडित अक्षय शास्त्री के अनुसार ज्योतिषशास्त्र सृष्टि में शुक्र को जीवाश्म का कारक मानता है। यह जीवाश्म पृथ्वी पर किसी भी आकार में हो सकता है, फिर वो चाहे अणु से भी छोटा हो या बड़े से बड़ा ही क्यों न हो। तरह तरह के वायरस में भी शुक्र के ही प्रभाव देखे जाते हैं। भारत की जन्म लग्न वृषभ में शुक्र का आना और मालव्य जैसे योगों का निर्माण करना देश के लिए अच्छा संकेत है।

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