कम उम्र में मोबाइल का इस्तेमाल बच्चों को बना रहा भुलक्कड़, देर हो जाए उससे पहले संभल जाएं

कम उम्र में मोबाइल का इस्तेमाल बच्चों को बना रहा भुलक्कड़, देर हो जाए उससे पहले संभल जाएं

कम उम्र में मोबाइल का इस्तेमाल बच्चों को बना रहा भुलक्कड़, देर हो जाए उससे पहले संभल जाएं

बीकानेर। मोबाइल और इंटरनेट का सही और सीमित उपयोग जहां फायदेमंद है, वहीं इसकी अति जीवन में कई तरह के संकट पैदा कर रही है। राजस्थान में जयपुर, जोधपुर, बीकानेर, अजमेर, सीकर, कोटा और अन्य बड़े शहरों में 10 में से 4 युवा और बच्चे मोबाइल की लत के चलते भुलक्कड़ बन रहे हैं। जोधपुर के एसएन मेडिकल कॉलेज की ओर से की गई स्टडी में सामने आया है कि स्कूल-कॉलेजों में पढऩे वाले छात्रों में मोबाइल की लत 51 फीसदी पाई गई। घंटों मोबाइल और इंटरनेट के इस्तेमाल बच्चों और युवाओं के दिमाग पर असर डाल रहा है। अल्जाइमर रिसर्च जर्नल में प्रकाशित एक स्टडी में दावा किया गया है कि सेल फोन रेडिएशन से दिमाग के सेल्स में कैल्शियम का लेवल बढ़ जाता है, जो अल्जाइमर की बीमारी का मुख्य कारक है। लंदन यूनिवर्सिटी की एक स्टडी के मुताबिक, इंटरनेट एक्सपोजर का दिमाग के न्यूरॉन सिस्टम पर बुरा असर पड़ता है। इससे बच्चों और युवाओं के स्वभाव में नकारात्मक बदलाव आ रहा है। ओवरथिंकिंग, लो कंसंट्रेशन के मामले दिनों-दिन बढ़ रहे हैं। मोबाइल और इंटरनेट के अधिक उपयोग से दिमाग के न्यूरॉन सिस्टम पर असर पड़ता है। चिकित्सकों के मुताबिक पहले 60 साल की उम्र के बाद बुजुर्गों में डिमेंशिया के लक्षण दिखाते थे, लेकिन मोबाइल और गैजेट्स के ज्यादा उपयोग से डिमेंशिया के लक्षण बच्चों और युवाओं में देखने को मिलने लगे हैं। मनोचिकित्सकों के अनुसार रोजाना कई घंटों तक सोशल मीडिया और वेब सीरिज देखने से कॉग्निटिव इंपेयरमेंट हो रहा है। इससे मेमोरी लॉस यानी डिजिटल डिमेंशिया जैसी परेशानी हो रही है। यदि समय रहते इलाज नहीं लिया गया तो यह बीमारी घातक हो सकती है।

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