
SC ने यूजीसी नेट परीक्षा रद्द करने के सरकार के फैसले के खिलाफ जनहित याचिका पर विचार करने से किया इन्कार





सुप्रीम कोर्ट ने यूजीसी नेट परीक्षा रद्द करने करने के सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई करने से इन्कार कर दिया है। पीटीआई के हवाले से मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ इस याचिका को लेकर कहा कि जनहित याचिका को वकील द्वारा दायर किया गया था, न कि पीड़ित छात्रों द्वारा, इसलिए इस याचिका को गंभीरता से नहीं लिया गया।
सीजेआई ने छात्रों को खुद आने को कहा
सीजेआई ने वकील से कहा, “आप (वकील) क्यों आ रहे हैं? छात्रों को खुद यहां आने दें।” उन्होंने कहा, “उपरोक्त जनहित याचिका को अस्वीकार करते समय, हम योग्यता के आधार पर कुछ भी व्यक्त नहीं करते हैं।”
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने याचिकाकर्ता के रूप में जनहित याचिका दायर करने वाले वकील उज्जवल गौड़ से कुछ कानूनी मामलों पर ध्यान केंद्रित करने और ऐसे मुद्दों को पीड़ित व्यक्तियों के लिए छोड़ने को कहा है।
आपको बता दें कि यह याचिका यूजीसी नेट परीक्षा को रद्द करने के केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय और राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी के फैसले के खिलाफ दायर की गई थी क्योंकि इस परीक्षा में गड़बड़ी के की जानकारी प्राप्त हुई थी।
वकील रोहित पांडे ने दर्ज की थी याचिका
एक याचिका वकील रोहित पांडे की ओर से दर्ज कर बताया गया कि “सीबीआई की जांच से यह तथ्य सामने आया है कि पेपर लीक का सुझाव देने वाले सबूतों से छेड़छाड़ की गई है, जिससे वह आधार रद्द हो गया है जिस पर पेपर रद्द किया गया था।”
याचिकाकर्ता ने प्रस्तुत किया कि परीक्षा को “अनुचित” रद्द करने से उन उम्मीदवारों के लिए काफी परेशानी, चिंता और संसाधनों का अनावश्यक व्यय हुआ है जिन्होंने इस महत्वपूर्ण परीक्षा के लिए सख्ती से तैयारी की है।


