
नियमों को ताक पर रख संचालित हो रहा मेडिकल कॉलेज का स्वीमिंग पूल, 16 फीट गहरे पानी में सिखाई जा रही स्वीमिंग





खुलासा न्यूज, बीकानेर। शुक्रवार सुबह मेडिकल कॉलेज के स्वीमिंग पूल में डूबने से एक नौजवान युवक की मौत हो गई। जिसके बाद मृतक के पिता ने स्वीमिंग कोच पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए पुलिस को रिपोर्ट दी है। दरअसल, इस स्वीमिंग पूल में डूबने से मौत का यह पहला मामला नहीं है, इससे पहले कई बार हादसे हो चुके हैं, जिनमें कई मेडिकल स्टूडेंट्स की मौत हो चुकी है। इसके अलावा यहां सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं किये जा रहे है। जानकारी के अनुसार मेडिकल कॉलेज कैंपस का यह पूल सबसे अधिक गहरा पूल है, जिसकी गहराई लगभग 16 फीट है। इतनी गहराई में यहां छोटे-छोटे बच्चों को तैराकी सिखायी जा रही है, जो सीधा-सीधा बच्चों व युवाओं के जीवन के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। यहां इतनी व्यवस्था भी नहीं कि एक बच्चे पर प्रोपर तरीके से ध्यान रखा जा सके। यहां की इसी लापरवाही के चलते आज एक घर का चिराग बुझ गया। इतने हादसे होने के बाद भी मेडिकल कॉलेज प्रशासन पर ध्यान नहीं दे रहा। गैरजिम्मेदार लोगों को लंबे समय से इसको संचालित करने का जिम्मा दिया जा रहा है। इन मौतों के पीछे कहीं ना कहीं मेडिकल प्रशासन की गलती भी है।
नियमों की खुल्लेआम उड़ाई जा रही धज्जियां
शहर के चारों तरफ थोड़ा बाहर निकलने के बाद आपको जगह-जगह पूल नजर आएंगे। जो नियमों को ताक पर रख संचालित हो रहे है। इन नियमों की पालना करवाने वाले जिम्मेदार आंखे मूंदकर बैठे है। ऐसे में नियमों की खुल्लेआम धज्जिया उड़ाई जा रही है। दरअसल, शहर के दस-बीस किलोमीटर बाहर अनेक स्वीमिंग पूल खुल चुके है जिनमें नियमों की कोई पालना नहीं हो रही। पूल की गहराई से लेकर ऊंची-ऊंची स्लाईडें लगा रखी है, जो हादसे को न्यौता दे रही है। कुछ स्वीमिंग पूल में पानी की गहराई इतनी ज्यादा है, जिनमें अगर कोई बच्चा या स्वीमिंग कर नहीं जानता युवक कूद गया तो उसके लिए पानी से बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है। मजे की बात यह है कि इस तरह की लापरवाही बरतने वाले संचालकों ने मौज-मस्ती के लिए पहुंचने वाले लोगों की सुरक्षा को लेकर कोई बंदोबस्त नहीं कर रखे। कई बार यहां महिलाओं व लड़कियों के साथ छेड़छाड़ जैसी घटनाएं हो चुकी है, आये दिन शराब के नशे में विवाद-झगड़ा होता है। फिर भी सुरक्षा-नियमों को ताक पर रख आम जनता के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। जिम्मेदारों द्वारा कार्यवाही करना तो दूर की बात, चैकिंग करने तक नहीं जाते।


