
अखंड सुहाग और मंगलमय जीवन की कामना को लेकर महिलाओं ने रखा तीज का व्रत, चंद्र को अघ्र्य देकर खोलेंगी व्रत






बीकानेर। अखंड सुहाग और मंगलमय जीवन की कामना के लिए गुरुवार को महिलाएं बड़ी तीज का व्रत रखा। इस व्रत को करने वाली महिलाएं और युवतियां सुबह झूला झूलने के बाद ही पानी का सेवन किया। इसके बाद रात को कहानी सुनकर, चंद्र को अध्र्य देकर व्रत का पारणा करेंगी। बड़ी तीज को रात 8:59 बजे चंद्रोदय होगा। इसलिए महिलाएं इसी समय चंद्र दर्शन कर अघ्र्य देगी और व्रत का पारणा करेंगी। वहीं जूनागढ़ से गुरुवार और शुक्रवार को तीज माता की सवारी शाही लवाजमे के साथ निकलेगी। चौतीना कुआं पर तीज का मेला भरा। भादवा कृष्ण पक्ष की तीज को सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुख-समृिद्ध और संतान सुख की कामना के लिए और युवतियां अच्छे वर के लिए व्रत रखती है। इस व्रत में महिलाएं और युवतियां भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना करती हैं। बड़ी तीज को सातूड़ी तीज, कजरी तीज और बूढ़ी तीज के नाम से भी जाना जाता है। 108 साल तपस्या कर पार्वती ने शिव को किया था प्रसन्न एक साल में तीज के तीन व्रत आते हैं। सबसे पहले आखातीज फिर हरियाली तीज और सबसे अंत में कजरी तीज या सातूड़ी तीज। तीनों तीज का अलग-अलग महत्त्व होता है। महिलाओं के लिए इनमें कजरी तीज सबसे ज्यादा महत्व रखती है। माता पार्वती भगवान शिव से शादी करना चाहती थी लेकिन भगवान शिव ने उनके सामने यह शर्त रखी कि वे पहले अपनी भक्ति और प्यार से सिद्ध करके दिखाएं। इस पर माता पार्वती ने 108 साल तक कठिन तपस्या की। इसके बाद भगवान शिव प्रसन्न हुए और उन्होंने पार्वती को इसी तीज के दिन की अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया। इसलिए ही इस तीज को कजरी तीज कहते हैं। बड़ी तीज को सभी देवी-देवता भगवान शिव और पार्वती की पूजा करते हैं। महिलाओं ने बुधवार को विभिन्न तरह के व्यंजनों का उपभोग कर धमोली मनाई।
बाजारों में चाट, कचौरी, पकौड़ी, खाटा, चूरी के अलावा विभिन्न तरह की नमकीन और मिठाइयों के साथ इस चाइनीज व पाश्चात्य फूड दुकानें लगी। इनमें डोसा, चाऊमीन, बर्गर, पिज्जा आदि की दुकानों में अच्छी ग्राहकी रही। इन दुकानों पर महिला ग्राहकों की भीड़ रही। बुधवार को सुबह शुरू हुआ यह सिलसिला देररात तक जारी रहा। सातूड़ी तीज गुरुवार को महिलाएं और युवतियों को व्रत होने के कारण बुधवार को जमकर धमोली मनाई। अब गुरुवार को वे झूला झूलने के बाद ही पानी ग्रहण करेंगी। इसके बाद रात को कहानी सुनकर, चन्द्रमा को अध्र्य देकर व्रत का पारणा करेंगी। जूनागढ़ से शाम गुरुवार व शुक्रवार को तीज माता की सवारी शाही लवाजमे के साथ निकलेगी। चौतीना कुआं पर तीज का मेला भरेगा।


