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धन्यवाद…शहर डूब गया लेकिन हमारी महापौर और बड़े अधिकारी सुरक्षित है

खुलासा संपादक कुशाल सिंह मेड़तिया की खास रिपोर्ट

महापौर और बड़े अधिकारीयों के घरों के आगे पानी नहीं भरा वरना जुट जाते सारे साधन और संसाधन

बीकानेर। मानसून की झमाझम बारिश के बाद जहां आमजन को गर्मी से राहत जरूर मिली। लेकिन शहर में जो हालात बने उसे देख हर कोई परेशान ही नजर आया। स्थिति तो यह तक बनी की जब बारिश के बाद लोग घर जाना चाहे तो जा भी नहीं सके। पुरानी गिन्नाणी, नगर निगम के आगे, बारह महादेव मंदिर हनुमान हत्था के पास, पब्लिक पार्क में तो खूब पानी जमा हुआ। यहां हर साल की तरह ही आमजन को समस्या का सामना करना पड़ा। यहां हालात सुधरने में तो सुधर सकते थे, लेकिन इन जगहों पर ऑफिस तो है लेकिन महापौर या जिला प्रशासन के किसी बड़े अधिकारी का घर नहीं है। अगर इन्ही जगहों पर किसी बड़े नेता या फिर बड़े अधिकारी का घर होता तो समस्या का समाधान तो होता ही और आमजन को राहत भी मिलती। इन सब के लिए सबसे बड़ी जिम्मेदारी नगर निगम की थी। लेकिन स्थिति तो यह थी ना तो कहीं महापौर नजर आई और न ही कहीं निगम का कोई अधिकारी दिखा। जबकि चुनावों के दौरान बड़े-बड़े वादें किए जाते है। इसको लेकर मीडिया भी लगातार ख़बरों के माध्यम से चेता रहा था, लेकिन अधिकारी या किसी जनप्रतिनिधि ने इस तरफ गौर ही नहीं किया। जिस निगम की जिम्मेदारी थी वह तो खुद ही इस बारिश में डूबा नजर आया, ऐसे में वह क्या शहर को इन हालातो से निजात दिलाएगा। कुछ साल पहले तो निगम आयुक्त तक की गाड़ी पानी में फंस गई थी। इसके बाद भी यह कोई सुधार करने को तैयार ही नहीं। कुछ दिन पहले हुई कुछ देर की बारिश के बाद भी सड़को से लेकर नालों की सफाई तक नहीं हुई, कचरे के ढेर लगे नजर आए। वो ही हालात आज भी नजर आ रहे है। निगम की ओर से बस इतिश्री करने के लिए दो जेसीबी को खड़ा कर दिया गया और कुछ नहीं या फिर कहें दो जेसीबी के भरोसे पूरे शहर को छोड़ दिया। अब तो ऐसा लगने लग गया है की मानों महापौर, जनप्रतिनिधि और अधिकारी कुम्भकर्णी नींद में सो रहे है।

एक केंद्रीय मंत्री, एक कैबिनेट मंत्री, निगम में बोर्ड और छह विधायक
कहने को तो बीकानेर जिले से एक केंद्रीय मंत्री, एक कैबिनेट मंत्री, निगम में बोर्ड और छह विधायक है लेकिन इन सबके बीच शहर के यह हालात चिंताजनक है। आखिर इन सब के बाद भी शहर में हुई बारिश के बाद जो हालात बने इसका जिम्मेदार कौन है? क्या इन सभी का कर्तव्य नहीं बनता की शहर के हालात सुधारने के लिए प्रयास हो? सीवरेज सिस्टम एकदम फेल नजर आया।

पानी जमा, बिजली बंद
शाम चार बजे से शुरू हुई आंधी और फिर बारिश की वजह से बिजली आपूर्ति ठप हो गई। कई जगहों पर हुए जलभराव के बाद बिजली ही चालु नहीं हो सकी। क्योंकि जलभराव के दौरान करंट की चपेट में कोई न आ जाए इस वजह से बिजली की आपूर्ति ही नहीं हो सकी। जलभरावा के कारण कई लोग तो देर रात तक अपने घर भी नहीं पहुंच सके।

 

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