
मिलावटा खोरों की हुई बल्ले- बल्ले शहर में लगी अस्थाई मिठाई की दुकानें, स्वास्थ्य विभाग आंखे मूंदकर बैठा






मिलावटा खोरों की हुई बल्ले- बल्ले
शहर में लगी अस्थाई मिठाई की दुकानें, स्वास्थ्य विभाग आंखे मूंदकरर बैठा
बीकानेर(शिव भादाणी)। मुनाफे के बिना किसी व्यवसाय की कल्पना नहीं की जा सकती है। हर कोई मुनाफे के लिए ही व्यवसाय-दुकान व प्रतिष्ठान का संचालन करता है। लेकिन बीकानेर में पितृ पक्ष के दौरान ऐसी दर्जनों मिठाई की दुकानों का संचालन श्राद्ध पक्ष में होता है, जो मुनाफे के लिए मिठाइयों की बिक्री करते है। ऐसी दुकानों का संचालन सेवा समितियों और सेवाभावी लोगों की ओर से किया जाता है। शहरवासी बड़ी मात्रा में इन दुकानों से मिठाइयों की खरीदारी करते है। दीपावली के अवसर पर होने वाली मिठाइयों की बिक्री से भी कही अधिक मिठाइयों की बिक्री बीकानेर में श्राद्ध पक्ष के दौरान रहती है।
साफ सफाई गुणवत्ता का कोई ध्यान नहीं
पूरे शहर में श्राद्ध पक्ष में अस्थाई मिठाई की दुकानें लगती है जहां पर किसी भी प्रकार की साफ सफाई व गुणवत्ता का कोई ध्यान नहीं है। मिठाईयों के भाव से लगती है उसमें कितनी मिलावट हे घी के भाव से कम तो मिठाई मिली रही है। ऐसे में साफ साफ लगता है इन मिठाईयों में पूरी तरह से मिलावटी है और ये दुकानदार शहरवासियों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड करते है।
स्वास्थ्य विभाग का नहीं है ध्यान
मजे की बात तो ये है कि इतने बड़े स्तर पर अस्थाई दुकान लगती है लेकिन स्वास्थ्य विभाग की नजरों में नहीं है। जबकि नियम है अगर किसी त्यौहार या अन्य समय में अस्थाई मिठाई या खाने पीने की दुकान लगती है तो इसकी सूचना स्वास्थ्य विभाग को देनी होती है और गुणवत्ता युक्त मिठाई बिक्री की गारंटी दी जाती है लेकिन ऐसा नहीं है। स्वास्थ्य विभाग की उदासीनता के चलते शहरवासी रोजना मिलावटी मिठाईयां खाने को मजबूर है।
सैंपल फैल होने की जानकारी नहीं देता विभाग
नाम नहीं छापने की शर्त पर विभाग के एक कर्मचारी ने बताया कि कुछ दिन पहले शहर की नामी दुकान से भरे सैंपल फैल हो गया था लेकिन दुकानदार की ऊपर तक सेटिंग होने के कारण उसको उजागर नहीं किया गया और अंदर के अंदर ही बात को दबा दिया गया अगर ऐसा होता है तो विभाग द्वारा की जाने वाली कार्यवाही सिर्फ दिखावा व कागजी है लोगों को मूर्ख बनाने का काम किया जा रहा है। इस कारण मिठाई विक्रता बिना किसी डर के मिलावटी मिठाईयां बेचते है।
इन मिठाइयों की रहती है मांग
श्राद्ध पक्ष के दौरान बीकानेर में इन बिना मुनाफे की दुकानों पर मोतीपाक, दिलखुशाल, पंधारी लडड़ू, गाल के लडड़ू, गुलाब जामुन, जलेबी, काजू कतली आदि मिठाइयों को बनाया जाता है,
लगती है 150 से अधिक दुकानें
पितृ पक्ष के दौरान शहर के मोहता चौक, नत्थुसर गेट, जस्सूसर गेट, व्यास कॉलोनी, पुरानी रोशनीघर चौराहे सहित विभिन्न क्षेत्रों में गली-मौहल्लो से लेकर मुख्य मार्गो और कॉलोनी क्षेत्रों तक लगभग दो सौ ऐसी दुकानों का संचालन होता है जिनमें लागत मूल्य पर मिठाइयों की बिक्री होती है। इनमें परकोटा क्षेत्र में अधिक दुकानें लगती है। इन अस्थाई दुकानों का संचालन केवल श्राद्ध पक्ष में ही होता है।
कम दाम, अधिक मांग
श्राद्ध पक्ष के दौरान हर घर में मिठाई की मांग बनी रहती है। लोग अपने दिवंगत परिजनों की श्राद्ध तिथि के दिन ब्राह्मण भोजन सहित घर परिवार के सदस्यों के लिए भोजन में मिठाई अनिवार्य रुप से रखते है। इसके कारण श्राद्ध पक्ष में पारम्परिक रुप से बनने वाली इन मिठाइयों की मांग अधिक रहती है। दाम भी मिठाई की दुकानों पर मिलने वाली मिठाईयों से कुछ कम होते है, इसलिए लोग इन दुकानों की अधिक आकर्षित होते है।
15 दिनों में 100 टन से अधिक मिठाइयों की बिक्री
श्राद्ध पक्ष के दौरान शहर में अस्थाई दुकानों से बड़ी मात्रा में मिठाइयों की बिक्री होती है। इन दुकानों के संचालन से जुड़े लोगों का कहना है कि श्राद्ध पक्ष में इन लगभग 200 दुकानों से 8 हजार किलोग्राम से भी अधिक मिठाइयां रोज बिकती है। अगर 8 हजार किलोग्राम ही मान ली जाए तो 15 दिनों में 100 टन मिठाइयों की बिक्री हो जाती है, जो दीपावली पर बिकने वाली मिठाइयों से कही अधिक है। शहर की स्थायी दुकानों पर श्राद्ध पक्ष में बिकने वाली मिठाइयों की बिक्री को और शामिल किया जाए तो मिठाइयों की खपत इससे लगभग दोगुनी हो जाती है।


