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चूरू में बारिश ने रिकॉर्ड तोड़ा, जयपुर की सड़कें हुई लबालबा, बीकानेर में अगर ऐसी बारिश हुई तो बाढ़ जैसे हालात बनेंगे,क्योंकि यहां पानी निकासी की व्यवस्था ही नहीं

खुलासा न्यूज, बीकानेर। राजस्थान के 16 जिलों में अगस्त महीने के पहले ही दिन हुई बारिश ने कई सालों के रिकॉर्ड तोड़ दिए। बुधवार देर रात से शुरू हुई बारिश जयपुर, चूरू सहित अन्य जिलों में गुरुवार रात तक रुक-रुककर होती रही, इस कारण अगस्त में एक दिन की बारिश का चूरू में 60 साल तो जयपुर में 12 साल का रिकॉर्ड टूट गया। भारी बारिश कई जगह आफत बनकर आई। जयपुर में दिल्ली की तरह बेसमेंट में पानी भरने से तीन लोग डूब गए, बगरू में एक बच्चा गटर में डूब गया। वहीं हनुमानगढ़ में छत गिरने से एक महिला की मौत हो गई। वहीं, झालावाड़ में कालीसिंध नदी में 3 लोग बह गए, उनकी तलाश जारी है। जयपुर इंटरनेशनल एयरपोर्ट के टर्मिनल पर इतना पानी भर गया कि पायलट को ट्रॉली में खड़ा करके एयरपोर्ट के अंदर भेजना पड़ा। एसएमएस अस्पताल के वार्डों में भी पानी भर गया। सीकर में रेलवे ट्रैक डूब गए।

अगर ऐसी ही बारिश बीकानेर में हुई तो बाढ़ जैसे हालात बनेंगे

फिलहाल सक्रिय मानसून के चलते प्रदेशभर में बारिश का अलर्ट है। कभी भी कहीं पर बारिश हो सकती है। ऐसे में अगर गुरुवार को चूरू, जयपुर व हनुमानगढ़ की तरह बारिश बीकानेर में हुई तो बाढ़ जैसे हालात बन जाएंगे, क्योंकि शहर का ड्रेनेज सिस्टम ही नहीं है, जिससे बारिश का पानी निकल सके। यहां थोड़ी सी बारिश में बाढ़ जैसे हालात बन जाते है,ऐसे में अगर थोड़ी तेज बारिश हुई तो हालात बिगड़ जाएंगे। नीचले इलाकों में रहने वालों को नुकसान भी हो सकता है, जैसे पहले कई दफा हुआ है। दरअसल, शहर की अधिकांश गलियों में नालियों का पानी पसरा रहता है, ऐेसे में उन नालियों से क्या उम्मीद रख सकते हैं जो तेज बारिश के पानी का वे आगे निकासी कर सकती है। बड़ी बात यह भी है कि इन दिनों सफाई कर्मचारी भी हड़ताल पर है, ऐसे में शहर में जगह-जगह कचरे के ढ़ेर लगे हुए है, अगर बारिश हुई तो ये ढेर नाले-नालियों में जाकर उन्हें डाट सकते हैं, ऐसे में पानी सड़कों पर आने के बाद लोगों के घरों में घुसेगा। इस अव्यवस्था की मुख्य वजह यह है कि यहां के जनप्रतिनिधि व अधिकारी इस अव्यवस्था में सुधार हेतु कोई प्रयास ही नहीं करते। यहां के नगर निगम प्रशासन से लेकर महापौर को इस समस्या से कोई सरोकार ही नहीं है, जबकि बारिश के हर सीजन में बारिश आफत बनकर आती है, उसके बाहर व्यवस्था में एकबारगी सुधार की बातें होती है, लेकिन उन बातों को धरातल पर लागू करने में कोई आगे नहीं आता। जनप्रतिनिधियों की उदासीनता इस शहर को कभी भी भारी पड़ सकती है।

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