बारिश से बिगड़े हालात के बाद फील्ड में उतरी महापौर, केवल खानापूर्ति की

बारिश से बिगड़े हालात के बाद फील्ड में उतरी महापौर, केवल खानापूर्ति की

खुलासा न्यूज, बीकानेर। गुरुवार व शुक्रवार को हुई बारिश के चलते शहर में जगह-जगह जलभराव की स्थिति नजर आई। शहर की अधिकांश सड़कें व उनके पर बने गड्ढे बरसाती पानी से लबालब हो गए, जो वाहन चालकों के लिए खतरे का कारण बन गए। इस खतरे के भांपते हुए आनन में अधिकारी निकले तो इसी तरह महापौर भी फील्ड में नजर आई, जो केवल और केवल खानापूर्ति के सिवाय और कुछ नहीं था। ऐसा हम इसलिए कह रहे है कि शहर यही था, सड़कें भी यही और जनप्रतिनिधि भी यही, और जलभराव वाले क्षेत्र भी यही। काश! ये सबकुछ मानसून से पहले हो जाता तो शायद आज के हालातों से न तो शहर की जनता को गुजरना पड़ता और न ही अधिकारियों को और न ही महापौर को। इस खानापूर्ति की बिल्कुल भी जरूर नहीं पड़ती,जब समय पर सारी व्यवस्थाएं हो जाती तो। लेकिन ऐसा हुआ नहीं और ऐनवक्त पर मैदान में उतरना पड़ा, जो जनता को नागवार लगा। दरअसल, शहर में सड़क से लेकर नाले-नालियों की सफाई व्यवस्था तथा सीवरेज सिस्टम के बद से बदत्तर हालात में हुए पड़े हैं, इसकी रिपोर्ट यहां के जनप्रतिनिधियों से लेकर प्रशासनिक अधिकारियों तक थी। शहर की प्रथम नागरिक महापौर के हाथ में वार्डों में मूलभूत सुविधाओं की बागडोर होती है, लेकिन शहर के अधिकांश वार्ड आज इन सभी सुविधाओं को लेकर असुविधा में है। इसका कारण यह है कि महापौर ने कभी शहर की मूलभूत सुविधाओं के बारे में सोचा ही नहीं, इनका कभी अधिकारियों से विवाद रहा तो कभी मंत्री से। शहर के विकास के बारे में न सोचकर इन सब में ऊलझी रहीं। आज से पहले कोई ईका-दूका बार फील्ड में नजर आई। कांग्रेस के पार्षदों से इनकी पटरी कभी बैठी नहीं, जिसका खामियाजा आज पूरा शहर उठा रहा है। ऐसी कोई सड़क नहीं जो ठीक-ठाक स्थिति में हो, नाले-नालियां जाम हुई पड़ी रहती है, जो बरसात में ऑवरफ्लो हो जाती है और उनकी गंदगी सड़कों पर आ जाती है। जगह-जगह कचरे के ढ़ेर लगे हुए पड़े है, जो बरसात में पानी के साथ नाले-नालियों में जाकर जाम स्थितियां पैदा करते है। अधिकांश वार्डों में सीवरेज सिस्टम खराब हुआ पड़ा है, जिसको खामियाजा वार्डवासी भुगत रहे है। अगर मानसून से पहले इन सब पर गौर कर लिया होता तो शायद आज शहर की बदत्तर हालात नहीं होते। अब हालात बिगड़े है तो महापौर सहित प्रशासनिक अधिकारी सड़कों पर दौड़ते नजर आए, कहीं कोई किसी से समझाईश कर रहा है तो कोई फील्ड में अधिकारियों को निर्देश देते हुए फोटो-वीडियो बनवा रहा है, यानि महज खानापूर्ति, जिसको जनता खुली आंखों से देख रही हैं और महसूस कर रही है, क्योंकि टूटी-फूटी सड़कों पर भरे बरसाती पानी में पैर इन्हीं को टेकना पड़ता है। जिम्मेदारों का क्या, कार में आए और गए। आज इस मुद्दे को लेकर ‘खुलासाÓ ने जनप्रतिनिधियों को लेकर खबर प्रकाशित की, जिससे किसी ने सबक तो लिया, लेकिन सबक भी महज खानापूर्ति वाला निकला।

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